Class 9 Hindi – Chapter 10 Vaakh Important Questions वाख Laldayad

Class 9 Hindi Chapter 10 Vaakh Important Questions वाख Laldayad


Class 9 Hindi – Chapter 10 Vaakh Important Questions वाख Laldayad
Class 9 Hindi – Chapter 10 Vaakh Important Questions वाख Laldayad

Class 9 Hindi – Chapter 10 Vaakh Important Questions वाख Laldayad - NCERT IMPORTANT QUESTION

वाख (ललद्यद)


प्रश्न - कवयित्री द्वारा मुक्ति के लिए किए जाने वाले प्रयास व्यर्थ हो क्यों हो रहे है ? 

कवयित्री के कच्चे सकोरे रूपी शरीर से जीवन प्राण रूपी जल निरंतर टपक रहा है। स्वाँस रूपी कच्ची रस्सी से अपनी नौका को खींच रही है। इन्हीं कारणों से मुक्ति पाने के सारे प्रयास व्यर्थ हो रहे है।


प्रश्न- कवयित्री का "घर जाने की चाह" से क्या अभिप्राय है?

कवयित्री का घर जाने की चाह से अभिप्राय: है उस वास्तविक, घर जाने या अर्थात् परमात्मा के घर जाने की चाह जहाँ से आत्मा आकर नश्वर शरीर धारणा करती है और मोह माया में फंसकर दुख भोगती है।


प्रश्न- ज्ञानी से कवयित्री का क्या अभिप्राय है ? 

ज्ञानी से कवयित्री का अभिप्राय ऐसे व्यक्ति से है जो हमेशा बाहरी दिखावे और सांसारिक मोह-माया से दूर रहता है। अपने ही अंदर अपने हैको खोजने का प्रयास करता है।


प्रश्न - भाव स्पष्ट कीजिए


(क) जेब टटोली कौड़ी न पाई।


उत्तर- मनुष्य इस संसार में जन्म लेकर मोह-माया में फंसकर रह जाता है। वह सद्कर्म नहीं करता और ईश्वर की भक्ति भी नहीं कर पाता। जब वह इस संसार को छोड़कर वापिस जाने के लिए तैयार होता है तो उसकी जेब में एक भी सद्गुण रूपी कौड़ी नहीं होती। इसलिए वह उतराई के रूप में ईश्वर को भी देने में असमर्थ होता है।



(ख) खा-खाकर कुछ पाएगा नहीं, न खाकर बनेगा अहंकारी। 




उत्तर- मनुष्य इस संसार में जन्म लेकर मोह-माया में फंस कर रह जाता है। यदि वह जीवन में तरह-तरह के व्यंजन खाता रहता है तो वह जीवन में कुछ भी प्राप्त नहीं कर पाता। यदि वह व्रत, नियम का पालन करते हुए कुछ नहीं खाता तो वह अहंकारी बन जाता है। भाव यह है कि व्रत, नियम आदि बाह्य आडम्बरो से ईश्वर की प्राप्ति नहीं हो सकती। समभाव की स्थिति उत्पन्न करने से ही ईश्वर की प्राप्ति हो सकती। है।


प्रश्न -  बंद द्वार की साँकल खोलने के लिए ललद्यद ने क्या उपाय सुझाया है?


उत्तर- कश्मीरी संत कवयित्री ललद्यद का कहना है कि मनुष्य को अपने अंतःकरण तथा बाह्य इन्द्रियों पर नियंत्रण करना चाहिए। जब मनुष्य तन-मन पर नियंत्रण स्थापित कर लेता है तो उसकी चेतन शक्ति व्यापक हो जाती है। इस स्थिति पर पहुंचकर ही आत्मा के दरवाजे पर लगी हुई अहंकार और अज्ञान की कुंडी खुल जाती है।


Class 9 Hindi – Chapter 10 Vaakh Important Questions वाख Laldayad EXTRA QUESTIONS

 

प्रश्न - कवयित्री के जी में रह-रह कर हूक-सी क्यों उठती है? 


उत्तर- कवयित्री के जी में रह-रह कर हूक-सी इसलिए उठती है क्योंकि वह काफी लम्बे समय से ईश्वर की आराधन कर रही है कि वह उसे अपने घर में स्थान दें, परन्तु इस दिशा में कवयित्री के किए गए सभी प्रयास व्यर्थ सिद्ध हो रहे हैं।


प्रश्न - 'बीत गया दिन आह!' का अर्थ स्पष्ट करें।


उत्तर- ‘बीत गया दिन आह!' का अर्थ है-जीवन का व्यर्थ व्यतीत हो जाना। कवयित्री कहती है कि जब वह इस संसार में जन्मी थी तब वह पूरी तरह स्वच्छ तथा पवित्र थी, परन्तु इस संसार में आकर वह सांसारिक मोह-माया में होगा फंस गई। इसके कारण वह किसी प्रकार के सद्गुणों को एकत्र न कर सकी। इसी कारण जीवन के अन्तिम क्षणों में उसे लगता है कि उसका यह जीवन व्यर्थ हो गया है। इस कारण वह अफसोस प्रकट करती है। 


प्रश्न - कवयित्री के अनुसार ईश्वर को कौन पहचान सकता है?


 उत्तर- कवयित्री के अनुसार ईश्वर इस संसार के कण-कण में विद्यमान है, परन्तु हर कोई उसे नहीं पहचान सकता। उसे केवल वही पहचान सकता है जो जाति-पाँति के भेद-भाव से ऊपर उठकर सबसे पहले स्वयं को पहचान लेता है।





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