Class 10 Hindi Important Questions-George Pancham Ki Naak Extra Questions | जॉर्ज पंचम की नाक

Class 10 Hindi Important Questions-George Pancham Ki Naak Extra Questions | जॉर्ज पंचम की नाक

Class 10 Hindi Important Questions-George Pancham Ki Naak Extra Questions | जॉर्ज पंचम की नाक
Class 10 Hindi Important Questions-George Pancham Ki Naak Extra Questions | जॉर्ज पंचम की नाक




जॉर्ज पंचम की नाक-NCERT IMPORTANT QUESTION


प्रश्न  - सरकारी तंत्र में जॉर्ज पंचम की नाक लगाने को लेकर जो चिंता या बदहवासी दिखाई देती है वह उनकी उत्तर किस मानसिकता को दर्शाती है?


 उत्तर  - सरकारी-तंत्र में जॉर्ज पंचम की नाक लगाने को लेकर जो चिंता या बदहवासी दिखाई देती है वह उनको औपनिवेशिक दौर की गुलामी भरी मानसिकता का बोध कराती है। इससे पता चलता है कि हम भारतवासी स्वतंत्र होकर भी अंग्रेजों के गुलाम बने हुए हैं। सरकारी तंत्र के अधिकारी उस अतिथि की नाक के लिए चिन्तित हैं, जिसने न केवल भारत को गुलाम बनाया बल्कि अपमानित भी किया। इसके अतिरिक्त लेखक ने यह भी स्पष्ट करने का प्रयास किया है कि सरकारी तंत्र मुसीबत आने पर ही जागरूक होता है। उसके द्वारा प्रत्येक मामले के लिए कमेटियाँ बनाई जाती हैं, बैठकें होती हैं, परन्तु निष्कर्ष कुछ नहीं निकलता। सभी अधिकारी चापलूसी करते और करवाते हैं। एक विभाग दूसरे विभाग पर जिम्मेवारी डाल देता है और स्वयं को बचाने का प्रयास करता है। भले ही उच्च स्तर का सलाह मशविरा होता हो लेकिन उनकी सोच छोटी होती है।


प्रश्न -  'और देखते ही देखते नयी दिल्ली का काया पलट होने लगा' नयी दिल्ली के काया पलट के लिए क्या-क्या प्रयत्न किए गए होंगे?



उत्तर  - दिल्ली की काया पलट करने के लिए पूरे नगर की सफाई करके उसे सजाया गया होगा। सड़कों की मरम्मत करके उनको सुविधाजनक तथा साफ-सुथरा बनाया गया होगा। सड़कों के किनारों तथा पार्कों में लगे हुए पेड़ों को काट-छाँट कर सुन्दर बनाया गया होगा। इसी प्रकार सरकारी इमारतों तथा पर्यटन स्थलों को रंग रोगन करके उन पर बिजली का प्रकाश किया होगा। सरकारी लॉनों तथा पार्कों में हरी घास लगाई गई होगी।


प्रश्न  - रानी एलिजाबेथ द्वितीय के ऐश्वर्य का वर्णन कीजिए।


                 अथवा


प्रश्न - रानी एलिजाबेथ के दरजी की परेशानी का क्या

कारण था? उसकी परेशानी को आप किस तरह तर्कसंगत

ठहराएँगे।


उत्तर- रानी एलिजाबेथ कोई साधारण नारी नहीं थी। वह इंग्लैंड की साम्राज्ञी थी। उसकी वेशभूषा तैयार करने का दायित्व जिस दरजी पर था, उसे यह निर्णय करना था कि रानी भारत, पाकिस्तान और नेपाल के शाही दौरे पर कौन-कौन सी वेशभूषा धारण करेंगी। उसे यह भी सोचना था कि रानी की वेशभूषा ऐसी होनी चाहिए जिससे उसकी आन-बान-शान बनी रहे। इसलिए दरजी परेशान था। चूँकि उसके ऊपर अपनी महारानी और अपने देश की एक . अति महत्त्वपूर्ण जिम्मेदारी थी, अतः उसका परेशान होना तर्कसंगत था।


प्रश्न  - जॉर्ज पंचम की लाट की नाक को पुनः लगाने के लिए मूर्तिकार ने क्या-क्या यत्न किए? 



