Class 10 Hindi Important Questions-Netaji ka Chashma Extra Questions नेताजी का चश्मा
Class 10 Hindi Important Questions-Netaji ka Chashma Extra Questions नेताजी का चश्मा |
Class 10 Hindi Important Questions-Netaji ka Chashma Extra Questions नेताजी का चश्मा - NCERT IMPORTANT QUESTION
प्रश्न - सेनानी न होते हुए भी चश्मे वाले को लोग कैप्टन क्यों कहते थे?
उत्तर - निश्चय ही चश्मे वाला सेनानी नहीं था। वह शरीर से कमजोर और बूढ़ा था। वह लंगडा था लेकिन उसके मनः देशभक्ति की प्रबल भावना थी। सुभाषचन्द्र की बिना चश्मे वाली मूर्ति देखकर वह बड़ा दुखी हुआ था। इसलि उसने अपने पास से एक चश्मा मूर्ति की आँखों पर लगा दिया था। उसकी इसी देशभक्ति की भावना को देख लोग उसे कैप्टन कहते थे।
प्रश्न - हालदार साहब ने ड्राइवर को पहले चौराहे पर गाड़ी रोकने के लिए मना किया था लेकिन बाद में तुरंत रोकने को कहा
(क) हालंदार साहब पहले मायूस क्यों हो गए थे?
(ख) मूर्ति पर सरकंडे का चश्मा क्या उम्मीद जगाता है?
(ग) हालदार साहब इतनी-सी बात पर भावुक क्यों हो उठे?
(क) हालदार साहब पहले मायूस इसलिए हो गए थे, क्योंकि कैप्टन की मृत्यु हो गई थी। अब उस कस्बे सुभाषचन्द्र बोस की बिना चश्मे वाली मूर्ति को चश्मा पहनाने वाला उन्हें कोई दिखाई नहीं देता था।
(आ) मूर्ति पर सरकंडे का चश्मा यह उम्मीद जगाता है कि भारतभूमि आज भी देशभक्तों से शून्य नहीं हुई है। यदि चश्मे बेचने वाला कैप्टन नहीं रहा तो अन्य लोग इस दायित्व का निर्वाह कर सकते हैं। सरकंडे का चश्मा निश्चय से किसी गरीब बच्चे ने बनाया होगा जो यह सिद्ध करता है कि हमारी भावी पीढ़ी राष्ट्रीय चेतना के प्रति सजग है।
(ग) हालदार साहब के लिए सुभाष की मूर्ति पर चश्मा लगाना इतनी-सी बात नहीं थी। उनके लिए यह बहुत महत्त्वपूर्ण बात थी। उनके मन में यह आशा जागी कि देश के प्रत्येक कस्बे में आज भी देशभक्त जीवित हैं। यही नहीं देश की नई पीढ़ी भी देशभक्ति के दायित्व को संभालने के लिए तैयार है।
प्रश्न - आशय स्पष्ट कीजिए-
"बार-बार सोचते, क्या होगा उस कौम का जो अपने देश की खातिर घर-गृहस्थी-जवानी - जिन्दगी स कुछ होम देने वालों पर हँसती है और अपने लिए बिकने के मौके ढूँढ़ती है?"
अथवा
हालदार साहब की कैप्टन के प्रति कैसी भावना थी? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर - चश्मा बेचने वाले कैप्टन की मौत का समाचार सुनकर हालदार साहब उदास हो गए। वे सोचने लगे कि कैप्टन जैसे लोग ही देश के लिए आशा की किरण के समान थे। अन्यथा आज हमारी कौम उन लोगों का मजाक उड़ाती है जो देश के लिए अपने घर-परिवार, अपने यौवन तथा अपने जीवन को भी न्योछावर कर देते हैं। प्राय: छोटे से स्वार्थ को पूरा करने के लिए आज लोग स्वयं को बेच देते हैं। अतः इस प्रकार के लोग देश का उद्धार नहीं कर सकते।
प्रश्न - पान वाले का एक उत्तर रेखाचित्र प्रस्तुत कीजिए?
