Ek Geet Extra Question Answer Class 12 Hindi Atmaparichay Important Questions
Ek Geet Extra Question Answer Class 12 Hindi Atmaparichay Important Questions |
आत्भपरिचय, एक गीत (हरिवंश राय बच्चन
IMPORTANT NCERT QUESTIONS
प्रश्न - कविता एक ओर जग-जीवन का भार लिए घूमने की बात करती है और दूसरी ओर "मैं कभी न जग का ध्यान किया करता हूँ।" विपरीत से लगते इन कथनों का क्या आशय है ?
उत्तर – 'कविता एक ओर जग-जीवन का भार लिए घूमने की बात करती है और दूसरी ओर मैं कभी न जग का ध्यान किया करता हूँ' दोनों ही परस्पर विपरीत कथन प्रतीत होते हैं। इन कथनों से यह आशय है कि मनुष्य एक सामाजिक प्राणी हैं। समाज से मनुष्य का नाता खट्टा-मीठा होता है। उसके जीवन में दुःख-सुख दोनों ही आते हैं। दुनिया अपने व्यंग्य-बाण और शासन-प्रशासन से मनुष्य को अनेक कष्टों के रूप में जीवन-भार प्रदान करती है। चाहकर भी मनुष्य इस जीवन भर से अलग नहीं हो सत्ता सकता। वह तो केवल संसार के वैभव से अलग अपनी मस्ती में मस्त होकर जीवन जीना चाहता है। इसलिए वह कहता भी मनुष्य इस जीवन-भार से अलग नहीं हो सकता। इस जीवन भार को उसे आजीवन ढोना ही पड़ता है। लेकिन दूसरी ओर कवि का यह कहना है कि मैं जीवन इस जग को देकर नहीं जीता क्योंकि वह इसे हृदयहीन और स्वार्थी मानता है कि मैं कभी भी जग का ध्यान नहीं करता।
प्रश्न - जहाँ पर दाना रहते हैं, वहीं नादान भी होते हैं ऐसा क्यों कहा होगा ?
उत्तर – 'जहाँ पर दाना रहते हैं, वहीं पर नादान भी होते हैं।' जहाँ अक्लमंद या समझदार रहते हैं, वहीं पर नासमझ या मूर्ख भी होते हैं, ऐसा इसलिए कहा गया होगा कि यह नाशवान संसार रंगीन है जिसमें तरह तरह के प्राणी जीव-जंतु और पदार्थ हैं। इस सृष्टि में अनेक तत्वों का समावेश है। यहाँ की प्रकृति के भी अलग-अलग रूप हैं। अतः इस जहाँ से सुख-दुःख, नर-नारी, स्थूल-सूक्ष्म, अच्छा-बुरा, मूर्ख-विद्वान् आदि सभी का अनूठा संगम है। यहाँ सुख हैं तो दुःख भी हैं, नर है तो नारी भी है अच्छाई है तो बुराई भी। इस प्रकार एक अच्छे व बुरे का या एक के विपरीत दूसरे का अटूट संबंध है। अतः जहाँ पर बुद्धिमान रहते हैं, वहीं पर नादान भी होते हैं।
प्रश्न - शीतल वाणी में आग के होने का क्या अभिप्राय है?
उत्तर - शीतल वाणी में आग के होने का अभिप्राय यह है कि कवि अपनी वाणी की शीतलता में वियोग की आग लिए जीवन जी रहा है। यहाँ आग से अभिप्राय कवि की आंतरिक पीड़ा से है, कवि प्रिया से वियोग होने पर उस विरह वेदना को अपने हृदय में दबाये फिर रहा है। अतः जहाँ उनकी संवेदनाओं में शीतलता का भाव है तो वहीं विराग और क्रोध का भाव भी मिला है। यही वियोग उनके हृदय को निरंतर जलाता रहता है जिससे उनके हृदय में आग पैदा होती है।
प्रश्न - बच्चे किस बात की आशा में नीड़ों से झाँक रहे होंगे ?
