Class 12 Hindi Bhaktin Important Questions भक्तिन Short Question Answer
Class 12 Hindi Bhaktin Important Questions भक्तिन Short Question AnswerNCERT IMPORTANT QUESTION ANSWERS
भक्तिन (महादेवी वर्मा)
प्रश्न 1. भक्तिन अपना वास्तविक नाम लोगों से क्यों छिपाती थी ? भक्तिन को यह नाम किसने और क्यों दिया होगा ?
उत्तर- भक्तिन का वास्तविक नाम लछमिन अर्थात् लक्ष्मी था जो समृद्धि और ऐश्वर्य का प्रतीक होता है। भक्तिन - एक गरीब महिला थी जबकि उसका नाम लक्ष्मी था। वह धनहीन थी लेकिन इसके साथ वह बहुत समझदार भी थी। लोग उसके इस नाम को सुनकर उसकी हँसी न उड़ाएँ इसलिए वह अपना वास्तविक नाम छिपाती थी। भक्तिन को यह नाम लेखिका ने दिया था। लेखिका ने यह नाम शायद भक्तिन की सेवा भावना को देखकर दिया होगा क्योंकि भक्तिन में एक सच्ची सेविका के सारे गुण विद्यमान थे।
प्रश्न. भक्तिन अच्छी है, यह कहना कठिन होगा, क्योंकि उसमें दुर्गुणों का अभाव नहीं। लेखिका ने ऐसा क्यों कहा
होगा ?
उत्तर- भक्तिन अच्छी है, यह कहना कठिन होगा क्योंकि उसमें दुर्गुणों का अभाव नहीं लेखिका ने ऐसा इसलिए कहा क्योंकि कभी-कभी भक्तिन उसके घर में इधर-उधर पड़े पैसों को भंडार घर की मटकी में छिपा देती थी। जिस बात से लेखिका को क्रोध आ जाता था उसे वह बदलकर इधर-उधर करके बताया करती थी। वह ऐसी बात की अपनी ओर से चुटीली बनाकर कहा करती और उसमें थोड़ा झूठ सच भी मिला कर बात को बदल देती थी।
प्रश्न - भक्तिन द्वारा शास्त्र के प्रश्न को सुविधा से सुलझा लेने का क्या उदाहरण लेखिका ने दिया है ?
उत्तर - लेखिका ने भक्तिन द्वारा शास्त्र के प्रश्न को सुविधा से सुलझा लेने का यह उदाहरण दिया है “शास्त्र का प्रश्न भी भक्तिन अपनी सुविधा के अनुसार सुलझा लेती है। मुझे स्त्रियों का सिर घुटाना अच्छा नहीं लगता। अतः मैंने भक्तिन को रोका। उसने अंकुठित भाव से उत्तर दिया कि शास्त्र में लिखा है ।कुतूहलवश मैं पूछ ही बैठी-'क्या लिखा है ?' तुरंत उत्तर मिला-'तीरथ गए मुंडाए सिद्ध' कौन से शास्त्र का यह रहस्यमय सूत्र है, यह जान लेना मेरे लिए संभव ही नहीं था। अतः मैं हारकर मौन ही रही और भक्तिन का चूड़ाकर्म हर बृहस्पतिवार को एक दरिद्र नापित के गंगाजल से धुले अस्तुरे द्वारा यथाविधि होता रहा।
प्रश्न - भक्तिन के आ जाने से महादेवी अधिक देहाती कैसे हो गई ?
