Important Question - Dev ke Savaiye Extra Question Answer
Important Question - Dev ke Savaiye Extra Question Answer |
Important Question - Dev ke Savaiye Extra Question Answer-देव के सवैया और कवित्त NCERT Important Questions
प्रश्न -कवि ने 'श्री ब्रजदूलह' किसके लिए प्रयुक्त किया है और उन्हें संसार रूपी मन्दिर का दीपक क्यों कहा है?
उत्तर- कवि ने श्रीकृष्ण के लिए 'श्री ब्रजदूलह' का प्रयोग किया है। कवि ने श्रीकृष्ण को संसार रूपी मन्दिर का दीपक इसलिए कहा है, क्योंकि जिस प्रकार दीपक मन्दिर में प्रकाश फैलाता है, उसी प्रकार श्रीकृष्ण ने अपनी उपस्थिति से सारे ब्रज-प्रदेश में आनन्द, उत्सव और उल्लास का प्रकाश फैलाया है और संसार के लोगों को सुख तथा आनन्द प्रदान किया है। इसी कारण कवि ने श्रीकृष्ण को संसार रूपी मन्दिर का दी
पक कहा है।
प्रश्न -पहले सवैये में से उन पंक्तियों को छांटकर लिखिए जिसमें अनुप्रास और रूपक अलंकार का प्रयोग हुआ है।
उत्तर- अनुप्रास- (i) 'कटि किकिनि कै' में 'क' की आवृत्ति के कारण अनुप्रास है।
(ii) ‘पट पीत' में 'प' की आवृत्ति के कारण अनुप्रास है। (iii) ‘हिये हुलसै' में 'ह' की आवृत्ति के कारण अनुप्रास है।
(i) 'मुख चन्द' में रूपक है
(ii) 'जग-मन्दिर' में रूपक है।
प्रश्न -दूसरे कवित्त के आधार पर स्पष्ट करें कि ऋतुराज बसन्त के बाल-रूप का वर्णन परम्परागत बसन्त वर्णन से किस प्रकार भिन्न है?
उत्तर -बसन्त ऋतु के परम्परागत वर्णन में फूलों का खिलना, शीतल मन्द समीर का बहना, नायक-नायिका का मिलना नायिकाओं द्वारा झूला झूलना आदि का वर्णन होता है। लेकिन दूसरे कवित्त में कवि देव ने बसन्त का मानवीकरण करते हुए उसकी तुलना नवजात शिशु राजकुमार से की है। यहाँ कवि ने बसन्त शिशु को प्रसन्न करने के साधन जुटाए हैं। इस सन्दर्भ में कवि पालना, बिछौना, ढीले -ढाले वस्त्र, झुनझुना, बुरी नजर से बचाना आदि साधन की चर्चा करता है। प्रस्तुत कवित्त में वृक्ष पालना है, उसके पत्ते बिछौना है तथा फूल झिंगूला है। इसी प्रकार वायु सेविका का काम करती है। मोर और तोते झुनझुने के समान हैं। कोयल ताली बजाकर गीत गाती है तथा परागकण बालक बसन्त को नजर लगने से बचाते हैं। इस प्रकार इस पद्य में बसन्त का वर्णन परम्परागत वर्णन से भिन्न तथा मौलिक है।
प्रश्न . प्रातहि जगावत गुलाब चटकारी वै'-इस पंक्ति का भाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर - इस पंक्ति के माध्यम से कवि ने स्पष्ट किया कि प्रातःकाल (माँ के समान) बसन्त रूपी शिशु को गुलाब चुटकी बजाकर जगाने का प्रयास करता है। तात्पर्य यह है कि बसन्त ऋतु के आगमन पर सेवरा होते ही गुलाब के फूल खिल उठते हैं।
प्रश्न . चाँदनी रात की सुन्दरता को कवि ने किन-किन रूपों में देखा है?
उत्तर- कवि ने चाँदनी रात की सुन्दरता को निम्नलिखित रूपों में देखा है-
(i) आकाश में स्फटिक शिलाओं से निर्मित मन्दिर के रूप में। (ii) दही से छलकते हुए सागर के रूप में। में।
(iii) दूध के झाग से निर्मित फर्श के रूप
(iv) स्वच्छ तथा शुभ दर्पण के रूप में।
प्रश्न . 'प्यारी राधिका को प्रतिबिम्ब सो लगत चंद'-इस पंक्ति का भाव स्पष्ट करते हुए बताएँ कि इसमें कौन-सा अलंकार है?
उत्तर -प्रस्तुत पंक्ति में कवि ने उल्टी उपमा का प्रयोग करते हुए राधिका जी को उपमान तथा चाँद को उपमेय सिद्ध करते हुए स्पष्ट किया है कि चाँद राधिका जी के मुख के प्रतिबिंब के समान है। तात्पर्य यह है कि राधिका जी के मुख की भाँति चाँद भी अत्यंत सुंदर प्रतीत हो रहा है। उलटी उपमा होने के कारण यहाँ प्रतीप अलंकार है।
Important Question - Dev ke Savaiye Extra Question Answer-देव के सवैया और कवित्त EXTRA Important Questions
प्रश्न -सवैया छंद का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
उत्तर -सवैया एक सम वर्णिक छंद है। इसके प्रत्येक चरण में वर्णों की संख्या 22 से 26 तक होती है। सवैया को क में आने वाले कुछ प्रमुख छंद-मदिरा, मालती, दुर्मिल आदि हैं। आपके पाठ्यक्रम में संकलित सवैया मालती इसे मत्तगयंद भी कहा जाता है। इसके प्रत्येक चरण में 23 वर्ण क्रमशः सात भगण (5II) व अंत में दो गुरु (5 होते हैं। 3.
प्रश्न - प्रथम कवित्त में बसंत ऋतु का वर्णन किस रूप में किया गया है?
उत्तर- प्रथम कवित्त में बसंत ऋतु का वर्णन एक ऐसे नवजात शिशु के रूप में किया गया है जिसका पालना वृक्ष की डालियाँ है तथा बिछौना वृक्ष के पत्ते हैं। फूल झबला, हवा झूला झूलाने वाली सेविका तथा मोर व तोते उसके बातूनी मित्र हैं। कोयल अपनी बातों की मिठास से उसे बहलाती हैं तथा कंजकली रूपी नायिका उसकी नजर उतारती है। कामदेव के इस बालक को बसंत प्रातः काल गुलाब के फूलों से चुटकी बजवाकर जगाता है।
प्रश्न 5. चाँदनी रात के उस रूप का वर्णन कीजिए, जिसे कवि ने अपने दूसरे कवित्त में चित्रित किया है।
उत्तर- चाँदनी रात आकाश में बने एक उजले दूधिया महल की भाँति लग रही है, जिसकी दीवारें स्फटिक शिलाओं बनी हैं। इस कारण वे दीवारें प्रकट रूप में दीखती नहीं हैं। चाँदनी सब जगह आर-पार दिखाई देती है।
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