Class 11 Hindi Vitan Chapter 2 जूझ Important Questions-Jujh Class 12 Extra Questions
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Class 11 Hindi Vitan Chapter 2 जूझ Important Questions-Jujh Class 12 Extra Questions
Jujh Class 12 Hindi-NCERT IMPORTANT QUESTION ANSWERS
जूझ (आनंद यादव)
प्रश्न -स्वयं कविता रच लेने का आत्मविश्वास लेखक के मन में कैसे पैदा हुआ ?
उत्तर - लेखक जब पाँचवीं कक्षा के विद्यार्थी थे तब उनकी कक्षा में सौंदलगेकर नामक अध्यापक मराठी पढ़ाते थे। पढ़ाते समय वे स्वयं कविता में पूरी तरह से डूब जाते थे। उनका गला सुरीला था तथा छंद बनाने की बढ़िया चाल भी थी। मराठी के साथ उन्हें अंग्रेज़ी की अनेक कविताएं कंठस्थ थीं। वे कविता को गाते समय लय, गति, यति और ताल का बखूबी प्रयोग करते थे। लेखक जब उनसे कविता सुना करते थे तो वे भी कविता के भावों में पूरी तरह से रम जाते थे। वे मास्टर जी के हाव-भाव, ध्वनि, ताल, रस और चाल को पूरी तल्लीनता के साथ सुना करते थे। वहीं से वे काव्य में पूरी रुचि लेने लगे।
जब वे खेतों में काम करते थे उस समय मास्टर की भांति पूरे हाव-भाव, यति-गति और आरोह-अवरोह के अनुसार कविता गाया करते थे। जिस प्रकार मास्टर जी अभिनय करते थे वे उसी प्रकार अभिनय किया करते थे। कविता गाते समय उन्हें यह भी पता नहीं चलता था कि क्यारियाँ पानी से कब भर गईं। मास्टर जी भी आनंद के कविता गाने में रुचि लेने लग गए थे। उन्होंने बड़ी कक्षा के बच्चों के सामने आनंद को कविता सुनाने के लिए कहा और आनंद ने इस अवसर का खूब फ़ायदा उठाया। अब वे अपने आसपास, अपने गाँव और खेतों के दृश्यों की कविता बनाने लगे। भैंस चराते चराते जंगली फूलों पर तुकबंदी करने लगे। जब रविवार के दिन कोई कविता बन जाती तो अगले दिन मास्टर जी को दिखाता और सुनाता। मास्टर जी उन्हें शाबाशी देते। मास्टर जी ने उन्हें भाषा शैली, छंद, अलंकारों के साथ-साथ शुद्ध लेखन की बारीकियाँ सिखा दीं। वे उन्हें अलग-अलग प्रकार की कविताओं के संग्रह देते थे। इस प्रकार लगातार अभ्यास से वे मराठी में कविताएँ लिखने लगे। उन पर कविता लिखते समय शब्दों का नशा चढ़ने लगा। इस प्रकार लेखक के मन में स्वयं कविता रच लेने का आत्मविश्वास पैदा हुआ।
प्रश्न - श्री सौंदलगेकर के अध्यापन की उन विशेषताओं को रेखांकित करें, जिन्होंने कविताओं के प्रति लेखक के मन में रुचि जगाई।
अथवा
श्री सौंदलगेकर के अध्यापन की किन्हीं दो विशेषताओं का उल्लेख कीजिए ।
उत्तर – श्री सौंदलगेकर के अध्यापन की निम्नलिखित विशेषताएं हैं जिन्होंने कविताओं के प्रति लेखक के मन में रुचि जगाई
1. श्री सौंदलगेकर कविता के अध्यापन के साथ कविता गाया भी करते थे।
2. वे गायन के साथ-साथ हाव-भाव के अनुसार अभिनय भी किया करते थे।
3. वे कविता को गाते समय लय, यति, गति, ताल का पूर्ण ध्यान रखते थे।
4. वे कविता के साथ-साथ उनके कवियों से अपनी मुलाकात के संस्मरण भी सुनाया करते थे।
5. वे कभी-कभी स्वरचित कविता भी कक्षा में सुनाया करते थे।
प्रश्न - कविता के प्रति लगाव से पहले और उसके बाद अकेलेपन के प्रति लेखक की धारणा में क्या बदलाव आया ?