उत्तर- जॉर्ज पंचम की मूर्ति की नाक लगाने के लिए मूर्तिकार ने अनेक प्रयास किए। सर्वप्रथम उसने उस पत्थर को खोजने का प्रयास किया जिससे वह मूर्ति बनी थी। पुनः उसने पूरे भारत में जॉर्ज पंचम की नाक का नाप लेकर भारतीय महापुरुषों की नाक से मिलाने का प्रयास किया ताकि एक नाक लेकर वह जॉर्ज को लगा सके परन्तु उसे पता चला कि हमारे महापुरुषों की नाकें उसकी नाक से ऊँची हैं। पुनः मूर्तिकार ने बिहार सचिवालय के आगे बने शहीदों और बच्चों की मूर्तियों की नाकों को नाप कर देखा। अन्त में मूर्तिकार ने किसी जीवित व्यक्ति की नाक काटकर जॉर्ज पंचम की मूर्ति पर लगा दी


प्रश्न  - नाक मान-सम्मान व प्रतिष्ठा का द्योतक है। यह बात पूरी व्यंग्य रचना में किस तरह उभरकर आई है?


उत्तर -  प्रस्तुत व्यंग्य रचना में लेखक ने नाक को मान-सम्मान और प्रतिष्ठा का परिचायक कहा है। जॉर्ज पंचम की मूर्ति भारत पर विदेशी शासन का प्रतीक है। मूर्ति की कटी हुई नाक इंग्लैंड के अपमान का प्रतीक है। इसका यह अर्थ भी निकल सकता है कि स्वतंत्र भारत ने जॉर्ज पंचम की नीतियों को अस्वीकार कर दिया। एलिजाबेथ रानी के आगमन से सरकारी अधिकारी इसलिए परेशान हो जाते हैं कि मूर्ति की नाक कटी हुई है। मूर्ति जिस पत्थर से बनाई गई थी वह भी विदेशी था। भारत भूमि से जॉर्ज पंचम को कोई लगाव नहीं था। इसलिए उसका मान-सम्मान किसी भारतीय नेता अथवा बलिदान देने वाले बच्चे से अधिक कैसे हो सकता था। यही कारण है कि जार्ज पंचम की नाक भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों की नाक से नीची थी। इस पर भी सरकारी अधिकारियों ने मूर्ति की नाक को बचाने के लिए अपार धनराशि बर्बाद कर दी और अन्त में जीवित व्यक्ति की नाक काटकर जॉर्ज पंचम की नाक पर बैठा दी गई। जो कि भारतीय जनता का अपमान था। वस्तुतः सरकारी अधिकारियों का यह व्यवहार भी उनकी औपनिवेशिक गुलामी भरी मानसिकता का परिचायक है।


प्रश्न -  अखबारों ने जिंदा नाक लगने की खबर को किस तरह से प्रस्तुत किया? 


 उत्तर- अखबारों ने जॉर्ज पंचम की नाक की जगह जिंदा नाक लगने के समाचार को कुशलतापूर्वक छिपा लिया। उन्होंने अखबार में केवल यही छापा- "नाक का मसला हल हो गया है। राजपथ पर इंडिया गेट के पास वाली जॉर्ज पंचम के लाट की नाक लग रही है।"


प्रश्न  - “नयी दिल्ली में सब था......सिर्फ नाक नहीं थी।” इस कथन के माध्यम से लेखक क्या कहना चाहता है?


उत्तर - इस कथन के माध्यम से लेखक कहना चाहता है कि भले ही स्वतंत्र भारत में सब प्रकार की सुविधाएँ हैं लेकिन भारतवासियों में आज भी आत्मसम्मान की भावना नहीं है। यद्यपि जॉर्ज पंचम ने भारत को गुलाम बनाकर उसके आत्मसम्मान पर ठेस पहुँचाई, लेकिन फिर भी उसे गलत सिद्ध करने का प्रयास किसी ने नहीं किया। 


प्रश्न  - जॉर्ज पंचम की नाक लगने वाली खबर के दिन अखबार चुप क्यों थे?