उत्तर – बच्चे अपने माता-पिता की आशा में नीड़ों से झाँक रहे होंगे। माँ-बाप से बिछुड़कर बच्चे अपने-अपने घौंसलों में यही आशा मन में लिए रहते होंगे कि उनके माता-पिता लौटकर कब आएंगे ? कब उनकी माँ उनको लाइ प्यार करेगी ? कब उनको भोजन करा उनकी भूख शांत करेगी। इस प्रकार बच्चे अपने नीड़ों से ऐसी आशाएँ लेकर झांक रहे होंगे।
प्रश्न - दिन जल्दी-जल्दी ढलता है की आवृत्ति से कविता की किस विशेषता का पता चलता है ?
उत्तर – दिन जल्दी-जल्दी ढलता है की आवृत्ति से कविता की इस विशेषता का पता चलता है कि समय परिवर्तनशील है जो निरंतर चलता रहता है। यह कभी भी नहीं रुकता न ही यह किसी की प्रतीक्षा करता है। इस पर जीवन एक पल में समाप्त होने वाला है। अतः कब जीवन समाप्त हो जाए किसी को नहीं पता। इसलिए मनुष्य को अपने लक्ष्य को अति शीघ्रता से प्राप्त कर लेना चाहिए। मनुष्य में वह विश्वास होना चाहिए कि वह कम-से-कम समय में अपनी मंजिल को प्राप्त कर लें।
EXTRA QUESTION ANSWERS
परीक्षोपयोगी अन्य प्रश्नोत्तर
प्रश्न -'आत्म-परिचय' कविता का मूल भाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर - श्री हरिवंशराय बच्चन' द्वारा रचित कविता 'आत्म-परिचय', 'बुद्ध और नाचघर' नामक काव्य संग्रह से संकलित है जिसमें कवि ने यह चित्रण किया है कि मनुष्य द्वारा अपने को जानना या आत्मबोध दुनिया को जानने से अत्यंत कठिन है। समाज से मनुष्य का नाता खट्टा-मीठा होता है। इस संसार से अलग रहना असंभव है। मनुष्य चाहकर भी जग से अलग नहीं हो सकता। मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है अतः मनुष्य का इस जग से अटूट संबंध है। संसार अपने व्यंग्य-बाणों तथा शासन-प्रशासन से उसे चाहे कितने ही कष्ट एवं पीड़ाएँ क्यों न दे पर मनुष्य इस जगह से अलग नहीं रह सकता। ये दुनिया ही उसकी पहचान है। जहाँ पर वह अपना परिचय देते हुए इस संसार से दुविधात्मक संबंधों का मर्म प्रकट करता हुआ जीवन जीता है। इस दुनिया में मनुष्य का जीवन द्वंद्व एवं विरुद्धों में का सामंजस्य है। सुख-दुःख का समन्वय है।
प्रश्न - कवि कैसे जीवन की कामना करता है?
उत्तर—कवि ऐसे जीवन की कामना करता है जो प्रेम, मस्ती, आनंद, सौंदर्य से भरपूर हो, जिसमें चारों तरफ सुंदरता है प्रेम रूपी मदिरा का मौसम है। जहाँ वह केवल प्रेम रूपी मदिरा पीकर उसी में डूबकर आनंद मग्न हो जाए। कहीं कोई ईर्ष्या-द्वेष जैसे कुविचार न हों, जिसमें यौवन की मदमस्त करने वाली उन्माद हो ।
प्रश्न - आत्मपरिचय कविता में कवि संसार को क्या संदेश देना चाहता है?
उत्तर – आत्मपरिचय कविता श्री हरिवंशराय बच्चन द्वारा रचित है। इसमें कवि संसार को मस्ती का संदेश देना चाहता है। ऐसी मस्ती जिसको सुनकर यह संपूर्ण संसार मदमस्त होकर आनंद विभोर हो उठे । वह आनंदित होकर नृत्य करने लगे और इसी मस्ती में सदैव लहराता रहे।
प्रश्न - आत्म-परिचय कविता के माध्यम से स्पष्ट कीजिए कि कवि क्यों रोया होगा ?
