Important Questions Class 10-Mata ka Anchal Extra Questions माता का अंचल
Important Questions Class 10-Mata ka Anchal Extra Questions माता का अंचल- NCERT IMPORTANT
प्रश्न - प्रस्तुत पाठ के आधार पर यह कहा जा सकता है कि बच्चे का अपने पिता से अधिक जुड़ाव था, फिर भी विपदा के समय वह पिता के पास न जाकर माँ की शरण लेता है। आपकी समझ से इसकी क्या वजह हो सकती है?
उत्तर - यह बात बिल्कुल सच है कि बच्चे का लगाव पिता की अपेक्षा माँ से अधिक होता है। प्रस्तुत पाठ से यह स्पष्ट होता है कि आरम्भ में बच्चे का जुड़ाव माँ के साथ केवल दूध पीने तक का था। पिता ही बच्चे को खिलाता, नहलाता और उसके साथ खेलता था। यहाँ तक कि बच्चा अपने पिता के साथ ही सोता था। परन्तु साँप से भयभीत होकर वह पिता के पास नहीं गया बल्कि माँ की गोद में चला गया। इसका कारण यह है कि माँ के बिना बच्चे का जीवन अधूरा है और उसे जो सुख और सुरक्षा माँ की गोद में मिलती है वह अन्यत्र नहीं मिल सकती।
प्रश्न - आपके विचार से भोलानाथ अपने साथियों को देखकर सिसकना क्यों भूल जाता है?
उत्तर - भोलानाथ को अपने मित्रों और साथियों के साथ उछल-कूद करने में अत्यधिक सुख मिलता है। जब माँ बच्चे को तेल डालकर उसकी मालिश करती है और चोटी को गूँथ देती है तो वह सिसकने लगता है परन्तु, जैसे ही वह अपने साथियों के साथ खेलना शुरू करता है तो वह सिसकना भूल जाता है। साथियों की हुलड़बाजी व शरारतें उसके मन को मोह लेती हैं।
प्रश्न - यहां माता-पिता का बच्चे के प्रति जो वात्सल्य व्यक्त हुआ है उसे अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर - प्रस्तुत पाठ माता का अँचल वात्सल्य की दृष्टि से विशेष महत्त्व रखता है। इसमें माता-पिता अपने बच्चे भोलानाथ के पालन-पोषण के प्रति अत्यधिक सक्रिय नजर आते हैं। माँ बच्चे को दूध पिलाती है और अपने हाथों से खाना खिलाती है। पिता अपने बच्चे को खुद नहलाता है, खेलता है और उसे अपने पास सुलाता है और झूला झूलाता है। माँ बच्चे को नहलाकर उसे तेल लगाती है। चोटी गूंथती है और नजर का टीका लगाती है। वह रोते बच्चे को अपने आँचल में छिपाती है और उसकी चोटों पर हल्दी लगाती है।
प्रश्न - 'माता का अँचल' शीर्षक की उपयुक्तता बताते हुए कोई अन्य शीर्षक सुझाइए।
उत्तर- पाठ में कथानायक भोलानाथ की बाल क्रीड़ाए, पिता से मित्रवत् व्यवहार तथा माता से स्नेह सभी कुछ विस्तार से वर्णित हुआ है परन्तु अंत में कथानायक का अपनी सुरक्षा हेतु मां के अँचल में छिप जाना और पिता द्वारा अपनी गोद में लेने का प्रयास करने पर भी उसकी गोद में न जाना मां के अँचल को एक सुरक्षा कवच के रूप में प्रस्तुत करता है। अत: 'माता का अँचल' इस पाठ का एक उपयुक्त शीर्षक है। इस शीर्षक के अतिरिक्त इस पाठ के लिए निम्नलिखित शीर्षक भी उपयुक्त हो सकते हैं
(क) मेरा बचपन
(ख) कोई लौटा दे मेरा बचपन
(ख) बचपन के खेल
प्रश्न - बच्चे माता पिता के प्रति अपने प्रेम को कैसे प्रकट करते हैं?