अथवा


 जॉर्ज पंचम की नाक मूर्तिमयी होने पर अखबारों की देश का विवेचन कीजिए। 


 जार्ज पंचम की नाक लगने वाली खबर के दिन सभी अखबार इसलिए चुप थे, क्योंकि उन्हें यह बात बहुत बुरी लगी कि एक विदेशी शासक की मूर्ति पर एक जिन्दा भारतवासी की नाक काटकर लगाई गई। अखबारों ने इसका विरोध न करके चुप रहकर अपना विरोध दिखाया इस संदर्भ में किसी प्रकार का समाचार नहीं छपा।




George Pancham Ki Naak- EXTRA QUESTIONS ANSWERS
परीक्षोपयोगी अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न



प्रश्न  - 'जार्ज पंचम की नाक' कहानी के उद्देश्य पर प्रकाश डालिए। 


अथवा 


'जार्ज पंचम की नाक' पाठ में निहित व्यंग्य को स्पष्ट कीजिए।


जार्ज पंचम की नाक' कहानी में लेखक ने नाक को केंद्र में रखते हुए आजादी के बाद भारत में सत्ता से जुड़े विभिन्न प्रकार के लोगों की औपनिवेशिक दौर की गुलामी भरी मानसिकता और विदेशी आकर्षण पर गहरी चोट की है। लेखक ने भारतीय नेताओं और शहीद बालकों की नाक को जार्ज पंचम की नाक से अधिक लंबा बताकर उनके प्रति न केवल अपनी श्रद्धांजलि प्रकट की है। साथ ही जिंदा लोगों में से किसी एक की नाक को जॉर्ज पंचम के नाक के नाप की बताकर यह संकेत भी किया है कि स्वतंत्र भारत के जिंदा लोगों में देश का अपमान होते देखने के विरुद्ध संकल्प का अभाव है। इसके साथ ही इस कहानी में पत्रकारिता की सार्थकता को रेखांकित करते हुए व्यावसायिक पत्रकारिता के विरुद्ध भी लेखक ने अपनी आवाज बुलंद की है।




प्रश्न  - जॉर्ज पंचम की नाक' कहानी में मूर्तिकार पर क्या व्यंग्य किया गया है?


उत्तर- 'जॉर्ज पंचम की नाक' कहानी में मूर्तिकार पर करारा व्यंग्य किया गया है। लेखक द्वारा मूर्तिकार के लिए कहे गए प्रथम वाक्य-'मूर्तिकार यों तो कलाकार था पर ज़रा पैसे से लाचार था।' में ही दो-दो व्यंग्य हैं। पहला व्यंग्य-मूर्तिकार यों तो कलाकार था अर्थात् सच मायनों में कलाकार नहीं था। वह व्यवसाय से ही कलाकार था। दूसरा व्यंग्य है-'ज़रा पैसे से लाचार था!' इसमें गहरा कटाक्ष है। लेखक कहना चाहता है कि उसे हमेशा सरकारी पैसे की इच्छा रहती है। वह चाहता है कि सरकारी धन का भरपूर दुरुपयोग करे। वह सरकारी खर्चे पर पूरा देश एक नहीं दो-दो बार घूमा। अंत में समस्या को यों ही लटकाए रखा। अंत में भी मज़बूरी के नाम पर सरकार से मुँह माँगी मदद माँगी। इस प्रकार वह कला के नाम पर सरकार का जमकर शोषण करता है।


प्रश्न - जॉर्ज पंचम की नाक का नाप लेकर मूर्तिकार कहाँ-कहाँ घूमा? अंत में आकर उसने क्या कहा?


