Spiti mein Barish Extra Question Answer-Class 11 Hindi Important Questions स्पीति में बारिश

Spiti mein Barish Extra Question Answer-Class 11 Hindi Important Questions स्पीति में बारिश

Spiti mein Barish Extra Question Answer-Class 11 Hindi Important Questions स्पीति में बारिश
Spiti mein Barish Extra Question Answer-Class 11 Hindi Important Questions स्पीति में बारिश

Spiti mein Barish - NCERT IMPORTANT QUESTION ANSWERS

 प्रश्न -  इतिहास में स्पीति का वर्णन नहीं मिलता। क्यों ? 


उत्तर – स्पीति मध्य हिमालय की बारालाचा और माने पर्वत श्रेणियों से घिरा हुआ अत्यंत दुर्गम स्थान है। स्पीति - सागर तल से लगभग तेरह हज़ार फ़ीट की औसत ऊँचाई पर स्थित है। इसे घेरने वाली पर्वत श्रेणियों की ऊँचाई सोलह हज़ार से लेकर इक्कीस हज़ार फ़ीट तक है। स्पीति मुख्य देश से लगभग आठ-नौ महीनों तक कटा रहता है। प्राचीन समय में यहाँ तक पहुँचना बहुत कठिन था। यहाँ की आबादी भी बहुत कम थी। सन् 1901 ई० की जनगणना के अनुसार यहाँ की जनसंख्या प्रति वर्ग मील दो से भी कम थी। इन भौगोलिक कठिनाइयों के कारण इतिहास में स्पीति का वर्णन नहीं मिलता है।


 



प्रश्न - स्पीति के लोग जीवनयापन के लिए किन कठिनाइयों का सामना करते हैं ?


उत्तर – स्पीति में वसंत और शीत दो ऋतुएँ होती हैं। यहाँ की पर्वत चोटियां पेड़ों से रहित नंगी हैं। यहां फूल नहीं खिलते और न ही हरियाली आती है। वर्षा ऋतु इनके लिए एक नाम मात्र है। यहाँ कभी-कभी वर्षा होती है परंतु वह भी नाममात्र के लिए। यहाँ की धरती सूखी, ठंडी तथा बांझ ही रह जाती है। पहाड़ी नालों अथवा उन पर बनाए गए पुल से पानी लेकर ये लोग जौ, गेहूँ, मटर और सरसों की खेती करते हैं। यह फ़सल भी साल में एक बार होती है। स्पीति में खेती योग्य ज़मीन तो बहुत है परंतु सिंचाई की सुविधा न होने से उसे उपजाऊ नहीं बनाया जा रहा। यहाँ कोई फल नहीं होता है। शीत ऋतु में घरों को गर्म रखने के लिए इनके पास लकड़ी भी नहीं होती है। इस प्रकार यहां के लोग जीवन जीने के लिए अनेक कठिनाइयों का सामना करते हैं।


Spiti mein Barish -EXTRA MOST IMPORTANT QUESTION ANSWERS



प्रश्न - लेखक माने श्रेणी का नाम बौद्धों के माने मंत्र के नाम पर करने के पक्ष में क्यों है?


उत्तर- लेखक की बौद्ध-दर्शन में विशेष रुचि है। उसने भारतीय एवं तिब्बती आचार्यों के साथ बैठकर नागार्जुन के दर्शन तथा बौद्धों की वज्रयानी परंपरा का अध्ययन किया था। इन्होंने बौद्ध दर्शन पर बहुत लिखा भी है। इसलिए अपनी हिमालय यात्रा के दौरान भी उन्होंने बौद्ध धर्म से जुड़े स्थानों की खोज जारी रखी। मध्य हिमालय में स्पीति को घेरने वाली पर्वत श्रेणियों में दक्षिण में जो पर्वत-श्रेणी इसे घेरती है उसका नाम माने श्रेणी है। लेखक को ऐसा लगता है कि इस पर्वत श्रेणी का नाम माने पर्वत श्रेणी इसलिए रखा गया होगा क्योंकि बौद्धों का माने मंत्र ‘ओं मणि नमे हुं' इनका बीज मंत्र है। इस मंत्र का बौद्धों में बहुत महत्त्व है। इन पहाड़ियों पर बौद्धों ने इस मंत्र का इतना अधिक जाप किया होगा कि इस पर्वत श्रेणी का नाम ही माने पर्वत श्रेणी पड़ गया होगा। इसलिए लेखक माने पर्वत श्रेणी का नाम बौद्धों के माने मंत्र के आधार पर रखने के पक्ष में है।




प्रश्न -  'वर्षा यहाँ एक घटना है, एक सुखद संयोग है'- लेखक ने ऐसा क्यों कहा है ?



