Important Questions - Utsah At Nahi Rahi Hai Extra Questions-उत्साह अट नहीं रही है
उत्साह और अट नहीं रही है (सूर्यकांत त्रिपाठी निराला)
प्रश्न -कवि बादल से फुहार, रिमझिम या बरसने के स्थान पर 'गरजने' के लिए कहता है, क्यों?
उत्तर - कवि बादलों को क्रान्ति उत्पन्न करने का सूत्रधार कहता है। इसलिए वह उसे गरजने और बरसने के लिए बुलाता है।रिमझिम करने अथवा केवल बरसने के लिए नहीं कहता। कवि का विचार है कि बादल की गर्जन-तर्जन मनुष्यों में जोश, उत्साह और उमंग को उत्पन्न कर सकती है। बादल की फुहार, रिमझिम या वर्षा यह कार्य नहीं कर सकती है। कवि लोगों के दुखों को दूर करने के लिए बादल से क्रान्तिकारी शक्ति की अपेक्षा करता है।
प्रश्न - कविता का शीर्षक उत्साह क्यों रखा गया है?
उत्तर -कविता का शीर्षक 'उत्साह' इसलिए रखा गया है क्योंकि बादलों को उमड़ता हुआ देखकर लोगों में जोश, उमंग और उत्साह उत्पन्न हो जाता है। दूसरी ओर बादल की गर्जना सामाजिक क्रान्ति का भी प्रतीक है। यह लोगों में उत्पन्न जोश को भी सूचित करता है। अतः कविता का शीर्षक 'उत्साह' सर्वथा उचित है।
प्रश्न -कविता में बादल किन-किन अर्थों की ओर संकेत करता है?
उत्तर- कविता में बादल का वर्णन जल बरसाने वाली शक्ति के रूप में किया गया है। दूसरा बादलों का वर्णन उत्साह और संघर्ष के भाव उत्पन्न करने वाले कवि के रूप में भी किया गया है। अंत में बादलों का वर्णन लोगों के दुःख और पीड़ा को दूर करने वाली शक्ति के रूप में भी किया गया है।
प्रश्न - 'उत्साह' कविता में क्या संदेश निहित है। स्पष्ट करें।
उत्तर - 'उत्साह' कविता स्वतंत्रता आंदोलन व प्रगतिवाद के समय लिखी गई कविता है। इस कविता में कवि ने यह संदेश देने की कोशिश की है कि जिस प्रकार बादल अपनी गर्जन-तर्जन से, अपने रूप-स्वरूप से, अपने अंदर छिपी विद्युत और वज्र की सी कठोरता से तप्त धरा को शीतलता और जनजीवन को एक नया जीवन पाने हेतु उत्साहित कर देता है, उसी प्रकार मनुष्य भी अपने अंदर छिपे गुणों व शक्ति की घोषणा करके अपने अधिकार पाने हेतु प्रवृत्त हो सकता है। वह ऐसा करके परतंत्रता की बेड़ियों को भी तोड़ सकता है। 'उत्साह' का मूल स्वर क्रांति है।
प्रश्न - 'उत्साह' कविता में कवि और बादल में क्या समानता दिखाई देती है?
उत्तर- उत्साह कविता में कवि और बादल में यह समानता दिखाई देती है कि जिस प्रकार बादल अपनी गजर्न-तर्जन और वर्षा से मुरझाई धरती में न केवल एक नया जीवन फूँक देते हैं अपितु उसे उपजाऊ भी बना देते हैं, उसी प्रकार कवि भी अपनी कविता के माध्यम से जन-सामान्य में उत्साह का संचार करके उनमें निराशा और हताशा के स्थान पर एक नई उमंग भर देता है।
प्रश्न - 'अट नहीं रही है' कविता के आधार पर फागुन मास की प्रकृति का वर्णन अपने शब्दों में करें।
उत्तर -‘अट नहीं रही है' कविता के आधार पर कहा जा सकता है कि फागुन मास की प्रकृति बड़ी मादक, मनोरंजक, मनोरम व आहह्लादकारी होती है। पेड़-पौधे हरी पत्तियों, लाल कोंपलों व रंग-बिरंगे फूलों से लद जाते हैं। पेड़-पौधों से आने वाली मादक महक प्राणियों की साँसों में एक नशे की भाँति समा जाती है। पक्षी अपने पंख खोलकर उड़ने को लालायित दिखाई देते हैं। जगह-जगह की शोभा इतनी अधिक होती हैं कि वह देखने वाले की आँखों में समा नहीं पाती और छलक कर गिर पड़ती है। उत्तर
प्रश्न - कवि ने फागुन मास का मानवीकरण करते हुए क्या कहा है?
उत्तर -कवि ने फागुन मास का मानवीकरण करते हुए कहा है कि फागुन मास कभी अपनी साँसों से अर्थात् मादक महक से सारे वातावरण को मादक बना देता है तो कभी वह पक्षियों का रूप धरकर आकाश में उड़ने को आतुर दिखाई देता है। इसी प्रकार कभी वह अपने हृदय पर मंद-मंद सुगंधी वाले पुष्पों की माला धारण कर लेता है।
प्रश्न -कवि की आँख फागुन की सुंदरता से क्यों नहीं हट रही है?
उत्तर - फागुन का महीना बड़ा ही मतवाला, सुंदर, मस्त तथा शोभाशाली होता है। इस महीने में प्राकृतिक वातावरण में रंग-बिरंगे फूल तथा लाल-हरे पत्ते दिखाई देते हैं। खेत-खलियानों तथा बाग-बगीचों में प्रकृति की सुंदरता दृष्टि को अपनी ओर आकर्षित कर लेती है। आम व्यक्ति भी पेड़-पौधों, लाल-लाल कोंपलों तथा हरे पत्ते से लदे हुए वृक्षों को देखकर आनंदित हो उठता है। इसलिए कवि की आँख फागुन की सुंदरता से नहीं हट पा रही है।
प्रश्न - प्रस्तुत कविता में कवि ने प्रकृति की सुंदरता की व्यापकता का वर्णन किन रूपों में किया है?
उत्तर - कवि ने प्रकृति की सुंदरता की व्यापकता का वर्णन अनेक रूपों में किया है। इस महीने में हर दिशा में सौंदर्य और उल्लास दिखाई देता है। फागुन मास की सुंदरता सर्वव्यापक है। सभी पेड़-पौधे लाल-लाल कोंपलों तथा हरे पत्तों से लद जाते हैं। फूलों की सुगंध के कारण पूरा वातावरण महक उठता है। सर्वत्र सुंदरता और मादकता का वातावरण छा जाता है। कहीं फागुन सांस लेता हुआ दिखाई देता है तो कहीं वह पक्षियों के रूप में उड़ान भरता हुआ दिखाई देता है।
प्रश्न - फागुन में ऐसा क्या होता है जो बाकी ऋतुओं से भिन्न होता है?
उत्तर -फागुन मास में सर्वत्र मस्ती छाई रहती है। इस ऋतु के आते ही पेड़-पौधे लाल-हरे पत्तों तथा फूलों से लद जाते हैं। सर्वत्र सुगन्धित वायु संचरण करने लगती है। यही नहीं फागुन मास की बंसत ऋतु लोगों में उल्लास और मस्ती उत्पन्न कर देती है। यहाँ तक कि पक्षी और भंवरे भी इस ऋतु में प्रसन्न नजर आते हैं। इस प्रकार का उल्लासमय वातावरण अन्य ऋतुओं में देखने को नहीं मिलता। इसलिए फागुन अन्य ऋतुओं से सर्वथा भिन्न होता है।
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