Important Questions Class 10 Hindi-Balgobin Bhagat Extra Questions बालगोबिन भगत
Important Questions Class 10 Hindi-Balgobin Bhagat Extra Questions बालगोबिन भगत |
Important Questions Class 10 Hindi-Balgobin Bhagat Extra Questions बालगोबिन भगत - NCERT MOST IMPORTANT QUESTION
प्रश्न - खेती-बाड़ी से जुड़े 'बालगोबिन भगत' अपनी किन चारित्रिक विशेषताओं के कारण साधु कहलाते थे?
उत्तर - बालगोबिन भगत खेती-बाड़ी करने वाले गृहस्थ थे। लेकिन फिर भी उनका आचरण साधुओं जैसा था। वे कभी भी झूठ नहीं बोलते थे। उनका व्यवहार सीधा, सरल और खरा था। वे किसी से झगड़ा नहीं करते थे। वे दूसरों को वस्तुओं का प्रयोग करना तो दूर रहा बिना पूछे उनका स्पर्श भी नहीं करते थे। शौच आदि के लिए वे दूसरों के खेतों में नहीं बैठते थे। वे कबीरदास को 'साहब' मानकर उनकी वंदना करते थे और स्वयं को भगवान का बंदा मानते थे। अपनी फसल को वे सर्वप्रथम कबीर पंथी मठ को सौंप देते थे। फिर वहाँ से प्रसाद रूप में जो कुछ मिलता था, उससे गुजारा करते थे। यहाँ तक कि उन्होंने पुत्र की मृत्यु को उत्सव के रूप में मनाया। वे हमेशा प्रभु भक्ति में लीन रहकर भक्तिपरक भजन गाते थे। उनमें नारी विषय में भी अत्यंत उदार भावना थी। यही कारण था कि उन्होंने न केवल अपनी पुत्रवधू से अपने पुत्र को मुखाग्नि दिलाई, अपितु बाद में उसे उसके भाई के साथ भेज दिया ताकि वह उसका दूसरा विवाह करा सके। अपनी इन्हीं चारित्रिक विशेषताओं के कारण वे साधु कहलाते थे।
प्रश्न - भगत की पुत्रवधू उन्हें अकेले क्यों नहीं छोड़ना चाहती थी?
उत्तर - भगत की पुत्रवधू जानती थी कि पुत्र के मरने के बाद भगत जी अकेले रह गए हैं वृद्धावस्था में उनकी दवा दारू करने वाला भी घर पर कोई नहीं है। घर-बार तथा संसार में उनकी कोई रुचि नहीं है। यहीं नहीं वे अपने खाने-पीने तथा स्वास्थ्य के प्रति भी लापरवाह हैं। इसलिए पुत्रवधू बालगोबिन भगत के चरणों की सेवा में रहकर उनकी देखभाल करना चाहती थी। वह उनके लिए भोजन तथा दवा-दारू का प्रबंध करना चाहती थी।
प्रश्न - भगत ने अपने बेटे की मृत्यु पर अपनी भावनाएँ किस तरह व्यक्त कीं?
उत्तर - भगत ने अपने बेटे के शव को एक चटाई पर लिटाकर सफेद कपड़े से ढक दिया तथा उसके ऊपर फूल तुलसी बिखेर दी तथा उसके सिरहाने दीपक जला दिया। वे मृत्यु को आत्मा परमात्मा का शुभ मिलन मानते थे। उसके सामने जमीन पर बैठकर भगत जी तल्लीन होकर प्रभु-भक्ति के गीत गाने लगे। उन्होंने अपनी पतोहू को समझाया कि यह रोने का नहीं उत्सव मनाने का समय है। आत्मा परमात्मा से मिल गई है। इसलिए विलाप करने की आवश्यकता नहीं। इस रूप में भगत ने अपने बेटे की मृत्यु पर अपनी भावनाएँ व्यक्त की।
प्रश्न - भगत के व्यक्तित्व और उनकी वेशभूषा का अपने शब्दों में चित्र प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर- बालगोबिन भगत गृहस्थ होकर भी सीधे व सरल साधु थे। उनकी उम्र साठ वर्ष से कुछ ऊपर थी। वे मैझोले कद के गोरे-चिट्टे आदमी थे उनके सिर के बाल सफेद हो गए थे। न तो उनकी दाढ़ी लंबी थी न ही सिर पर जटाएँ थी। वे प्रायः एक लंगोटी-सी पहने रहते थे। उनके सिर पर कबीर पंथियों के जैसी कनफटी टोपी होती थी। वे सर्दियों में कम्बल ओढ़ते थे। उनके गले में तुलसी की माला रहती थी और मस्तक पर रामानंदी चंदन सुशोभित होता था। वे हमेशा खँजड़ी की लय पर प्रभु भक्ति के गीत गाते थे।
प्रश्न - बालगोबिन भगत की दिनचर्या लोगों के अचरज का कारण क्यों थी?