उत्तर- भक्तिन एक देहाती अर्थात् ग्रामीण महिला थी जो अनपढ़ थी। इसलिए वह बिल्कुल देहाती भाषा का प्रयोग किया करती थी। भक्तिन एक देहाती होने के साथ-साथ समझदार भी थी। उसका स्वभाव ऐसा बन चुका था कि वह दूसरों को तो अपने मन के अनुसार बना लेती थी लेकिन अपने अंदर किसी प्रकार का परिवर्तन नहीं चाहती थी। महादेवी वर्मा बार-बार प्रयास करके भी उसके स्वभाव को परिवर्तित न कर सकी। इसलिए भक्तिन के आ जाने से महादेवी अधिक देहाती हो गई।
EXTRA SHORT QUESTION ANSWERS
प्रश्न - भक्तिन के चरित्र की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
अथवा
भक्तिन का चरित्र चित्रण कीजिए।
उत्तर – भक्तिन महादेवी वर्मा द्वारा लिखित एक प्रमुख संस्मरण आत्मक रेखाचित्र है भक्तिन उसका प्रमुख पात्र है। उसके चरित्र की विशेषताएँ निम्नलिखित
(१)व्यक्तित्व – भक्तिन एक अधेड़ उम्र की महिला है। उसका कद छोटा है। शरीर दुबला-पतला है। उसके होंठ पतले हैं। आँखें छोटी-छोटी सी हैं। वह झूसी गाँव के प्रसिद्ध अहीर सूरमा की इकलौती बेटी है। उसकी माँ का नाम गोपालिका था।
(i) महान् सेविका- भक्तिन एक महान् सेविका है। वह अपना प्रत्येक कार्य पूर्ण श्रद्धा, मनोयोग, कर्मठता और कर्तव्य भावना से करती है। उसकी सेवा भावना को देखकर ही महादेवी वर्मा जी ने उसे हनुमान जी से स्पर्धा करने वाली बताया है। जैसे-सेवक धर्म में हनुमान जी से स्पर्धा करने वाली भक्तिन किसी अंजना की पुत्री न होकर एक अनामधन्या गोपालिका की कन्या है। इसका वास्तविक नाम लक्ष्मी था लेकिन इसकी सेवा भावना और भक्तिभाव को देखकर ही लेखिका ने इसे भक्तिन नाम दिया था।
(iii) बुद्धिमती–भक्तिन निरक्षर होते हुए भी एक समझदार महिला है। वह प्रत्येक कार्य को बड़ी समझ-बूझ और होशियारी से पूर्ण करती है। लेखिका के घर में उनके प्रत्येक परिचित और साहित्यकार को वह अच्छी तरह पहचानती है लेकिन उसी के साथ आदर और सम्मान से बात करती है जो उसकी स्वामिनी लेखिका का आदर और सम्मान करता है।
(iv) परिश्रमी–भक्तिन एक कर्मठ महिला है। वह अपना प्रत्येक कार्य पूरे परिश्रम से करती है। अपने ससुराल में भी वह घर, गाय-भैंस, खेत-खलिहान का सारा कार्य पूरी मेहनत से किया करती थी। बाद में लेखिका के घर में आने पर उसने लेखिका के सारे कामकाज को पूरी कर्मठता से पूरा किया करती।
(v) साहसी – भक्तिन एक साहसी महिला थी। बचपन में ही उसकी माँ की मृत्यु हो गई थी। उसकी विमाता ने उसका पालन-पोषण किया लेकिन उस पर बहुत अत्याचार किया फिर भी भक्तिन ने अपना साहस नहीं छोड़ा। छोटी सी उम्र में ही उसकी शादी कर दी गई। ससुराल में भी उसे उपेक्षा का शिकार होना पड़ा। दो कन्याओं को जन्म देने पर उसकी सास और जेठानियों ने उसका खूब अपमान किया। उसको बात-बात पर ताने कसे, उससे घर, गाय-भैंस, खेत-खलिहान का खूब काम करवाया लेकिन भक्तिन ने कभी अपना साहस नहीं छोड़ा।
प्रश्न - लेखिका ने भक्तिन के सेवक धर्म की तुलना किससे की है ? क्यों ?
उत्तर- लेखिका ने भक्तिन के सेवक-धर्म की तुलना हनुमान जी से की है। यह इसलिए की है क्योंकि जिस प्रकार हनुमान अपने प्रभु राम की तन-मन और पूर्ण निष्ठा से सेवा किया करते थे। ठीक उसी प्रकार भक्तिन अपनी मालकिन लेखिका की सेवा करती है। वह उनके प्रति पूर्ण समर्पण भाव से सेवा भाव रखती है।
प्रश्न - जीवन में प्राय: सभी को अपने नाम का विरोधाभास लेकर जीना पड़ता है ? क्यों ?
उत्तर – जीवन में प्रायः सभी को अपने-अपने नाम का विरोधाभास लेकर जीना पड़ता है क्योंकि प्रायः यह दृष्टिगोचर होता है कि सभी का जीवन उनके नाम के अनुरूप सार्थकतापूर्ण नहीं होता। न हि मनुष्य को अपने नाम के अनुरूप वह सब कुछ प्राप्त होता है जो उसे मिलना चाहिए। जैसे-कुबेर, लक्ष्मी, लक्ष्मीपति आदि ।
प्रश्न - भक्तिन ने अपना वास्तविक नाम कब और किसे बताया? उसने क्या प्रार्थना की ?