उत्तर - मास्टर सौंदलगेकर लेखक की पांचवीं कक्षा में मराठी पढ़ाते थे। वे कविता पढ़ाते समय स्वयं भी उसमें डूब जाते थे। उनके पास सुरीला गला और छंद का ज्ञान था। उन्हें मराठी के साथ-साथ अंग्रेज़ी की भी कुछ कविताएं कंठस्थ थीं। जब वे कविता सुनाते थे तब साथ-साथ अभिनय भी किया करते थे। लेखक उनकी कविताएं पूरी तल्लीनता से सुनते थे। वे अपनी आँखों और कानों की पूरी शक्ति लगाकर दम रोककर मास्टर जी के हाव-भाव, ध्वनि, यति, गति, चाल और रसों का स्वादन किया करते थे।
लेखक खेतों में पानी लगाते समय खुले गले से मास्टर जी के हाव-भाव और आरोह-अवरोह के अनुसार कविताएँ गाया करते थे। जिस प्रकार मास्टर जी अभिनय करते थे उसी प्रकार लेखक भी अभिनय करते थे। इस प्रकार लेखक भी कविताओं के साथ खेलने लगे। इन कविताओं के माध्यम से लेखक में नई रुचियां पैदा होने लगीं। पहले जब वे खेतों में पानी लगाते थे उस समय उन्हें अकेलापन खटकता था। अगर काम करते समय कोई साथ नहीं है तो उन्हें बोरियत होती थी, इसलिए कोई-न-कोई साथ होना चाहिए। लेकिन कविता के प्रति लगाव होने के पश्चात् उन्हें अकेलापन नहीं खटकता था। बल्कि अब उन्हें अकेलेपन अच्छा लगता था क्योंकि अकेलेपन में कविता ऊंची आवाज़ में गाई जा सकती थी। कविता के भाव के अनुसार अभिनय भी किया जा सकता था। लेखक अब कविता गाते-गाते नाचने भी लगा था। इस प्रकार कविता के प्रति लगाव ने लेखक की अकेलेपन की धारणा को बदल दिया।
Joojh Class 12 Hindi Vitan Chapter 2-MOST IMPORTANT EXTRA QUESTIONS ANSWERS
प्रश्न - कथानायक (आनंद) के पिता उसे स्कूल क्यों नहीं भेजना चाहते ? समीक्षा करें।
उत्तर – कथानायक एक किसान के बेटे हैं जो पढ़-लिख कर कोई नौकरी करना चाहते हैं। कथानायक का मानना
है कि नौकरी प्राप्त कर वे अपने जीवन को सफल बना सकते हैं अथवा कोई व्यापार कर अपने जीवन में खुशहाली
ला सकते हैं। कथानायक के पिता दीवाली के एक महीना बाद ही ईख पेरने का कोल्हू चलाना चाहते हैं। पिता जी का
मानना है कि अगर कोल्हू जल्दी शुरू हो गया तो ईख की अच्छी-खासी रकम मिल जाएगी। उनकी समझ थी कि अगर
सबने अपने कोल्हू चला दिये तो बाज़ार में गुड़ की बहुतायत हो जाएगी और भाव नीचे गिर जाएगी क्योंकि बाज़ार में
बढ़िया गुड़ आ जाएगा और हमारे गुड़ की कीमत घट जाएगी। इसके विपरीत कथानायक की सोच थी कि ईख पकने के बाद ही गुड़ अधिक निकलेगा क्योंकि देर तक खड़ी ईख में रस की मात्रा बढ़ जाती है। इस प्रकार गुड़ भी अधिक निकलेगा और मेरी पढ़ाई भी हो जाएगी, परंतु कथानायक के पिता अपनी सोच के अनुसार काम करना चाहते हैं इसलिए वे कथानायक को स्कूल जाने से मना कर देते हैं।
प्रश्न - कथानायक के फिर से स्कूल जाने में दत्ताजी राव की भूमिका का वर्णन करें।
उत्तर - कथानायक के दादा (पिता जी) उसे खेती के काम में लगाना चाहते हैं। पढ़ाई को समय खराब करने जैसा मानते हैं इसलिए कथानायक (आनंद) को पाँचवीं कक्षा से हटा देते हैं परंतु अभी भी कथानायक में पढ़ने की उत्कंठा बनी हुई है। वे अपनी माँ को यह समझाते हैं कि दत्ताजी राव ही मेरी पढ़ाई फिर से शुरू करवा सकते हैं। इसलिए माँ बेटा दोनों दत्ताजी राव के पास जाकर पूरी बात बताते हैं। दत्ताजी राव कथानायक को बुलाकर खूब डांटते हैं। वे उसे कहते हैं "फिर तू क्या करता है ?" जब दत्ताजी राव ने कथानायक के पिता से बहस करना शुरू किया तो सारी बात सामने आ गई। उन्होंने दादा से कहा कि मैं देख रहा हूँ कि तुम आजकल खेती में बिल्कुल ध्यान नहीं दे रहे हो तुमने उन माँ-बेटे को आजकल बैल की तरह खेतों में जोत रखा है और स्वयं सारा दिन गाँव में घूमते रहते हो। दत्ताजी राव यह भी कहते हैं कि अगर तू बच्चे की फीस नहीं दे सकता तो मैं इसकी फीस के पैसे भर दिया करूँगा। इसलिए कल से इसको स्कूल भेज। इस प्रकार कथानायक की पढ़ाई एक बार फिर शुरू हो जाती है।
प्रश्न - 'जूझ' पाठ का मुख्य भाव स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर – जूझ का शाब्दिक अर्थ है-'संघर्ष'। इस पाठ में लेखक ने एक बच्चे की पाठशाला जाने की इच्छाशक्ति तथा इच्छापूर्ति के लिए संघर्ष का चित्रण किया है। इसमें लक्ष्य प्राप्ति के लिए जीवन संघर्ष की गाथा का वर्णन है। यहां कथानायक के जीवन के संघर्षों का मार्मिक चित्रांकन किया है।
प्रश्न - दादा ने कथानायक से क्या वचन लिया ?