(i) बच्चे माता-पिता के साथ रहकर उनके प्रति अपने प्रेम को व्यक्त करते हैं।
(ii) वे माता-पिता की गोद में बैठकर या उनके कंधे या पीठ पर बैठकर अपना प्रेम व्यक्त करते हैं।
(iii) वे माता-पिता का कहना मान कर उनसे लाड प्यार करते हुए अपना प्रेम व्यक्त करते हैं।
(4) वे माता-पिता के साथ खेलते हुए और उन्हें चूमते हुए अपना प्रेम प्रकट करते हैं।
Important Questions Class 10-Mata ka Anchal Extra Questions माता का अंचल - EXTRA QUESTIONS IMPORTANT
प्रश्न - माता का अंचल पाठ में बचपन की कैसी तस्वीर प्रस्तुत की गई है?
अथवा
प्रश्न - माता का अंचल पाठ का मूल भाव स्पष्ट करें।
उत्तर - 'माता का अँचल' पाठ में बचपन की बड़ी अद्भुत, मनोरम और सजीव तस्वीर प्रस्तुत की गई हैं। लेखक ने बताया है कि किस प्रकार बचपन में उसे अपने पिता और माता का अपार स्नेह मिला। पिता ने भरपूर स्नेह दिया। वे आरंभ से उसके मित्र की भाँति रहे। माँ ने उस पर असीम ममता लुटाई। उसने बचपन के संगी-साथियों के साथ मनचाही शरारतें कीं, उठखेलियाँ कीं, मनोविनोद किया। वे नंगधड़ंग होकर खेले-कूदे और मस्ती से भरपूर जीवन जिए। उनके लिए हर काम मानो एक क्रीड़ा थी।
प्रश्न - 'माता का अँचल' पाठ के आधार पर लेखक के पिता की चारित्रिक विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर- 'माता का अँचल' पाठ के आधार पर कहा जा सकता है कि लेखक के पिता ईश्वर के परमभक्त, परम स्नेही तथा सीधे सरल स्वभाव के व्यक्ति थे। वे प्रतिदिन सुबह-सवेरे उठकर सोच आदि से निपट कर स्नान करते तथा फिर पूजा करने बैठ जाते थे वह प्रतिदिन अपनी रामनामा बही पर हजार बार राम नाम लिखा करते थे तथा कागज के छोटे-छोटे टुकड़ों पर राम नाम लिखकर उन्हें आटे की गोलियों में लपेट लेते थे और नदी की मछलियों को खिलाते थे । वह अक्सर लेखक की बाल क्रीड़ा में शिशुओं की भांति शामिल हो जाते थे उनकी हंसी उन्मुक्त होती थी वह लेखक से अधिक प्यार करते थे यही कारण था कि वह एक एक मां की भांति अपने बच्चे का भरण पोषण करने में संकोच नहीं करते थे।
प्रश्न - लेखक और उसके साथी बारात का जुलूस किस प्रकार निकालते थे?
उत्तर - लेखक और उसके साथी कनस्तर को तंबूरा और अमोले को घिसकर शहनाई बनाते तथा फिर उसे बजाते हुए, टूटी हुई चूहेदानी को दुल्हन की पालकी बनाकर स्वयं समधी बनते और बकरे पर चढ़कर चबूतरे के एक कोने से दूसरे कोने में जाते थे। इस प्रकार वे बारात का जुलूस निकालते थे।
प्रश्न - लेखक उसके साथी खेती का खेल किस प्रकार खेलते थे?
अथवा
प्रश्न - भोलानाथ के नाटकघर का चित्रण कीजिए।
उत्तर- लेखक और उसके साथी चबूतरे के एक छोर पर घिरनी गाड़ देते थे। नीचे की गली को कुआँ बना लेते थे। मूंज की बटी हुई पतली रस्सी में एक चुक्कड़ बांध गराड़ी पर चढ़ाकर लटका देते और दो लड़के बैल बनकर 'मोट' खींचते थे। वे चबूतरे को खेत बनाते, कंकड़ को बीज तथा ठेंगा को हल-जुआठा। वे बड़ी मेहनत से खेत को जोतते, बोते और पटाते। तुरंत ही उनकी फसल तैयार हो जाती और हाथोंहाथ वे उसे काट लिया करते थे। इस प्रकार वे खेती का खेल खेला करते थे।
प्रश्न - मां किस प्रकार लेखक को अच्छा-खासा कन्हैया बना दिया करती थी?