उत्तर - लेखक का मानना है कि स्पीति में केवल दो ऋतुएँ शीत और बसंत होती हैं। बसंत भी केवल जून से सितंबर

तक होती है तथा शेष महीने शीत ऋतु के होते हैं। जुलाई में भी औसत तापमान 15° सेंटीग्रेड रहता है। वर्षा' तो यहाँ

के लोगों के लिए एक नाम है। कभी-कभी यहाँ वर्षा होती भी है तो भी यहाँ की धरती सूखी, ठंडी और बांझ ही बनी रहती

है। लेखक काजा के डाक बंगले में सो रहा था तो आधी रात के बाद उसकी खिड़की बजने लगी। वह खिड़की का पल्ला

खोलकर देखता है तो तेज़ हवा के झोंके से बचने के लिए वह खिड़की का पल्ला भेड़ देता है। तभी उसे बाहर वर्षा होने

की आवाज़ सुनाई देती है। बाहर ओले गिरे रहे थे। वह सो जाता है। सुबह उसे स्पीति के लोग बताते हैं कि

बहुत दिनों बाद यहाँ वर्षा हुई है। आप का यहाँ आना शुभ है, इसलिए वर्षा हुई है। स्पीति के लोगों की इस मान्यता के आधारपर लेखक ने यह कहा है कि स्पीति में वर्षा का आना एक घटना और एक सुखद संयोग है।





प्रश्न - स्पीति के लोगों और मैदानी भागों में रहने वाले लोगों के जीवन की तुलना कीजिए। किन का जीवन आपको ज्यादा अच्छा लगता है और क्यों ?


उत्तर – स्पीति के लोगों का जीवन बहुत ही कठिनाई से भरा हुआ है। आठ-नौ महीनों तक उनका संपर्क मुख्य भूमि से कट जाता है। उनके पास खाने के लिए जौ, गेहूँ, मटर और सरसों के अतिरिक्त कुछ नहीं होता। उनके पास मनोरंजन, यातायात और संचार के साधन भी नहीं हैं। इसके विपरीत मैदानी भागों में रहने वाले लोगों के पास समस्त सुख-सुविधाएँ हैं। वे मनचाहा खा-पी सकते हैं। उनके पास यातायात, मनोरंजन, संचार आदि की सारी सुविधाएँ उपलब्ध हैं। मुझे मैदानी भागों में रहने वाले लोगों का जीवन ज़्यादा अच्छा लगता है क्योंकि इन्हें जीवन-यापन करने की समस्त सुविधाएँ उपलब्ध हैं।




प्रश्न -  स्पीति की भौगोलिक स्थिति का वर्णन कीजिए। 


उत्तर – स्पीति मध्य हिमालय में 31.42 और 32.59 अक्षांश उत्तर और 77.26 और 78.42 पूर्व देशांतर के बीच स्थित है। यह चारों ओर से बारालाचा और माने पर्वत श्रेणियों से घिरी हुई घाटी है। इन पर्वत श्रेणियों की चोटियाँ सोलह हज़ार से लेकर बाईस हज़ार फ़ीट तक ऊँची हैं। स्पीति सागर तल से 12,986 फ़ीट की ऊँचाई पर है। यहाँ जुलाई में तापमान 15° सेंटीग्रेड और जनवरी में औसतन 8° सेंटीग्रेड रहता है। यहाँ केवल दो ऋतुएँ बसंत और शीत होती हैं। बसंत जून से सितंबर तक रहती है। वर्षा यहाँ कभी-कभी होती है। यहाँ केवल एक फ़सल होती है, जिसमें गेहूँ, जौ, मटर और सरसों बोए जाते हैं। सिंचाई पहाड़ों से आ रहे नालों से की जाती है। स्पीति का क्षेत्रफल 2155 वर्गमील और सन् 1971 ई० की जनगणना के अनुसार जनसंख्या 7196 थी।


प्रश्न -  स्पीति में 'वायरलेस सेट' का ही उपयोग क्यों होता है ?


