CIS (Commonwealth of Independent States) Class 12 Political Science Notes in Hindi-स्वतंत्र राज्यों के राष्ट्रकुल pdf

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CIS (Commonwealth of Independent States) Class 12 Political Science Notes in Hindi-स्वतंत्र राज्यों के राष्ट्रकुल pdf
 CIS (Commonwealth of Independent States) Class 12 Political Science Notes in Hindi-स्वतंत्र राज्यों के राष्ट्रकुल pdf


CIS (Commonwealth of Independent States) Class 12 Political Science Notes in Hindi-स्वतंत्र राज्यों के राष्ट्रकुल pdf


Additional Extra Topic in Class 12 Political Science for Chapter 2- The End of Bipolarity.
कक्षा 12 राजनीति विज्ञान अध्याय 2- "दो ध्रुवीयता का अंत" में सम्मिलित नया विषय:-

जनतंत्रीकरण और लोकतंत्रीकरण (Democrats & Democratization):- CIS (Commonwealth of Independent States)


CIS क्या है?-इसकी स्थापना, संरचना, उद्देश्य, कार्य तथा उपलब्धियां।


स्वराज्यों के राष्ट्रकुल :- CIS

→1991 में रुस,बेलारूस तथा युक्रेन द्वारा स्वतंत्र राज्यों के राष्ट्रकुल का गठन किया। जिसे कॉमनवेल्थ ऑफ इंडिपेंडेंट स्टेस (सी आई एस- CIS) कहा गया।


→ इसकी स्थापना 8 दिसंबर 1991 में हुई।


→ संस्थापक देश- रूस, युक्रेन और बेलारूस


21 दिसंबर को मध्य एशियाई राष्ट्रों को शामिल कर लिया गया- कजाकिस्तान, किरगिझस्तान, तजाकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान, उज्बेकिस्तान, अर्मेनिया, अजरबैजान, माल्दोवा । [ इन्हें संस्थापक सदस्य का दर्जा दिया गया]


→1993 में जार्जिया भी शामिल हुआ।


→एस्टोनिया, लताविया और लिथुआनिया तीनों बाल्टिक गणराज्य इससे बाहर रहे। सितंबर 1991 में ही ये तीनों संयुक्त राष्ट्रसंघ (UN) के सदस्य बन चुके थे और 2004 में इन्होंने नाटो को ज्वाइन किया।


→CIS यूरेशिया का सबसे बड़ा संगठन है।


क्षेत्रफल : 20, 368,159


→जनसंख्या :- 239, 196,010


→मुख्यालय = मिस्क (बेलारूस)


→औपचारिक भाषा- रशियन (Russian)


→विशेष - CIS के सदस्य देश-रूस को संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद् में स्थायी स्थान प्राप्त है।


→सदस्यों की वर्तमान स्थिति :

 रूस, बेलारूस, किरगिझस्तान, अजरबैजान, माल्दोवा

कजाकिस्तान, अर्मेनिया और उज्बेकिस्तान शामिल देश हैं।


→तुर्कमेनिस्तान - 2005 से सहयोगी राष्ट्र है।


→युक्रेन ने 2018 में रूस के साथ डोनाबास और क्रीमिया पर चल रहे विवादों के र कारण सी आई एस से अपने संबंध तोड़ लिया।


जार्जिया ने 2009 में नाटो का सदस्य होने के कारण सी आई एस छोड़ दिया।


उद्देश्य :


(i) UssR के परवर्ती राज्यों के सरकारी कार्यों में सहायता पहुँचाना।


(ii) राष्ट्रीय सुरक्षा और निरस्त्रीकरण के प्रयास करना।

आर्थिक एकता स्थापित करना।


(iii) यह न तो पूर्ववर्ती USSR की तरह है और न ही NATO की तरह सैन्य गठबंधन।


(iv) राष्ट्रमण्डल के चार्टर अधिनियम में कहा गया कि सभी राज्य सार्वभौमिक संप्रभु होगें।


(vi) सदस्य राष्ट्रों में जनतंत्रीकरण को बढ़ावा देना।


→सरंचना 


सी आई एस की निम्नलिखित परिषदें हैं: 


राष्ट्राध्यक्ष परिषद् (Counciil of Heads of states) 

राष्ट्रों के राज्य प्रमुख शामिल होते हैं।

हर 6 महीने में बैठक होती है और यह CIS की सर्वोच्च संस्था है।


शासनाध्यक्ष परिषद् (Council of Heads of Gov.) 

