Class 9 Hindi Kritika Chapter 2 - मेरे संग की औरतें Important Questions

Class 9 Hindi Kritika Chapter 2 - मेरे संग की औरतें Important Questions

Class 9 Hindi Kritika Chapter 2 - मेरे संग की औरतें Important Questions
Class 9 Hindi Kritika Chapter 2 - मेरे संग की औरतें Important Questions


मेरे संग की औरतें (मृदुला गर्ग)

NCERT IMPORTANT QUESTION

प्रश्न- लेखिका ने अपनी नानी को कभी न देखा,फिर भी वे उनके व्यक्तित्व से क्यों प्रभावित थी?

लेखिका ने भले ही अपनी नानी को नहीं देखा था, लेकिन उनके बारे में सुना बहुत कुछ जरूर था। उसकी नानी अनपढ़, पर्दे में रहने वाली परंपरागत घरेलू महिला थी। लेखिका के नाना अंग्रेजी रंग-ढंग से रहने वाले व्यक्ति थे उन्होंने फिर भी बिना शिकायत के उनके साथ जीवन बिताया। लेकिन मरने से पहले वे पर्दे की परवाह न करते हुए अपने पति के मित्र, स्वतंत्रता सेनानी प्यारेलाल शर्मा से मिली और उनसे वचन लिया कि मेरी बेटी की शादी आप ही की तरह किसी स्वतंत्रता सेनानी से करेंगे। नानी के चरित्र की इन्ही विशेषताओं के कारण लेखिका उनके व्यक्ति से प्रभावित थी।


प्रश्न- लेखिका की नानी की आजादी के आंदोलन में किस प्रकार की भागीदारी रही ?

लेखिका की नानी भले ही अनपढ थी, लेकिन उनमें देशभक्ति की प्रबल भावना थी। वे अपने पति के मित्र स्वतंत्रता सेनानी प्यारेलाल शर्मा से वचन लेती है कि उनकी बेटी का विवाह वे किसी स्वतंत्रता सेनानी से ही करवाएंगे। अतः लेखिका की नानी की आजादी के आंदोलन में भागीदारी प्रत्यक्ष रूप से होकर अप्रत्यक्ष रूप से थी।


प्रश्न - आप अपनी कल्पना से लिखिए कि परदादी ने पतोहू के लिए पहले बच्चे के रूप में लड़की‌पैदा होने की मन्नत क्यों मांगी?

लेखिका की परदादी लीक से हटकर चलने वाली महिला थी और परिवार पूरा परंपरावादी था। सभी चाहते थे कि पहली संतान के रूप में लड़का ही पैदा हो । परन्तु शायद लेखिका की परदादी इस परंपरा को तोड़ना चाहती हो, इसलिए उन्होंने पहली संतान के रूप में लड़की की मन्नत माँग डाली हो ।


प्रश्न  - लेखिका की माँ परंपरा का निर्वाह न करते हुए भी सबके दिलों पर राज करती थी। इस कथन के आलोक में 


(क) लेखिका की माँ की विशेषताएँ लिखिए।


 (ख) लेखिका की दादी के घर के माहौल का शब्द-चित्र अंकित कीजिए।


उत्तर- (क) लेखिक की माँ बड़ी सुन्दर, कोमल, ईमानदार  नारी थी। पति के गाँधीवादी होने के कारण उनको भी खद्दर की साड़ी पहननी पड़ती थी, लेकिन वे न तो घर का खाना पकाती थी और न ही बच्चों से लाड़ प्यार करती थी, बल्कि वह सारा समय पुस्तकें पढ़ने, साहित्य चर्चा और संगीत सुनने में गुजार देती थीं। उनकी विशेषताएँ यह थीं कि वे न तो कभी झूठ बोलती थीं और न ही किसी को गोपनीय बातें दूसरों को बताती थीं। इसलिए उन्हें घरवालों से हमेशा आदर मिलता रहा और बाहरवालों से स्नेह। लेखिका की दादी उनकी नाजुकता के बारे में कहती थी-"हमारी बहू तो ऐसी है धोई-पोंछी और छींके पर टांग वी।"



(ख) लेखिका की दादी के घर का माहौल पूर्णतया गाँधीवादी था। लेखिका के पिता की जेब में विरासत में मिला पैसा धेला एक नहीं था। लेकिन वे बड़े ही होनहार और समझदार व्यक्ति थे। उनके घर में सभी खादी के कपड़े पहनते थे। लेकिन लेखिका की माँ को खादी की साड़ी पहनने में खासी परेशानी होती थी। लेखिका को दादी का परिवार लेखिका के नाना के विलायती रहन-सहन से बहुत प्रभावित था। इसी कारण से लेखिका की माँ से घर कोई काम नहीं करवाया जाता था। उनसे केवल पारिवारिक मसलों पर राय माँगी जाती थी और उनकी राय का पूरा सम्मान किया जाता था। घर में सबको अपना निजत्व बनाए रखने की स्वतन्त्रता थी। यदि किसी का कोई पत्र आता था तो उसके विषय में कोई नहीं पूछता था।



प्रश्न  - आप अपनी कल्पना से लिखिए कि परदादी ने पतोहू के लिए पहले बच्चे के रूप में लड़की पैदा की मन्नत क्यों माँगी?


