Class 10 Hindi - IMPORTANT Question Kanyadan Class 10 Extra Qestions-कन्यादान

Kanyadan Class 10 Extra Qestions-कन्यादान

Kanyadan Class 10 Extra Qestions-कन्यादान

Class 10 Hindi - IMPORTANT Question Kanyadan Class 10 Extra Qestions-कन्यादान
Class 10 Hindi - IMPORTANT Question Kanyadan Class 10 Extra Qestions-कन्यादान


Kanyadan Class 10 Extra Qestions-कन्यादान - NCERT IMPORTANT :-


प्रश्न  -आपके विचार से माँ ने ऐसा क्यों कहा कि लड़की होना पर लड़की जैसी मत दिखाई देना?

 उत्तर  -माँ की इच्छा है कि उसकी लड़की स्वभाव से सरल और भोली हो। वह किसी भी तरह स्वार्थी और चालाक न बने। परन्तु वह यह भी चाहती है कि उसकी लड़की शोषण से बचे। उसकी ससुराल वाले उसकी सरलता तथा सीधेपन का दुरुपयोग न करें, उस पर अत्याचार न करें। किन्तु यदि वह अच्छी लड़की की भांति सीधी व सरल दिखाई देगी तो उसके ससुराल वालों द्वारा उसके शोषण की आशंका सदा बनी रहेगी। इसीलिए वह अपनी लड़की को समझाती है कि वह लड़की तो बने परन्तु लड़की जैसी दिखाई न दे।


"आग रोटियाँ सेंकने के लिए हैं। जलने के लिए नहीं।"


(क) इन पंक्तियों में समाज में स्त्री की किस स्थिति की ओर संकेत किया गया है?


(ख) माँ ने बेटी को सचेत करना क्यों जरूरी समझा?


(क) इन पंक्तियों में कवि ने स्त्री की दशा की दो बातों की ओर संकेत किया है। पहली बात यह है कि लड़की ससुराल में जाकर घर-गृहस्थी के काम को संभालती है और घर के सदस्यों के लिए रोटियाँ पकाती है। दूसरा कवि यह कहना चाहता है कि दिनभर काम करने के बावजूद भी ससुराल में लड़की पर अत्याचार किए जाते हैं और कभी-कभी उसे आग में जला दिया जाता है।


(ख) माँ ने बेटी को सचेत करना इसलिए जरूरी समझा, क्योंकि लड़कियाँ शादी के समय खुशहाली के सपने देखने लगती हैं। परन्तु उनके सपने प्रायः झूठे सिद्ध होते हैं। प्यार के नाम पर उन्हें घर के कठोर नियमों में बाँध दिया जाता है। यदि वे ससुराल वालों के अनुसार काम नहीं करतीं तो उन पर तरह-तरह के अत्याचार किए जाते हैं तथा कभी-कभी तो उन्हें जला भी दिया जाता है। इसलिए प्रत्येक लड़की को बड़ी सावधानी से ससुराल में रहना होता है।


प्रश्न  - माँ को अपनी बेटी 'अंतिम पूंजी' क्यों लग रही थी? 


उत्तर - प्रायः माताएँ अपनी बेटी या बहन के साथ दुःखों को बाँट लेती हैं। कविता में वर्णित माँ के लिए भी शादी से पूर्व बेटी ही उसकी पूंजी थी। वह उसके साथ बातें कर सकती थी। उससे अपने मन का दुख कह सकती थी। बेटी माँ के सुख-दुख में हाथ बँटाती थी, इसलिए माँ को अपनी बेटी 'अंतिम पूंजी' के समान लगती है। चूँकि कन्यादान के बाद जब वह ससुराल चली जाएगी तो उसके हाथ से ये अंतिम पूंजी' निकल जाएगी।


प्रश्न  - माँ ने बेटी को क्या-क्या सीख दी?

 उत्तर-  माँ ने अपनी बेटी को सीख दी कि ससुराल में वह कभी भी अपनी सुंदरता तथा प्रशंसा पर न रीझे। वह घर-गृहस्थी के सारे काम तो करे लेकिन ससुराल वालों के अत्याचार सहन न करे। वह सुंदर कपड़े तथा गहनों के बदले अपनी आजादी को न बेच दे, बल्कि अपना व्यक्तित्व हमेशा बनाए रखे। वह अपनी सरलता, कोमलता तथा भोलेपन को इस प्रकार प्रकट न करे कि लोग उसका अनुचित लाभ उठाएँ।


Kanyadan Class 10 Extra Qestions-कन्यादान EXTRA
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प्रश्न  - स्त्री को सौंदर्य का प्रतिमान बना दिया जाना ही उसका बंधन बन जाता है। इस विषय पर कक्षा में चर्चा कीजिए।