उत्तर- कवि प्रेम एवं मस्ती की कोमल भावनाओं से भरा हुआ है। उसे अपने जीवन में किसी प्रिया से असीम प्रेमभाव हुआ किंतु दुर्भाग्य से वह प्रेम पूर्ण नहीं हो सका जिसके बाद कवि को अगाध विरह पीड़ा को सहन करना पड़ा। जो पीड़ा उनके रोदन के माध्यम से प्रकट हुई। यही कारण है कि कवि रोया होगा।
प्रश्न - दिन जल्दी-जल्दी ढलता है' कविता का मूल भाव अथवा प्रतिपाद्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- 'दिन जल्दी-जल्दी ढलता है' गीत हरिवंशराय बच्चन के निशा-निमंत्रण गीत संग्रह से संकलित है। इस गीत में कवि ने प्रकृति के दैनिक परिवर्तनशीलता के संदर्भ में प्राणी के धड़कते हृदय की भावनाओं को सुनने का प्रयास किया है। समय चिर परिवर्तनशील है। किसी प्रिय के मिलने का आश्वासन ही हमारे प्रयास के चरणों की गति में और अधिक गतिशीलता एवं साहस पैदा कर देता है।
प्रश्न - 'मानव-जीवन क्षणभंगुर है' पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर - कवि के कहने का अभिप्राय यह है कि मानव-जीवन पल में समाप्त होने वाला है। अतः समय बहुत कम है जो अत्यंत तेज़ी से गुज़रता हुआ चलता है। मनुष्य रूपी यात्री को यह चिंता रहती है कि उसके लक्ष्य को प्राप्त करने से पहले ही उसके रास्ते में रात न हो जाए। कवि कहता है कि दिन अत्यंत शीघ्रता से व्यतीत होता है।
प्रश्न - 'मंज़िल भी तो है दूर नहीं' पंक्ति में निहित लाक्षणिक अर्थ को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – इस पंक्ति का आशय है कि मनुष्य की वह मंज़िल भी अधिक दूर नहीं है जहाँ उसे मृत्यु के बाद पहुँचना है।
प्रश्न - कौन-सा ध्यान चिड़ियों के पंखों में न जाने कितनी चंचलता भर देता है ?
उत्तर- चिड़ियों के पंखों में यह ध्यान चंचलता उत्पन्न करता है कि संध्या के समय घौंसलों में उनके बच्चे उनके आने की प्रतीक्षा करते हुए घौंसलों से झाँक रहे होंगे। इससे उनके पंखों में वात्सल्य भाव के कारण अत्यधिक गति आ जाती है और वे शीघ्र अतिशीघ्र अपने घौंसलों तक पहुँचना चाहते हैं।
प्रश्न - कवि किसकी यादों को अपने दिल में संजोकर घूमता है ?
उत्तर – कवि कहता है कि उसने अपनी जवानी में किसी से प्रेम किया था और उसकी यादों को अपने हृदय में संजोया था। आज उसी की यादों को अपने हृदय में संजोकर घूम रहा हूँ।
प्रश्न - कवि ने संसार को मूर्ख क्यों कहा है ?
उत्तर – कवि संसार को मूर्ख इसलिए कहता है क्योंकि यह संसार सत्य की खोज में मिटे असंख्य महापुरुषों को देखकर भी सचेत नहीं हुआ। सत्य को जानने के लिए असंख्य महापुरुष लोग यत्न कर मिट गए। यह बात जानकर भी यह संसार मूर्ख है।
प्रश्न - कवि संसार में किस चीज़ से प्रभावित नहीं होता ?
उत्तर – कवि पृथ्वी पर व्याप्त धन-दौलत तथा शान-ओ-शौकत से तनिक भी प्रभावित नहीं होता है। ऐसी शानो शौकत को वह पग-पग पर ठुकराता चलता है। वह कहता है जिस पृथ्वी पर यह संसार झूठे धन-दौलत तथा शान और शौकत खड़ा करता है, वह ऐसी पृथ्वी को पग-पग पर ठुकरा देता है। यह धन वैभव कवि को तनिक भी विचलित नहीं कर सकता।
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