Important Questions Class 9 लहासा की ओर Lhasa ki Aur Extra Question Answers
ल्हासा की ओर (NCERT Important Questions)
(राहुल सांकृत्यागन)
प्रश्न 1. उस समय तिब्बत में हथियार का कानून न रहने के कारण यात्रियों को किस प्रकार का भय बना रहता था ?
उस समय तिब्बत में हथियार का कानून न होने के कारण वहाँ के लोग हाथों में लाठी-डंड़ों की जगह बन्दुक और पिस्तौल लेकर घूमते थे । इसी कारण से डाकू लोगो को मारते पहले थे लूटते बाद में। डाकू यात्रियों के साथ भी ऐसा ही व्यवहार करते थे। इसी कारण यात्रियों को हमेशा जान का खतरा बना रहता था।
प्रश्न 2 लेखक लड़्कोर के मार्ग में अपने साथियों से किस कारण पिछड़ गया ?
लेखक का घोड़ा बहुत धीरे-धीरे चल रहा था लेखक समझ रहा था कि उसका घोडा अत्यंत थक गया है इसलिए अपने साथियों से वह बहुत पीछे रह गया। एक जगह दो रास्ते निकल रहे थे लेखक गलत रास्ते पर एक डेढ मील चला गया। इन्ही कारणों से लेखक लड़्कोर के मार्ग में अपने साथियों से पिछड़ गया।
प्रश्न-3 अपनी यात्रा के दौरान लेखक को किन कठिनाईयों का सामना करना पड़ा?
अपनी यात्रा के दौरान लेखक को निम्नलिखित कठिनाईयों का सामना करना पड़ा:-
1.लेखक को दुर्गम मार्ग की कठिन चढ़ाई चढ़नी पड़ी।
2. लेखक भिखमांगे के वेश में गया था इसलिए टोपी उतारकर, जीभ निकालकर उन्हें जगह-जगह भीख मांगनी पड़ी।
3.सुस्त घोड़े के कारण लेखक अपने साथियों से बिछड़ गया।
4. भारवाहक न मिलने के कारण अपना बोझा स्वयं ढोना पड़ा।
5. भिखमंगे के वेश में होने के कारण रहने को सुरक्षित जगह नहीं मिली।
प्रश्न-4 प्रस्तुतः यात्रा वृतांत के आधार पर बताइए कि उस समय का तिब्बती समाज कैसा था?
उस समय तिब्बती समाज में अधविश्वासों का बोलबाला था। लोग गंडे-तबीज पर ज्यादा विश्वास करते थे। कानून व्यवस्था और हथियारों का कानून न होने कारण यात्रियों को लूट लिया जाता था और उनकी हत्या भी कर दी जाती थी। इसके साथ-साथ वहाँ के समाज में कुछ अच्छी बात भी थी। वहाँ पर जाति प्रथा और छुआछूत नहीं थी। स्त्रियों को पर्दे में नहीं रहना पड़ता था । अपरिचित व्यक्ति भी घर के अन्दर तक जा सकता था। सभी लोग बौद्ध भिक्षुओं का अत्यधिक आदर करते थे।
प्रश्न - लेखक ने शेकर विहार में सुमति को उनके यजमानों के पास जाने से रोका, परंतु दूसरी बार रोकने का
प्रयास क्यों नहीं किया?
उत्तर- लेखक ने शेकर विहार में सुमति को उसके यजमानों के पास जाने से इसलिए रोका क्योंकि वह वहाँ अकेला रह
जाता, सुमति को यजमानों से मिलने में कई दिन लग जाते। इससे उसकी यात्रा में विलम्ब हो जाता, परंतु दूसरी बार
रोकने का प्रयास इसलिए नहीं किया क्योंकि जिस मंदिर में वह बैठा था, वहाँ बुद्ध वचन अनुवाद की हस्तलिखित
103 पोथियाँ थीं, इनमें से प्रत्येक पोथी का वजन 15 सेर से कम नहीं था। वह इन पोथियों का अध्ययन करने
लग गया ताकि वह इन पोथियों के विषय को जान सके।
Lahasa ki Aur- Extra Questions
प्रश्न - लेखक ने अपनी यात्रा के समय तिब्बत के लोगों का व्यवहार कैसा पाया?
उत्तर- अपनी यात्रा के दौरान लेखक ने पाया कि तिब्बत के लोग जाति-पाँति अथवा छूत-अछूत का भेदभाव नहीं रखते। स्त्रियाँ घूंघट इत्यादि नहीं करतीं। वहाँ के लोग केवल चोरी के डर से निम्न श्रेणी के भिखमंगों को अपने घरों में प्रवेश नहीं करने देते, परन्तु अपरिचितों की भी सहायता को तैयार रहते हैं।
प्रश्न - हाल ही में हुए खून की लेखक ने परवाह क्यों नहीं की?
उत्तर- हाल ही में हुए खून की लेखक ने इसलिए परवाह नहीं की क्योंकि वह भिखमंगों के वेश में था। उसे इस वेश में होते हुए अपने साथ इस प्रकार की दुर्घटना होने का कोई भय नहीं था। उसे यदि कहीं इस प्रकार का खतरा महसूस भी होता तो वह अपनी टोपी उतारकर जीभ निकाल "कुची कुची (दया-दया) एक पैसा" कहने लगता।
प्रश्न - डांडे नामक स्थान के प्राकृतिक सौन्दर्य का वर्णन करें।
उत्तर- डांडे नामक स्थान समुद्र तल से 17-18 हजार फीट की ऊँचाई पर था। वहाँ लेखक के दक्षिण तरफ पूर्व से पश्चिम की ओर हिमालय के हजारों श्वेत शिखर दिखाई देते थे। भीटे की ओर दिखने वाले पहाड़ बिल्कुल नंगेथे। वहाँ न बर्फ की सफेदी थी न हरियाली। उत्तर दिशा की तरफ बहुत कम बर्फ वाली चोटियाँ दिखाई पड़ती थीं।
प्रश्न - तिङ्री से चलते समय लेखक को क्या परेशानी हुई?
उत्तर- तिङ्री से चलते-चलते 10-11 बज गए थे। धूप बहुत तेज हो चुकी थी। जिधर लेखक को जाना था उधर से सूर्य देवता उसके माथे पर सीधी धूप छिटका रहे थे तो दूसरी तरफ पीछे बर्फ की चोटियाँ थीं जिनकी शीतलता उसके कंधे को बर्फ बना रही थी। इस प्रकार तिङ्री से चलते समय लेखक को एक साथ धूप व बर्फ का प्रकोपझेलना पड़ा।
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Hello
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