अथवा
लेखक को आगे पढ़ने की अनुमति देते हुए उसके पिता ने उससे क्या वचन लिया ?
उत्तर – दादा ने कथानायक से यह वचन ले लिया कि उसे दिन निकलते ही खेत पर हाजिर होना चाहिए। उसे ग्यारह - बजे पाठशाला का समय होने तक खेत में पानी लगाना चाहिए। खेत से ही सीधे पाठशाला जाना होगा। छुट्टी होते ही घर में थैला रखकर सीधे खेत पर आकर घंटा भर ढोर चराना। कभी खेतों में ज्यादा काम होने पर पाठशाला में ग़ैर हाजिर होना।
प्रश्न - कथानायक की कक्षा का मॉनीटर कौन था और क्यों ?
उत्तर – कथानायक की कक्षा का मॉनीटर बसंत पाटिल नामक छात्र था। वह बहुत होशियार और मेहनती था। उसका स्वभाव बहुत शांत था । वह सदा तैयारी में लगा रहता था इसलिए वह मॉनीटर था।
प्रश्न - पाठशाला में मास्टर कथानायक को किस नाम से पुकारते थे ? उसका विश्वास कैसे बढ़ने लगा ?
उत्तर -पाठशाला में मास्टर कथानायक को आनंदा कहकर पुकारते थे। आनंदा कभी-कभी अपने मॉनीटर के साथ बच्चों के सवाल जांचने लगा तो उन दोनों की दोस्ती हो गई। वे दोनों कक्षा में अनेक काम करने लगे। मास्टर उससे अच्छा व्यवहार करने लगे। मास्टरों के अपनेपन के व्यवहार तथा मॉनीटर बसंत पाटिल की दोस्ती के कारण कथानायक का पाठशाला में विश्वास बढ़ने लगा।
प्रश्न - लेखक सुबह-शाम खेतों पर पानी लगाते या ढोर चराते समय क्या करते थे ?
उत्तर – लेखक सुबह-शाम खेतों पर पानी लगाते समय मास्टर के ही हाव-भाव, लय, ताल, छंद, आरोह-अवरोह
के अनुसार गाते रहते थे। वे अपने मास्टर के अनुसार ही अभिनय करते थे।
प्रश्न - लेखक का अकेलापन कैसे गायब हो गया ?
उत्तर – लेखक अपने अकेलेपन में कविताओं को लय, ताल, छंद, यति-गति के साथ गाया करता। वह बहुत ऊँची आवाज में गाकर अभिनय करने लगा था। वह कविता गाते-गाते शुई-मुई करके नाचने लगता था। उन्होंने अनेक कविताओं को स्वयं की चाल में गाना शुरू कर दिया। इस प्रकार लेखक का अकेलापन गायब हो गया।
प्रश्न - मास्टर के अनुसार कविता रचने के क्या नियम होने चाहिए ?
उत्तर- मास्टर के अनुसार कविता रचने के निम्नलिखित नियम होने चाहिए
(i) शुद्ध लेखन होना चाहिए।
(ii) कवि की भाषा शुद्ध होनी चाहिए।
(iii) अलंकार-छंद आदि का प्रयोग शुद्ध होना चाहिए।
(iv) कठिन भाषा का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
प्रश्न - 'जूझ' कहानी के माध्यम से लेखक क्या संदेश देना चाहता है ?
उत्तर- -जूझ कहानी के माध्यम से लेखक ने जीवन में निरंतर संघर्ष करने का संदेश दिया है। हमें प्रतिकूल - परिस्थितियों से न घबरा कर उनके साथ संघर्ष करते हुए आगे बढ़ते रहना चाहिए। कठिनाइयों से बिल्कुल भी घबराना नहीं चाहिए।
प्रश्न - 'जूझ' पाठ में खेल में काम करते समय लेखक का अकेलापन कैसे दूर हो गया था ?
उत्तर – लेखक अपने अकेलेपन में कविताओं को लय, ताल, छंद, यति-गति के साथ गाया करता। वह बहुत ऊँची आवाज़ में गाकर अभिनय करने लगा था। वह कविता गाते-गाते शुई-मुई करके नाचने लगता था। उन्होंने अनेक कविताओं को स्वयं की चाल में गाना शुरू कर दिया। इस प्रकार लेखक का अकेलापन दूर हो गया था।
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