उत्तर - बालगोबिन भगत की दिनचर्या देखकर लोग हैरान थे। वे बड़े ही सरल, सादे तथा निस्वार्थ व्यक्ति थे। बिना पूछे वे किसी की वस्तु का स्पर्श नहीं करते थे। यहाँ तक कि दूसरे के खेत में शौच आदि भी नहीं करते थे। फसल पकने पर वे सारी फसल पहले कबीर मठ में पहुँचा देते थे। वहाँ से प्रसाद रूप में जो कुछ मिलता था उससे वे अपना घर चलाते थे। वे सवेरे-सवेरे उठकर दो मील दूर स्थित नदी में स्नान करके आते और गाँव के बाहर स्थित पोखरे के किनारे खँजड़ी बजाते हुए प्रभु भक्ति के गीत गाने लगते। यहाँ तक कि बीमार पड़ने पर भी उन्होंने अपने नियमों को नहीं छोड़ा इसलिए लोग उनकी दिनचर्या को देखकर हैरान थे।
प्रश्न - पाठ के आधार पर बालगोबिन भगत के मधुर गायन की विशेषताएँ लिखिए?
उत्तर- बालगोबिन भगत मग्न होकर प्रभु भक्ति के गीत गाते थे। उनका स्वर बड़ा मोहक, ऊँचा तथा प्रभावशाली होता था। उसे सुनकर श्रोता भी मंत्रमुग्ध हो जाते थे। औरतें भी उनके गीत को गुनगुनाने लगती और खेतों में काम करने वाले किसान एक विशेष लय में चलने लगते। उनके संगीत का जादू भरा प्रभाव गाँव के सभी लोगों पर देखा जा सकता था। उनके गीतों का स्वर धीरे-धीरे ऊँचा होता और फिर निश्चित ताल की गति से आगे बढ़ता हुआ श्रोताओं के मन को ऊपर उठा देता। वे सर्दी, गर्मी, बरसात इत्यादि मौसमों की परवाह किए बिना नियामानुसार अपनी संगीत साधना किया करते थे।
Important Questions Class 10 Hindi-Balgobin Bhagat Extra Questions बालगोबिन भगत - EXTRA QUESTIONS Answers
परीक्षोपयोगी अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न
प्रश्न - बालगोबिन भगत का एक शब्द चित्र अपने शब्दों में प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर- बालगोबिन भगत एक मँझोले कद के गोरे-चिट्टे साधु प्रवृत्ति के व्यक्ति थे। उनकी आयु साठ के ऊपर हो चुकी थी तथा उनके बाल पक चुके थे। लंबी दाढ़ी और जटाएँ न होते हुए भी उनका चेहरा उनके सफेद बालों से चमकता रहता था। वे मात्र एक लंगोटी धारण करते थे तथा सिर पर कबीर पंथियों की भाँति कनफटी टोपी पहनते थे। सर्दियों में वे एक काला कंबल ओढ़ लेते थे। उनके माथे पर हमेशा रामानंदी संप्रदाय का चंदन का टीका लगा होता था तथा उनके गले में तुलसी की जड़ों की एक बेडौल माला बँधी रहती थी।
प्रश्न - बालगोबिन भगत की संगीत साधना का चरम उत्कर्ष किस दिन देखा गया? कैसे?