अथवा


मूर्तिकार के भारत-भ्रमण में देश-प्रेम की भावना को स्पष्ट कीजिए।




उत्तर  - जॉर्ज पंचम की नाक का नाप लेकर मूर्तिकार दिल्ली से बंबई पहुँचा। वहाँ उसने दादाभाई नौरोजी, गोखले, तिलक, शिवाजी, कॉवसजी, जहाँगीर-सबकी नाकें टटोलीं, नापीं। फिर वह गुजरात की ओर भागा, वहां उसने गांधी जी, सरदार पटेल, विट्ठलभाई पटेल, महादेव देसाई की मूर्तियों को परखा फिर बंगाल की ओर चला, वहाँ उसने गुरुदेव रवींद्रनाथ, सुभाषचंद्र बोस, राजा राममोहन राय आदि को भी देखा, नाप-जोख की फिर बिहार की तरफ चला। बिहार होता हुआ उत्तर प्रदेश की ओर आया। वहाँ वह चंद्रशेखर आजाद, बिस्मिल, मोतीलाल नेहरू, मदनमोहन मालवीय की लाटों के पास गया। घबराहट में मद्रास भी पहुँचा, सत्यमूर्ति को भी देखा और मैसूर-केरल आदि सभी प्रदेशों का दौरा करता हुआ पंजाब पहुँचा। वहाँ उसका लाला लाजपतराय और भगतसिंह की लाटों से भी सामना हुआ परन्तु उसे अपने नाप की नाक नहीं मिली। अंत में हारकर वह दिल्ली पहुँचा और उसने कहा, “पूरे हिंदुस्तान की परिक्रमा कर आया, सब मूर्तियाँ देख आया। सबकी नाकों का नाप लिया पर जॉर्ज पंचम की इस नाक से सब बड़ी निकलीं।'


प्रश्न - अंत में मूर्तिकार ने क्या योजना पेश की। योजना सुनकर परेशान हुए समिति सदस्यों को मूर्तिकार ने कैसे शांत किया?


अथवा


मूर्तिकार ने सभापति को जॉर्ज पंचम की नाक का क्या विकल्प बताया?


 उत्तर- अंत में मूर्तिकार ने अपनी नायाब योजना प्रस्तुत करते हुए कहा कि चूंकि मूर्ति को नाक लगना एकदम जरूरी है। इसलिए उसकी राय है कि चालीस करोड़ में से कोई एक जिंदा नाक काटकर मूर्ति को लगा दी जाए। यह योजना सुनकर समिति के सदस्य परेशान हो गए। मूर्तिकार ने उन्हें शांत करते हुए कहा कि वे घबराएँ नहीं तथा यह काम उस पर छोड़ दें। नाक वह स्वयं चुन लेगा।


प्रश्न - मूर्ति को जिंदा नाक लगाने के पूर्व क्या प्रबंध किया गया?


मूर्ति को जिंदा नाक लगाने से पूर्व मूर्ति की सुरक्षा के लिए हथियारबंद पहरेदार ओं को तैनात कर दिया गया ।मूर्ति के आसपास का तालाब सुखाकर साफ किया गया। उसकी गाद निकाली गई और ताजा पानी डाल दिया गया ताकि जो जिंदा नाक लगाई जाने वाली थी वह नाक सूखने न पाए।


प्रश्न  - नाक लगाने वाले दिन कोई भी सार्वजनिक समारोह आयोजित क्यों नहीं हुआ ?


उत्तर -  नाक लगाने वाले दिन कोई भी सार्वजनिक समारोह इसलिए आयोजित नहीं हुआ क्योंकि जॉर्ज पंचम की लाट पर किसी ऐसे भारतीय की नाक लगाई जानी थी, जो उस पर फिट आ जाए। इस मामले में सभी सरकारी नेता और अधिकारी डरे हुए थे। उन्हें डर था कि कहीं उनकी नाक ही जॉर्ज पंचम की नाक पर फिट न कर दी जाए। इसलिए सभी ने उस दिन कोई सार्वजनिक कार्यक्रम नहीं किया। कोई स्वागत समारोह तक में नहीं गया। दूसरा कारण यह था कि यह दिन भारत के लिए शर्म का दिन था। अब भी विदेशी मोह में भारतीयों की बलि चढ़ाई जा रही थी। इस शर्म को छिपाने के लिए कोई सम्मान समारोह आयोजित नहीं हुआ। 

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