उत्तर-  निश्चय ही स्त्री को सौंदर्य का प्रतिमान बना दिया जाना उसका बंधन बन जाता है। मनोवैज्ञानिक तथ्य है कि स्त्रियाँ अपने आपको सुंदर कहलाना पसंद करती हैं। इसलिए वे सौंदर्यवर्द्धक वस्त्र, आभूषण और प्रसाधनों का अधिकाधिक प्रयोग करती हैं। जब कोई उनकी सुंदरता की प्रशंसा करता है तो उन्हें इतना अच्छा लगता है कि वे उस प्रशंसा के बदले किसी की गुलामी करने को भी तैयार हो जाती हैं। उनकी इस कमजोरी का फायदा पुरुष उठाता है। वह अपने स्वार्थ की पूर्ति के लिए उसकी प्रशंसा पर प्रशंसा कर उसे अपना गुलाम बना लेता है। अतः यह सत्य है कि स्त्रियों को सौंदर्य का प्रतिमान बना दिया जाना ही उसका बंधन बन जाता है। 


प्रश्न  -'कन्यादान' कविता के उद्देश्य/मूलभाव पर प्रकाश डालिए।  


उत्तर-  ‘कन्यादान' कविता ऋतुराज जी द्वारा रचित एक उद्देश्यपूर्ण कविता है। इस कविता में उन्होंने यह स्पष्ट करने की कोशिश की है कि समाज द्वारा स्त्रियों के लिए आचरण संबंधी जो प्रतिमान गढ़े गए हैं, वे वस्तुत: आदर्शों की आड़ में बंधन हैं। युवतियाँ विवाह-पूर्व अपने भावी वैवाहिक जीवन को लेकर कल्पना की आकर्षक दुनिया में विचरण करती हैं। विवाह के बाद जब कटु यथार्थ से उनका सामना होता है तो उनकी काल्पनिक दुनिया खंड-खड हो जाती है। कवि का मानना है कि इस विकट स्थिति से बचने के लिए लड़कियों को लड़की जैसे स्वभाव का तो होना चाहिए, परंतु व्यावहारिक तौर पर उन्हें लड़कियों जैसा दिखना नहीं चाहिए।



प्रश्न  -मां का दुःख प्रामाणिक क्यों था?


 उत्तर  - माँ का दुःख प्रामाणिक इसलिए था क्योंकि उसने अपने लंबे वैवाहिक जीवन में अपने उन सपनों को मिटते, टूटते और बिखरते देखा था, जो आज उसकी बेटी अपने विवाह के अवसर पर देख रही थी। उसका दुःख इसलिए भी प्रामाणिक था क्योंकि आज वह अपनी बेटी का हाथ उसके पति के हाथ में देकर अपनी अंतिम पूँजी का दान करने जा रही थी और भविष्य में अपने सुख-दुःखों की साथिन के साथ से वंचित होने वाली थी। 


प्रश्न  -कवि ने लड़की की किन विशेषताओं पर प्रकाश डाला है?


उत्तर  - कवि ने लड़की की विशेषताओं पर प्रकाश डालते हुए कहा है कि लड़की अभी सयानी नहीं हुई थी। अर्थात् छोटी उम्र की थी। वह बहुत ही भोली तथा सरल स्वभाव की थी। वह अपने सुखों को तो महसूस कर सकती थी, परंतु उसे अपने दुःखों को पढ़ना नहीं आता था। वह जीवन के कठोर यथार्थ से अनभिज्ञ थी।

 

प्रश्न  -प्रायः समाज नई बहू के साथ कैसा व्यवहार करता है?


उत्तर -  प्राय: भारतीय समाज में नई बहू को सौंदर्य की गुड़िया के रूप में जाना जाता है। नई दुलहन सदा सज-सँवरकर रहती है। उसे नित्य नए वस्त्र और गहने पहनने को मिलते हैं। उससे मिलने वाले सब लोग उसके श्रृंगार और सौंदर्य की प्रशंसा करते हैं। परन्तु कुछ ही दिनों में उसे घर-गृहस्थी के सारे दायित्व सौंप दिए जाते हैं। उसे दहेज के रूप में पिता के घर से धन लाने को भी कहा जाता है। न लाने पर उसे यातनाएँ दी जाती हैं। कभी-कभी जलाकर मार भी दिया जाता है।


प्रश्न  - माँ ने अपनी बेटी को स्त्री के परंपरागत 'आदर्श' रूप से हटकर सीख क्यों दी?


 उत्तर- माँ ने अपनी बेटी को स्त्री के परंपरागत 'आदर्श' रूप से हटकर सीख इसलिए दी क्योंकि वह नहीं चाहती थी कि उसकी ससुराल में उसके ससुराल वाले उसके भोलेपन एवं सरलता का फायदा उठाकर उसका शोषण करें। उसपर अत्याचार करें। उसने उसे लड़की होने की शिक्षा तो दी, परंतु लड़की जैसी न दिखने के लिए आग्रह किया।




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