उत्तर- बालगोबिन भगत संगीत साधना का चरम उत्कर्ष उस दिन देखा गया, जिस दिन उनका बेटा दिवंगत हुआ।उस दिन को उन्होंने आत्मा से परमात्मा का मिलन मानकर शोकाकुल होते हुए भी उत्सव की तरह मनाया। उन्होने अपने बेटे को आंगन में एक चटाई पर लेटाकर एक सफेद कपड़े से ढका और उस पर कुछ फूल और तुलसीदल बिखरा दिए। उसके सिरहाने एक दीपक जला दिया तथा फिर उसके सामने ही जमीन पर आसन बिछाकर उस पुराने स्वर और तल्लीनता के साथ अपनी संगीत साधना प्रारंभ कर दी, जिसके लिए वह विख्यात था। दुःख में भी अविचल भाव से उसके द्वारा संगीत की साधना ही उसकी संगीत-साधना का चरम उत्कर्ष था।
प्रश्न - बालगोबिन भगत की नारी भावना पर प्रकाश डालिए।
उत्तर- कबीर पंथियों के अनुरूप बालगोबिन भगत की नारी भावना बड़ी उच्च कोटि की थी। वे नारी का सम्मान करना जानते थे। वे नारी को भी समाज में पुरुष के समकक्ष दर्जा दिलाने को कृत-संकल्प थे। यही कारण है कि उन्होंने अपने मृत पुत्र को अपनी पुत्रवधू से मुखाग्नि दिलाई ताकि पितृ सत्तात्मक भारतीय समाज में नारी के समान अधिकार की बात जोरदार तरीके से उठाई जा सके। वे विधवा विवाह के पक्षधर थे तथा नहीं चाहते थे कि भारतीय समाज में फैली विधवा पुनर्विवाह न करने की रूढ़ी के कारण विधवाओं को घुट-घुट कर अपना बाकी जीवन जीना पड़े। यही कारण था कि उन्होंने अपने पुत्र की मृत्यु के बाद अपनी विधवा पुत्रवधू को उसके भाई के साथ भेज दिया ताकि वह उसका दूसरा विवाह करवा सके।
प्रश्न - बालगोबिन भगत की मृत्यु किस प्रकार हुई ?
अथवा
प्रश्न - बालगोबिन भगत की गंगा स्नान करने की प्रक्रिया का वर्णन कीजिए।
उत्तर - बालगोबिन भगत हर वर्ष अपने गाँव से तीस कोस दूर बहने वाली गंगा नदी पर स्नान हेतु जाते थे ताकि वे संत समागम और लोकदर्शन का आनंद ले सकें। गंगा नदी तक जाने व वापस आने में उन्हें चार-पाँच दिन लगते थे। वे भोजन घर से करके जाते थे तथा फिर घर लौटकर ही भोजन करते थे। रास्ते भर खंजडी बजाते तथा जहाँ प्यास लगती पानी पी लेते थे। अब वृद्धावस्था आने पर भी उनका यह नियम जारी था। इस बार जब वे गंगा स्नान करके लौटे तो उनकी तबीयत कुछ खराब हो गई तथा दिन-प्रतिदिन और खराब होती चली गई। लोगों द्वारा मना करने पर भी उन्होंने स्नान-ध्यान नहीं छोड़ा तथा अपना काम करते रहे। एक दिन सुबह जब लोगों ने उनका गीत नहीं सुना तब उनके घर जाकर देखा तो पाया कि बालगोबिन भगत अब नहीं रहे। इस प्रकार उनकी मौत उन्ही के अनुरूप हुई।
प्रश्न - इस रेखाचित्र की प्रमुख विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
अथवा
प्रश्न - 'बालगोबिन भगत' पाठ का मूलभाव स्पष्ट कीजिए।
श्री रामवृक्ष बेनीपुरी जी द्वारा रचित यह रेखाचित्र एक संदेशपूर्ण रेखाचित्र है। इस रेखाचित्र के माध्यम से लेखक ने बालगोबिन भगत नामक एक ऐसे विलक्षण चरित्र का उद्घाटन किया है जो मनुष्यता, लोक-संस्कृति और सामूहिक चेतना का प्रतीक है। लेखक ने स्पष्ट किया है कि वेशभूषा और बाह्य अनुष्ठानों से कोई संन्यासी नहीं होता, अपितु संन्यास का आधार तो जीवन के मानवीय सरोकार होते हैं। इसी आधार पर बालगोबिन भगत लेखक को संन्यासी लगते हैं। इसके साथ ही लेखक ने बालगोबिन भगत के माध्यम से न केवल सामाजिक रूढ़ियों पर प्रहार किया है, अपितु ग्रामीण जीवन की एक सजीव झांकी भी प्रस्तुत की है।
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