उत्तर - पान वाले की दुकान पर भी पान थे तथा उसका मुख भी पान से भरा रहता था। वह मुँह से बात नहीं कर सकता था इसलिए जब उससे कोई बात पूछी जाती तो पहले वह पीछे मुड़कर पान थूकता और फिर बात करता। वह स्वभाव से बड़ा रसिया, हँसोड तथा मजाकिया था। शरीर से मोटा होने के कारण उसकी तोंद निकली रहती थी। वह जब हँसता था तो उसकी तोंद हिलने लगती थी और पान खाने के कारण लाल-काले दाँत खिल उठते थे। स्वभाव से वह एक ऐसे व्यक्ति का प्रतीक था, जिसमें न तो देश के लिए कुछ करने का भाव था तथा न ही देश के लिए कुछ करने वालों के प्रति सम्मान का भाव था। हालाँकि कैप्टन की मृत्यु के पश्चात् उसके स्वभाव में परिवर्तन आ गया था।
प्रश्न -"वो लँगड़ा क्या जाएगा फौज में। पागल है पागल!" कैप्टन के प्रति पान वाले की इस टिप्पणी पर अपनी प्रतिक्रिया लिखिए?
उत्तर -पान वाले की यह टिप्पणी सर्वथा अनुचित है। उसे तो चश्मे वाले कैप्टन की भावनाओं का सम्मान करना चाहिए था, क्योंकि वह सुभाषचन्द्र बोस की मूर्ति की आँखों पर अपनी ओर से चश्मा लगाता था। चश्मे के बिना उसे नेताजी की मूर्ति अधूरी लगती थी। उसकी यह भावना उसकी देशभक्ति को प्रकट करती है। निश्चय ही कैप्टन के बारे में पान वाले का उपयुक्त कथन दुर्भाग्यपूर्ण है।
Class 10 Hindi Important Questions-Netaji ka Chashma Extra Questions नेताजी का चश्मा
EXTRA QUESTIONS ANSWERS
प्रश्न - नेताजी की मूर्ति बनाने का काम स्थानीय कला-अध्यापक को क्यों सौंपा गया?
उत्तर - नगरपालिका प्रारंभ में नेताजी की मूर्ति किसी अच्छे मूर्तिकार से बनवाना चाहती थी। परन्तु अच्छे मूर्तिकार को जानकारी के अभाव तथा अच्छी मूर्ति की लागत अनुमान और उपलब्ध बजट से कहीं अधिक होने के नगरपालिका का काफी समय ऊहापोह और चिट्ठी-पत्री में बर्बाद हो गया अतः जब बोर्ड की शासनावधि समाप्त होने को आई तब मूर्ति बनाने का काम स्थानीय कला-अध्यापक को ही सौंप दिया गया।
प्रश्न - मोतीलाल ने नेताजी की मूर्ति किस प्रकार से तैयार की?
उत्तर - मोतीलाल कस्बे के ड्राइंग मास्टर थे। उन्हें पत्थर की मूर्तिया बनाने का विशेष अनुभव नहीं था। फिर भी उन्होंने बड़ी मेहनत और लगन से नेता जी की एक मूर्ति जिसे 'बस्ट' कहा जाता है बनाई। हालांकि वे मूर्ति को चश्मा पहनाना भूल गए।
प्रश्न - मूर्ति में क्या कमी थी?वह कभी कैसे रह गई?
उत्तर - अत्यंत सुंदरहोते हुए भी मूर्ति में एक कमी थी। यह कमी उसे देखते ही खटकने लगती थी। वह कमी थी मूर्तिकार द्वारा मूर्ति पर चश्मा लगाना भूल जाना। लेखक को मूर्ति में रह गई इस कमी के विषय में मूल तथ्य तो नहीं मालूम परन्तु उसने अनुमान लगाया है कि मूर्तिकार यह तय नहीं कर पाया होगा कि मूर्ति को कांचवाला पारदर्शी चश्मा कैसे लगाया जाए या उसने कोशिश की होगी और असफल रहा होगा या 'बारीकी' के चक्कर में बनते-बनते टूट गया होगा या पत्थर का चश्मा अलग से बनाकर फिट किया होगा और वह निकल गया होगा।
प्रश्न - 'नेताजी का चश्मा' कहानी का संदेश क्या है?