राष्ट्रों के शासन प्रमुख शामिल होते हैं। इसकी हर 3 महीने में बैठक होती है।


मंत्रिवर्गीय मंत्रिपरिषद

अंतर-संसदीय सभा

अंतर-राज्यीय सभा आदि।


सचिवालय एक स्थायी अंग है।


सफलताएँ :-


 यह एक आर्थिक क्षेत्र स्थापित करने में सफल हुआ। एक अन्तरर्राष्ट्रीय सम्मेलन 13-14 सितंबर 2004 को हुआ

 'सामाजिक और आर्थिक परिवर्तन- समस्याएँ और उपलब्धि' 


2000 में पांच राष्ट्रों (बेलारूस, कजाकिस्तान, किरगिझ स्तान, रूस, तजाकिस्तान) ने EAEC (Eurasiam Economic Community) के गठन पर समझौता किया।


सितंबर 2003 में बेलारूस, कजाकिस्तान, रूस और युक्रेन ने CES का गठन किया। (Common Economic Space)


सीआईएस में लोकतंत्रीकरण और जनतंत्रीकरण


लोकतांत्रिकरण & जनतंत्रीकरण:- एक नजर में




लोकतांत्रिकरण & जनतंत्रीकरण क्या होता है?



लोकतांत्रिक राजनीति/ लोकतंत्रीकरण :


→इसके अनुसार देश में सरकार का निर्माण लोकतांत्रिक तरीके (जनसाधारण के द्वारा) से होना चाहिए जिसमें लोगों में राजनीतिक समानता होनी चाहिए, सार्वभौमिक व्यस्क मताधिकार होना चाहिए,


→इसके अनुसार प्रतिनिधियों का चुनाव निष्पक्ष और स्वतंत्र संस्था द्वारा होना चाहिए। जैसे-भारत में चुनाव आयोग


→ इसमें पारदर्शिता अत्यंत आवश्यक है।


→ सरकार की नीतियों की जानकारी नागरिकों को दी जानी चाहिए। जैसे भारत 2005 का सूचना का में अधिकार।



जनतंत्रीकरण :


→जनतंत्रीकरण से अभिप्राय है कि किस प्रकार से अधिक से अधिक सरकार को जनतंत्रीय बनाया जा सके अर्थात जनसाधारण की सरकार में भागीदारी सुनिश्चित हो सके।


→इसके अनुसार जनसत्ता लोगों के हाथों में होनी चाहिए ताकि जब भी वे सरकार से असंतुष्ट हों तो

उसे हटा सके।


→ समाज के प्रत्येक वर्ग की राजनीतिक सत्ता में बराबर की भागीदारी होनी चाहिए। हो सके तो कुछ वर्गों के लिए सीटें आरक्षित कर दी जानी चाहिए।


सरकार के प्रत्येक स्तर पर जनसाधारण का नियंत्रण होना चाहिए ।


→ सरकार के निर्माण में सेना का हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए


→ चुनावों में धन का दुरुपयोग नहीं होना चाहिए।



पूर्ववर्ती सोवियत गणराज्यों में जनतंत्रीकरण तथा प्रयास:-


सोवियत संघ के परवर्ती राज्यों में समाजवादी व्यवस्था के दुष्परिणामों को ध्यान में रखते हुए उदारवादी, पुँजीवादी और लोकतांत्रिक व्यवस्था को अपनाया गया था। परंतु वहाँ आने वाली सरकारें सत्तावादी हो गई थीं। वे लोकतांत्रिक तो थीं अर्थात् लोगों द्वारा चुनकर बनाई गई थीं लेकिन जनतांत्रिक नहीं थीं अर्थात् लोगों की सरकार में भागीदारी ही नहीं थीं। चुनावों में घपले करवाए जाते और एक ही सरकार बार-बार बनती तथा सत्ताधारी हो जाती, जो लोगों की अपेक्षाओं के विपरित था। इसके कारण इन राष्ट्रों में कई क्रांतियाँ हुई। जैसे जार्जिया में Rose Revolution तथा युक्रेन में Orange Revolution


