Arab Spring अरब स्प्रिंग/विद्रोह Class 12 Political Science Notes - PDF & PPT

Arab Spring अरब स्प्रिंग/विद्रोह Class 12 Political Science Notes in Hindi- PDF & PPT

Arab Spring अरब स्प्रिंग/विद्रोह Class 12 Political Science Notes - PDF & PPT
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Arab Spring अरब स्प्रिंग/विद्रोह Class 12 Political Science Notes - PDF & PPT

Arab Spring अरब स्प्रिंग/विद्रोह: VIDEO EXPLANATION 




लोकतांत्रिकरण & जनतंत्रीकरण :

21वीं सदी (अरब स्प्रिंग)



लोकतांत्रिक राजनीति/ लोकतंत्रीकरण :


→इसके अनुसार देश में सरकार का निर्माण लोकतांत्रिक तरीके (जनसाधारण के द्वारा) से होना चाहिए जिसमें लोगों में राजनीतिक समानता होनी चाहिए, सार्वभौमिक व्यस्क मताधिकार होना चाहिए,


→इसके अनुसार प्रतिनिधियों का चुनाव निष्पक्ष और स्वतंत्र संस्था द्वारा होना चाहिए। जैसे-भारत में चुनाव आयोग


→ इसमें पारदर्शिता अत्यंत आवश्यक है।


→ सरकार की नीतियों की जानकारी नागरिकों को दी जानी चाहिए। जैसे भारत 2005 का सूचना का में अधिकार।



जनतंत्रीकरण :


→जनतंत्रीकरण से अभिप्राय है कि किस प्रकार से अधिक से अधिक सरकार को जनतंत्रीय बनाया जा सके अर्थात जनसाधारण की सरकार में भागीदारी सुनिश्चित हो सके।


→इसके अनुसार जनसत्ता लोगों के हाथों में होनी चाहिए ताकि जब भी वे सरकार से असंतुष्ट हों तो

उसे हटा सके।


→ समाज के प्रत्येक वर्ग की राजनीतिक सत्ता में बराबर की भागीदारी होनी चाहिए। हो सके तो कुछ वर्गों के लिए सीटें आरक्षित कर दी जानी चाहिए।


सरकार के प्रत्येक स्तर पर जनसाधारण का नियंत्रण होना चाहिए ।


→ सरकार के निर्माण में सेना का हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए


→ चुनावों में धन का दुरुपयोग नहीं होना चाहिए।


Arab Spring अरब स्प्रिंग/विद्रोह Class 12 Political Science Notes - PDF & PPT


 अभिप्राय :

 मध्य एशिया और उत्तरी अफ्रीका में श्रृंखलाबद्ध विरोध प्रदर्शन एवं धरनों का वह दौर जो 2010 में (ट्यूनीशिया की क्रांति के बाद) 2010 आरंभ हुआ, उसे अरब जागृति/ अरब स्प्रिंग / अरब विद्रोह / अरब बसंत के नाम से जाना जाता है।


• कारण

इसके निम्नलिखित कारण थे : 

मानवाधिकार उल्लंघन

तानाशाही बेरोजगारी

राजनीतिक भ्रष्टाचार

खराब अर्थव्यवस्था


• घटना एवं घटनास्थल :

 → अरब स्प्रिंग की शुरुआत ट्यूनिशिया की क्रांति से मानी जाती है। 18 दिसंबर 2010 को एक सब्जी विक्रेता (जिसकी सब्जी और ठेला पुलिस ने जब्त कर लिया था) मोहम्मद बउजिजी ने सरकारी ऑफिस के सामने आत्मदाह कर लिया और इसी के साथ अरब क्रांति की शुरुआत हुई।


→ इनकी मृत्यु के बाद सरकार से असंतुष्ट वर्ग एकजुट हुए और सरकार विरोधी प्रदर्शन का दौर शुरू हो गया।


→विरोध प्रदर्शन के बाद ट्यूनिशया के राष्ट्रपति बेन अली की सरकार गिरी और वे सउदी अरब भाग गए। वे 23 सालों से सत्ता में थे।


→ ट्यूनिशिया से शुरू हुए ये आग की लपटें मिस्र जा पहुँची और वहाँ के राष्ट्रपति होसनी मुबारक को जन कारवाई के कारण गद्दी छोड़नी पड़ी। वे लगभग 30 सालों से सत्ता में थे।


लीबिया में भी लोगों ने तत्कालीन तानाशाह मुहम्मद अल गद्दाफी के खिलाफ बिरोध-आंदोलन शुरू कर दिए। सरकार लड़खड़ाती दिखी तो वह कुछ दिनों तक छुपकर रहा लेकिन एक दिन पुल के नीचे पकड़ा गया और लोगों ने उसे पीट-पीट कर मार डाला।


→ जल्दी ही यह क्रांति संपूर्ण अरब जगत और उत्तरी अफ्रीका में फैल गई।


अल्जीरिया, फिलीस्तान, जार्डन, सुडान, मिस्र जैसे उत्तरी अफ्रीका के तथा ओमान, सउदी अरब, यमन, ओमान, बहरीन, कुवैत, इजराइल और सीरिया जैसे मध्य-पूर्व के देश इससे प्रभावित हुए।


•विधि:


→ इसके अंतर्गत हडताल, धरना, मार्च और रैलियों का आयोजन किया गया।


असाधारण शुक्रवार ( जिसे आक्रोश का दिन कहा गया) को विशाल एवं संगठित विरोध प्रदर्शन होता, जब जुमे की नमाज अदा कर लोग सड़कों पर इकट्ठे होते।


सोशल मीडिया का अरब क्रांति में महत्वपूर्ण योगदान रहा। क्रान्तिकारीयों ने इसका भरपूर प्रयोग किया।


→जनता को सरकार और सैनिक का दमन का सामना‌ भी करना पड़ा लेकिन सभी एक साथ आगे बढ़ते रहे।



• महत्व :- 

→ अरब क्रांति ने पूरी दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचा 


तवाकोल करमान (यमन) क्रांतिकारियों में से एक थीं जिन्हें 2011 के नोबल प्राइज से नवाजा गया 'टाइम' पत्रिका ने अरब स्प्रिंग के क्रांतिकारियों को The Persons of the Year' के खिताब से नवाजा।


Arab Spring Class 12 Political Science PDF (in Hindi)



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