उत्तर- लेखिका की परदादी उन महिलाओं में थी, जो लीक से हटकर चलना चाहती थी। हालांकि लेखिका का परिवार एक परम्परावादी परिवार था, जो पहली संतान के रूप में लड़के की कामना करता है। परन्तु शायद लेखिका की परदादी समाज व परिवार की इस परम्परा को तोड़ना चाहती थी। इसलिए उसने अपनी पतोहू की पहली संतान लड़की होने की मन्नत माँगी। 



 प्रश्न  - 'शिक्षा बच्चों का जन्मसिद्ध अधिकार है।'-इस दिशा में लेखिका के प्रयासों का उल्लेख कीजिए।


उत्तर- 'शिक्षा बच्चों का जन्मसिद्ध अधिकार है।'-इस दिशा में लेखिका का प्रयास बड़ा सराहनीय रहा है। लेखिका अपने पति तथा दो बच्चों के साथ कर्नाटक के छोटे-से कस्बे बागलकोट में जाकर रहने लगी। उसके दोनों बच्चे स्कूल जाने योग्य थे। लेकिन वहाँ कोई स्कूल नहीं था। तब लेखिका ने कैथोलिक बिशप से यह अनुरोध किया कि वे मिशन तथा सीमेंट कारखाने से आर्थिक सहायता लेकर प्राइमरी स्कूल खोल दें। लेकिन कैथोलिक बिशप ने यह कहते हुए अपनी असमर्थता व्यक्त की कि वहाँ क्रिश्चियनों की संख्या बहुत कम है। यह सुनकर भी लेखिका ने हार नहीं मानी। उसने अपने जैसे विचार वाले लोगों की सहायता प्राप्त करके अंग्रेजी, कन्नड़ तथा हिन्दी पढ़ाने वाले एक प्राइमरी स्कूल को प्रारम्भ किया, जिसे बाद में कर्नाटक सरकार से भी मान्यता मिल गई।


EXTRA QUESTION ANSWERS


प्रश्न  -  लेखिका की माँ की नाजुकता पर प्रकाश डालिए।


उत्तर- लेखिका की माँ बहुत नाजुक महिला थी। वे इतनी नाजुक थी कि खादी की साड़ी पहनने पर उनकी कमर चनका खा जाती थी। उनके विषय में लेखिका की दादी का कहना था- "हमारी बहू तो ऐसी है कि धोई-पोंछी और छींके पर टांग दी।"



प्रश्न  - लेखिका के परिवार में उसके नाना का दबदबा क्यों था?


उत्तर  - जिस जमाने में लेखिका पैदा हुई, उस जमाने में भारतीय परिवारों में, चाहे वे स्वतन्त्रता की लड़ाई लड़ने वाले परिवार ही क्यों न हों, अंग्रेजी शान-औ-शौकत का खासा रुतबा था। लेखिका के नाना जाति से हिन्दुस्तानी अवश्य थे, परन्तु चेहरे-मोहरे, रंग-ढंग, पढ़ाई-लिखाई सबमें अंग्रेज थे। उनकी साहबी शान थी। यही कारण था कि पूर्णतःगाँधीवादी होते हुए भी लेखिका के परिवार में उनके नाना का दबदबा था। 


प्रश्न  - लेखिका ने अपनी माँ को भारतीय माँ जैसा क्यों नहीं पाया?


उत्तर  -लेखिका ने अपनी माँ को भारतीय माँ जैसा इसलिए नहीं पाया क्योंकि उनकी माँ ने न कभी ममतालू माँ की भांति उसकी या उसके भाई-बहनों की परवरिश की, न उनके लिए कभी खाना पकाया और न कभी अपनी बेटियों को अच्छी पत्नी-बहू होने की सीख दी।


प्रश्न  -  लेखिका की परदादी ने किस प्रकार एक चोर को किसान बना दिया?



उत्तर  - एक बार जब घर के सभी मर्द बारात में गए थे और औरतें रतजगा करने के कारण लेखिका की परदादी अलग कमरे में सो गई थी तब उनके कमरे में एक चोर घुस आया पर दादी ने समझा कि घर का ही कोई आदमी है अतः उन्होंने उससे कूएं से पानी लाने को कहा हालांकि चोर ने कहा कि वह चोर है परंतु फिर भी परदादी ने उसे पानी लाने को कहा।हार कर चोर पानी लाया तब परदादी ने चोर के द्वारा लाया पानी आधा खुद पिया बाकी चोर को पिला दिया और कहा एक लोटे से पानी पीकर हम मां बेटा हुए ।अब बेटा !तू चाहे चोरी कर चाहे खेती। पर दादी के इन शब्दों ने चोर को किसान बना दिया।



प्रश्न  -  रूसी उपन्यास 'ब्रदर्स कारामजोव' के किस अध्याय ने लेखिका को बड़ा प्रभावित किया?



उत्तर  - रूसी उपन्यास 'ब्रदर्स कारामजोव' का वह अध्याय, जो बच्चों पर होने वाले अनाचार-अत्याचार पर आधारित था लेखिका को बड़ा अच्छा लगा। उपन्यास के इस अध्याय ने लेखिका के लेखन के एक महत्त्वपूर्ण भाग को प्रभावित किया। लेखिका की अनेक कहानियाँ, जैसे-'जादू का कालीन', 'मेरा नाटक', 'नहीं', 'तीन किलो की छोरी' तथा उपन्यास 'कठगुलाब' के अनेक अंश उक्त अध्याय से प्रभावित हैं।


Post a Comment

0 Comments