जार्जिया में रोज़ रिवील्यूशन (Rose Revolution in Georgia)


'जार्जिया में रोज़/ गुलाबी क्रांति' शब्द का प्रयोग जार्जिया में‌ 3 नवंबर से 23 नवबर 2003 तक जार्जिया के राष्ट्रपति Eduard Shevardnadze के विरुध हुए भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन के लिए किया जाता है जो एक रक्तरंजित रहित

आंदोलन था।


कारण: आर्थिक अव्यवस्था, चुनावी धोखाधड़ी, राजनीतिक भ्रष्टाचार, गरीबी


तिथि : 3-23 नवंबर 2003


लक्ष्य : संसदीय चुनाव पुन: हो, राष्ट्रपति Eduard Shevardnadze का व्यातपत्र Abkhazia तथा South Ossestia की पुन: प्राप्ति, यूरोपीय एकीकरण,जनतंत्रीकरण

 

परिणाम : United National Movement Party का शासन, Eduard Shevardmadze का व्यागपत्र, Mikheil

Saakashvili राष्ट्रपति बने, विदेश नीति में परि-वर्तन,‌जार्जिया ने यूरोपीयन तथा यूरी-अटलांटिक

एकीकरण की नीति अपनाई ( NATO तथा EU का सदस्य बन गया। जिससे रूस के साथ संबंध बिगड़ गए।


युक्रेन में ऑरेंज रिवोल्यूशन (Orange Revolution in Ukraine)


'युक्रेन में ऑरेंज / नारंगी क्रांति' युक्रेन में युक्रेनी राष्ट्रपति के रन - आफ़-वोट के बाद शुरू होने वाली राजनीतिक विद्रोहों की श्रृंखला थी जिसका उद्देश्य भ्रष्टाचार समाप्त करना था।यह एक रक्तहीन क्रांति थी।


तिथि :23 नवंबर 2004 - 23 Jan 2005


कारण : भ्रष्टाचार, 2004 के राष्ट्रपति चुनावों में धोखाधड़ी, कुलीनतंत्र की सत्ता, मतदान के दौरान मतदाताओं को धमकी।


उद्देश्य: भ्रष्टाचार और कुलीनतंत्र का अंत, शासनतंत्र का जनतंत्रीकरण


परिणाम: सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर पुन: चुनाव, Victor Yushchenko की जीत हुई।


युक्रेन की राजधानी 'कीव' विद्रोही गतिविधियों का केंद्र थी जहाँ हजारों लोग इकट्ठा होते थे।


किरगिझस्तान की ट्यूलिप रिवोल्यूशन (Tulip Revolution in Kyrgyzstan)


'किरगिझस्तान की ट्यूलिप रिवोल्यूशन' (जिसे प्रथम किरगिझ क्रांति कहा जाता है। किरगिझस्तान में सत्तावादी शासनतंत्र को उखाड़ फेंकने के लिए हुए आंदोलन के लिए प्रयुक्त नाम है।


तिथि: 22मार्च - 11 अप्रैल 2005


कारण: सत्तावाद, 2005 के राजनीतिक भ्रष्टाचार से युक्त चुनाव 


लक्ष्य :2005 के चुनावों का बहिष्कार, राष्ट्रपति Asker Akayeu का इस्तीफा, सत्तावाद का अंत और जनतंत्रीकरण


परिणाम :2005 में पुन: चुनाव, Asker Akayev का इस्तीफा

Class 12 Political Science Notes in Hindi-स्वतंत्र राज्यों के राष्ट्रकुल pdf

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