उत्तर- भक्तिन ने अपना वास्तविक नाम नौकरी पाने के समय अपनी मालकिन लेखिका महादेवी वर्मा को बताया से यह प्रार्थना की थी कि वह इस नाम का कभी उपयोग न करें।लेखिका से यह प्रार्थना की थी कि वह इस नाम का कभी उपयोग न करें।
प्रश्न - भक्तिन के इतिवृत पर नोट लिखिए।
उत्तर -भक्ति का वास्तविक नाम लक्ष्मी था। वह ऐतिहासिक झुंसी के एक प्रसिद्ध सूरमा की इकलौती बेटी थी। पांच वर्ष की अल्पायु में ही उसका विवाह हँडियाँ ग्राम के एक संपन्न गोपालक के बेटे से कर दिया। उसकी विमाता ने नौ वर्ष की आयु में ही उसका गौना कर दिया था क्योंकि उसकी मां गोपालिका की बचपन में ही मृत्यु हो गई।
प्रश्न - भक्तिन का खेत-खलिहान के प्रति ज्ञान कैसे था और क्यों ?
उत्तर- भक्तिन का खेल-खलिहान के प्रति बहुत अच्छा ज्ञान था क्योंकि घर में वही अपने गाय-भैंस, खेत खलिहान, आदि की देखभाल किया करती थी। जिठानियों की उपेक्षा के कारण उसे ही खेत-खलिहानों का कार्यभार सौंपा गया था जिसे करते-करते उसे अधिक ज्ञान हो गया था।
प्रश्न - भक्तिन के जीवन का तीसरा अनुच्छेद कब प्रारंभ हुआ ?
उत्तर- भक्तिन ने अनेक प्रयास करने पर भी अपनी जिठानियों के ससुरगणों की ज़मीन में से नाममात्र भी न देने का निश्चय कर लिया। उसने उसी घर में रहने की घोषणा कर दी तथा भविष्य में भी संपत्ति सुरक्षित रखने हेतु अपनी छोटी लड़कियों का विवाह कर दिया। उसने बड़े दामाद को अपना घरजमाई बनाकर रख लिया। इस तरह भक्तिन के जीवन का तीसरा अनुच्छेद आरंभ हुआ।
प्रश्न - भक्तिन के जीवन की कर्मठता में सबसे बड़ा कलंक क्या बन गया ?
उत्तर-जब भक्तिन की संपत्ति गाय-भैंस, खेत-खलिहान सब पारिवारिक द्वेष में फंस गए तो इससे लगान अदा करना भारी हो गया। जब अधिक समय तक ज़मींदार को लगान नहीं मिला तो उसने भक्तिन को बुलाकर पूरा दिन कड़ी धूप में खड़ा करके रखा। यह उसके जीवन की कर्मठता में सबसे बड़ा कलंक बन गया।
प्रश्न - भक्तिन निरक्षर होते हुए भी साक्षर लोगों की गुरु कैसे बन गई ?
उत्तर- भक्तिन जब इंस्पैक्टर के समान क्लास में घूम-घूमकर किसी के अक्षरों की बनावट, किसी के हाथ की मंथरता, किसी की बुद्धि की मंदता पर टीका-टिप्पणी करने का अधिकार पा गई। इसी से वह निरक्षर होते लोगों की गुरु बन गई।
प्रश्न - भक्तिन का अन्य लोगों से अधिक बुद्धिमान होना कैसे प्रमाणित होता है ?
उत्तर—भक्तिन लेखिका से द्वार पर बैठकर बार-बार कुछ काम करने का आग्रह करती है। कभी वह उत्तर पुस्तकों के बाँधती है कभी अधूरे चित्रों को कोने में रख देती है तो कभी रंग की प्याली धोकर और कभी चटाई को आँचल से झाड़कर वह लेखिका की सहायता करती है। इसी से भक्तिन का लेखिका का अन्य लोगों से अधिक बुद्धिमान होना प्रमाणित होता है।
प्रश्न - भक्तिन की सहजबुद्धि किस संबंध में विस्मित कर देने वाली है ?
उत्तर – भक्तिन का लेखिका के परिचितों एवं साहित्यिक बंधुओं से विशेष परिचित है किंतु उनके प्रति सम्मान की मात्रा लेखिका के प्रति सम्मान की मात्रा पर निर्भर है। उसका सद्भाव उनके प्रति लेखिका के सद्भाव से निश्चित होता है। इसी संबंध में भक्तिन की सहजबुद्धि विस्मित कर देने वाली है।
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