उत्तर- लेखक की इच्छा के विरुद्ध मां उसे पकड़ कर उसकी शारीरिक स्वच्छता और विकास के उद्देश्य से उसके सिर में सरसों का तेल लगाती, उसकी नाभी और माथे पर काजल की बिंदी लगाकर उसकी चोटी गूंथ देती और उसमें फूलदार लट्टू बांध कर रंगीन कुरता-टोपी पहना देती थीं।
इस प्रकार लेखक अच्छा-खासा कन्हैया बन जाया करता था।
प्रश्न - जब लेखक और उसके साथी चूहों के बिल में पानी फेंक रहे थे तब क्या हुआ?
अथवा
प्रश्न - भयभीत भोलानाथ से जुड़ी घटना का वर्णन कीजिए।
जब लेखक और उसके साथी चूहों के बिल में पानी फेंक रहे थे तब गणेश जी के चूहों की रक्षार्थ शिवजी का सांप निकल आया। सांप को देखकर बच्चों में भगदड़ मच गई। कोई औंधा गिरा कोई अटाचित। किसी का सिर फूटा तो किसी के दांत टूट गए। सभी लहूलुहान हो गए तथा सभी के पैरों के तलवे कांटों से छलनी हो गए।
प्रश्न - सांप देख लेने के पश्चात् मां के अँचल में छिपे हुए लेखक की दशा कैसी थी?
उत्तर - सांप देख लेने के पश्चात् मां के अँचल में छिपा हुआ लेखक अत्यंत भयभीत था। वह धीमे स्वर में "सा... .स. ..सां" कहते हुए अपनी मां के अँचल में छिप जाता था। उसका शरीर थर-थर काँप रहा था तथा रोंगटे खड़े हो गए थे। वह अपनी आँखें खोलना चाहता था परन्तु वे खुल नहीं पा रही थीं।
प्रश्न - लेखक को बचपन में अपने अध्यापक से खरी-खरी क्यों सुननी पड़ी?
अथवा
प्रश्न - भोलानाथ ओर बैजू के कारनामों पर प्रकाश डालिए।
उत्तर - लेखक को बचपन में अपने अध्यापक से खरी-खरी बातें इसलिए सुननी पड़ीं क्योंकि उसने अपने साथियों के मिलकर मूसन तिवारी नामक व्यक्ति को सरेआम चिढ़ाया था। बैजू नामक लड़के ने खरमस्ती करते हुए मूसन तिवारी को चिढ़ाया-बुढ़वा बेईमान माँगे करैला का चोखा। अन्य बच्चे भी इस मजेदार बात को खरमस्ती में आकर गाने लगे। परिणाम यह हुआ कि मूसन तिवारी अपमान का बदला लेने के लिए उसके स्कूल में पहुँच गए और को खूब डाँट लगवाई।
प्रश्न - पठित पाठ के आधार पर भोलानाथ की किन्हीं तीन विशेषताओं का उल्लेख कीजिए ।
उत्तर- भोलानाथ की तीन विशेषताएँ निम्नलिखित हैं।
(i) भोलानाथ अत्यंत चंचल बालक है।
(ii) उसे अपने माता-पिता से अत्यधिक प्रेम है।
(iii) उसे लोक संस्कृति, लोक-खेल तथा अपने मित्रों से अत्यधिक लगाव है।
प्रश्न . मरदुए क्या जाने कि बच्चों को कैसे खिलाना चाहिए। यह कथन किसने और कब कहा?
उत्तर- मरदुए क्या जाने कि बच्चों को कैसे खिलाना चाहिए-यह कथन लेखक की माता ने लेखक के पिता से उस प्रसंग में कहा है जब वे अपने पुत्र भोलानाथ को ठीक से खाना नहीं खिला पाते।
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