 उत्तर- इस क्षेत्र में आधुनिक संचार साधनों का अभाव है। यहाँ वर्ष के नौ महीने बर्फ जमी रहती है। वसंत में भी यहाँ के 170 मील का सफ़र करना  कठिन है। शीतकाल में तो यह भी मुश्किल हो जाता है। इसलिए लाहुल स्पीति का केलंग और काजा के मध्य संदेश भेजने का एकमात्र साधन 'वायरलेस सेट' ही है।



प्रश्न - केलंग के बादशाह को क्या भय लगा रहता था ?


उत्तर-  स्पीति का केलंग और काजा अत्यंत दुर्गम पहाड़ी क्षेत्र है। यहाँ वर्ष के अधिकाँश महीनों में बर्फ जमी रहती है। दोनों के बीच 170 मील की दूरी है जिसे पार करने में महीनों लग जाते हैं। केलंग के बादशाह को यह भय लगा रहता था कि कहीं काजा का सूबेदार उसकी अवज्ञा करके बगावत न कर दे।




प्रश्न - सन् 1873 ई० में पास स्पीति रेगुलेशन क्या था ?


उत्तर – सन् 1873 ई० में स्पीति रेगुलेशन पास हुआ था। इसके अनुसार लाहुल और स्पीति को विशेष स्थान दिया गया। इसके अनुसार यहाँ ब्रिटिश भारत के अन्य कानून लागू नहीं होते थे। यहाँ के प्रशासनिक अधिकार नोनो को दिए गए जो मालगुज़ारी एकत्र करने के अतिरिक्त छोटे-मोटे फौजदारी मुकद्दमों का निर्णय भी करता था।



प्रश्न -  लाहुल-स्पीति के लोग आक्रमणकारी अथवा किसी आपदा का सामना कैसे करते हैं ?


उत्तर – लाहुल-स्पीति के लोग किसी आपदा के समय आँख बंद कर के चाँग्मा का तना पकड़कर अथवा एक - दूसरे को पकड़कर बैठ जाते हैं और जब वह आपदा समाप्त होती है तो डरते-डरते आँख खोलकर उठते हैं जैसा कि तुपचिलिंग गोनपा में डाइनामाइट के विस्फोट के समय हुआ था। जोरावर सिंह के आक्रमण के समय ये लोग घर छोड़ कर भाग गए थे तथा उसने वहाँ खूब लूट-मार की थी।



प्रश्न - लेखक युवक-युवतियों से क्या चाहता है ?


उत्तर-  लेखक चाहता है कि मैदानों और पहाड़ों से युवक-युवतियाँ इस क्षेत्र में आएँ और यहाँ की पहाड़ियों और दुर्गम घाटियों का मान-मर्दन करें। वे अपने साहस से इन पर्वत की चोटियों पर विजय प्राप्त करें तथा अपने क्रिया कलापों से यहाँ के उदासी में डूबे वातावरण को खुशी से भर दें।



प्रश्न -  लाहुल-स्पीति में कितनी ऋतुएँ होती हैं ?


उत्तर—यहाँ केवल दो ऋतुएँ होती हैं। जून से सितंबर तक अल्पकालिक वसंत ऋतु होती है तथा शेष वर्ष में शीत ऋतु रहती है। जुलाई में यहाँ का औसत तापमान 15° सेंटीग्रेड और जनवरी में औसत तापमान 8° सेंटीग्रेड होता है। वसंत में दिन गर्म और रात ठंडी होती है, परंतु शीत में तो मात्र शीत ही होती है।


प्रश्न - स्पीति में कितनी और कौन-कौन-सी फसलें होती हैं ? 


उत्तर – स्पीति में साल में केवल एक फ़सल होती है। यहाँ मुख्य रूप से जौ, गेहूँ, मटर और सरसों की फ़सल होती है। इनमें जौ की फ़सल मुख्य है।



प्रश्न - स्पीति के लोगों ने लेखक की यात्रा को शुभ क्यों कहा ? 


उत्तर- -स्पीति में वर्षा नहीं होती। यहाँ वर्षा का होना एक घटना माना जाता है। लेखक जब काजा के डाक बंगले में सो रहा था तो उसे लगा कि कोई उनके कमरे की खिड़की खड़का रहा है। उसने उठ कर देखा तो बारिश हो रही थी। उनके आने पर वर्षा हुई थी, इसलिए स्पीति के लोगों ने उनकी यात्रा को शुभ कहा।




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