उत्तर - ‘नेताजी का चश्मा' कहानी कैप्टन चश्मे वाले के माध्यम से देश के करोड़ों नागरिकों के योगदान को रेखांकित. करती है, जो इस देश के निर्माण में अपने-अपने तरीके से सहयोग करते हैं। कहानी यह कहती है कि चारों ओर सीमाओं से घिरे भू-भाग का नाम ही देश नहीं होता। देश बनता है उसमें रहने वाले सभी नागरिकों, नदियों, पहाड़ों, पेड़-पौधों, वनस्पतियों, पशु-पक्षियों से। इन सबसे प्रेम करने तथा इनकी समृद्धि के लिए प्रयास करने का नाम देशभक्ति है। देशभक्ति के कार्य केवल बड़ों द्वारा ही संपन्न नहीं होते अपितु इसमें बच्चे भी शामिल होते हैं।
प्रश्न -कैप्टन चश्मे वाला बार-बार मूर्ति का चश्मा क्यों बदल देता था?
अथवा
प्रश्न - नेता जी की मूर्ति के चश्मे के बार-बार बदलने का क्या कारण था?
उत्तर - नेता जी की मूर्ति बनाने वाला मूर्तिकार नेताजी की मूर्ति पर चश्मा लगाना भूल गया था। चश्मे विहीन वह मूर्ति सुंदर होते हुए भी अच्छी नहीं लगती थी। अतः कैप्टन चश्मे वाले ने उस मूर्ति को अपने पास से एक चश्मा पहना दिया था। परन्तु जब कभी कोई ग्राहक आकर चश्मे वाले से कहता कि उसे वही चश्मा चाहिए जो नेताजी की मूर्ति पर लगा है तो चश्मे वाले को नेताजी से क्षमा माँगते हुए वह चश्मा नेताजी की मूर्ति से उतारकर उसे ग्राहक को देना पड़ता था तथापि वह मूर्ति पर अपने पास से दूसरा चश्मा तुरंत उस मूर्ति को पहना देता था। इस प्रकार मूर्ति के चश्मे बदलते रहते थे।
प्रश्न - कहानी के आधार पर कैप्टन चश्मे वाले का चरित्रांकन कीजिए।
उत्तर- कैप्टन चश्मे वाला एक बेहद बूढ़ा मरियल-सा तथा लंगड़ा व्यक्ति था। वह अपने सिर पर गांधी टोपी तथा आँखों पर काला चश्मा पहनता था। उसमें देशभक्ति की भावना कूट-कूट कर भरी हुई थी। यही कारण है कि कस्बे के चौराहे पर लगी नेताजी सुभाषचन्द्र बोस की चश्मे विहीन मूर्ति को उसने अपने पास से एक वास्तविक चश्मा पहना दिया था। वह फौजी नहीं था परन्तु उसके इस देशभक्ति पूर्ण कृत्य ने उसे कस्बे में कैप्टन के नाम से मशहूर करदिया था।
प्रश्न - हालदार साहब की आदत से मजबूर आँखों ने क्या देखा?
उत्तर- कैप्टन की मृत्यु का समाचार पाने के बाद तथा यह देख लेने के बाद अब नेताजी की मूर्ति की आँखों पर अब चश्मा लगाने वाला कोई नहीं रहा, उन्होंने निश्चय किया था कि वे अब कभी नेता जी मूर्ति की तरफ नहीं देखेंगे। परंतु अगली बार जब वे उस चौराहे से गुजरे तो आदत से मजबूर उनकी आँखे स्वतः ही नेता जी की मूर्ति की ओर चली गई। उन्होंने देखा कि किसी ने उस मूर्ति की आँखों पर सरकंडे से बना छोटा चश्मा लगा रखा था। यह देखकर वे भावुक हो गए।
प्रश्न - कैप्टन की मृत्यु के बाद पानवाले की मनःस्थिति में क्या अंतर आया?
उत्तर- जब तक कैप्टन जीवित था तथा नेताजी की मूर्ति को चश्मा पहनाता था, पान वाले को उसका यह कृत्य पागलपन नजर आता था। वह उसकी देशभक्ति का सम्मान करने की अपेक्षा प्राय: उसका मजाक उड़ाता था। परन्तु जब कैप्टन की मृत्यु हुई और नेताजी की मूर्ति चश्मे विहीन रहने लगी तो उसे अपनी भूल का अहसास हुआ। उसे लगा कि कैप्टन के विषय में वह जो सोचा करता था वह सही नहीं था। यही कारण है कि हालदार साहब को कैप्टन की मृत्यु के विषय में बताते हुए वह भावुक होकर रोने लगा था।
0 Comments