Important Questions-Lakhnavi Andaaz Extra Question Answers लखनवी अंदाज
Important Questions-Lakhnavi Andaaz Extra Question Answers लखनवी अंदाज NCERT IMPORTANT
प्रश्न- लेखक को नवाब साहब के किन हाव-भावों से महसूस हुआ कि वे उनसे बातचीत करने के लिए तनिक भी उत्सुक नहीं है?
उत्तर - जब लेखक ने रेल के डिब्बे में प्रवेश किया तो नवाब साहब की आँखों में असंतोष उत्पन्न हो गया। लेखक यह महसूस हुआ कि मानो उसके आने से नवाब साहब के एकांत में बाधा उत्पन्न हो गई है। नवाब ने लेखक से कोई बात की न ही उसकी ओर देखा अपितु वे खिड़की से बाहर देखने का अभिनय करने लगे। इस साथ-साथ वह डिब्बे की स्थिति पर भी गौर करने लगे। नवाब साहब के इन्हीं हाव-भावों से लेखक को महसु हुआ कि वे उनसे बातचीत करने के लिए तनिक भी उत्सुक नहीं हैं।
प्रश्न - नवाब साहब ने बहुत ही यत्न से खीरा काटा ,नमक मिर्च बुरका ,अंततः सुंघकर ही खिड़की से बाहर फेंक दिया। उन्होंने ऐसा क्यों किया होगा ?उनका ऐसा करना उनके कैसे स्वभाव को इंगित करता है?
उत्तर - प्रायः नवाब लोगों पर अपनी शान की धाक जमाना चाहते हैं। इसके लिए वे समाज के सामान्य तरीकों को छोड़कर कुछ ऐसे नए तरीके खोजते हैं जिससे लोगों को उनकी रईसी का, शान-ओ-शौकत का पता चले। रेलगाड़ी के दूसरे दर्जे के डिब्बे में नवाब साहब अकेले में खीरे खाने की तैयारी कर रहे थे। परन्तु लेखक को वहाँ देखकर उसने अपनी नवाबी दिखाने का नया तरीका खोजा। उसने आम लोगों के समान खीरे के सिर को काटकर रगड़ा उसे छीला और फाँकों में काटा। फिर उसने खीरे को सूंघकर खिड़की से बाहर फेंक दिया। उन्होंने संभवतः ऐसा इसलिए किया होगा ताकि वह लेखक को बता सकें कि खानदानी रईसों का खीरे खाने का यही तरीका होता है उनका ऐसा करना उनके बनावटी व हीन भावना ग्रस्त स्वभाव की ओर इंगित करता है।
प्रश्न - बिना विचार, घटना और पात्रों के भी क्या कहानी लिखी जा सकती यशपाल के इस विचार से आप कहाँ तक सहमत हैं?
उत्तर - हम यशपाल के इस विचार से पूरी तरह सहमत हैं कि बिना विचार घटना और पात्रों के उचित संयोजन के कोई कहानी नहीं लिखी जा सकती। जिन दिनों यशपाल ने यह लेख लिखा नई कहानी आंदोलन अपने पूरे जोरों पर था। नई कहानी के लेखक बिना विचार, घटना और पात्रों की अर्थहीन कहानियाँ लिख-लिखकर अपने को बहुत बड़े कहानीकार सिद्ध करने पर तुले हुए थे। उन्हीं कहानीकारों को समझाने हेतु यशपाल जी ने यह लेख लिखा था और नवाब साहब की तुलना नई कहानी लेखक से करते हुए व्यंग्य पूर्ण लहजे में स्पष्ट किया था कि यदि बिना खीरा खाए ही नवाब साहब को पेट भरे की डकार आ सकती है तो बिना विचार घटना और पात्रों के भी कहानी लिखी जा सकती है स्पष्ट है कि जिस प्रकार बिना पेट भर खीरा खाए किसी को पेट भरे की डकार नहीं आ सकती बेशक व डकार आने का दिखा करें ।ठीक उसी प्रकार बिना विचार घटना और पात्रों के भी कहानी नहीं लिखी जा सकती भले ही कोई इस आधार पर कहानी लिखने का ढोल पीटे।
Important Questions-Lakhnavi Andaaz Extra Question Answers लखनवी अंदाज EXTRA QUESTIONS IMPORTANT
प्रश्न - 'लखनवी अंदाज' व्यंग्य का उद्देश्य क्या है?
अथवा
'लखनवी अंदाज' पाठ का मूलभाव स्पष्ट कीजिए।
अथवा
'लखनवी अंदाज' पाठ में निहित व्यंग्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर - 'लखनवी अंदाज' व्यंग्य का मूल उद्देश्य तो यह सिद्ध करना था कि बिना विचार, घटना व पात्रों के संयोजन के कहानी नहीं लिखी जा सकती। लेखक नवाब साहब के खीरे खाए बिना ही भरे पेट की डकार मारने का ढोंग करने के माध्यम से यह सिद्ध करने में सफल भी रहा कि जिस प्रकार पेट भरे बिना भरे पेट की डकार नहीं मारी जा सकती उसी प्रकार बिना विचार, घटना व पात्रों के कहानी भी नहीं लिखी जा सकती। इस मूल उद्देश्य के अतिरिक्त लेखक का एक अन्य उद्देश्य भी इस व्यंग्य में निहित है, और वह है-पतनशील सामंती वर्ग पर करारा प्रहार करके आज भी युवा पीढ़ी को बनावटी व खोखली जीवन-शैली अपेक्षा एक आदर्श तथा वास्तविक जीवन-शैली अपनाने को प्रेरित करना। लेखक इस व्यंग्य में अपने इस उद्देश्य में भी सफल रहा है।
प्रश्न - लखनवी अंदाज' के आधार पर नवाब साहब का चरित्र-चित्रण कीजिए।
उत्तर - प्रस्तुत व्यंग्य के आधार पर कहा जा सकता है कि नवाब साहब लखनऊ की नवाबी नस्ल के एक सफेदपोश सज्जन थे। उनमें अपने आपको श्रेष्ठ समझने व अन्य लोगों को दोयम दर्जे का समझने की अहं भावना थी। वे सार्वजनिक गाड़ी में भी निजी अधिकार भाव से यात्रा करना चाहते थे। उनमें अपनी उच्चता का दिखावा करने की हीन भावना भरी हुई थी। हालांकि वे सामने वाले व्यक्ति अर्थात् लेखक से बातचीत करने को उत्सुक नहीं थे परन्तु उनकी बातचीत में शिष्टाचार का गुण सर्वत्र विद्यमान था।
प्रश्न - लेखक ने अपनी सीट पर बैठते हुए नवाब साहब से अपनी आँखें क्यों चुरा लीं?
उत्तर- जैसे ही लेखक ने गाड़ी के दूसरे दर्जे के डिब्बे में प्रवेश किया। डिब्बे में बैठे एकमात्र सज्जन नवाब साहब के आँखों में उसे अपने वहाँ आने से एक प्रकार का असंतोष दिखाई दिया। दूसरे नवाब साहब ने उससे बातचीत कर का कोई विशेष उत्साह नहीं दिखाया। अतः अपनी सीट पर बैठते हुए लेखक ने भी नवाब साहब से अपनी और चुरा लीं।
प्रश्न - लेखक को नवाब साहब का भाव-परिवर्तन अच्छा क्यों नहीं लगा?
उत्तर- लेखक के डिब्बे में प्रवेश के समय नवाब साहब की आँखों ने जो असंतोष दिखाया था, उसे देखकर लेखक अपने मन में उनके अहंकारी और अशिष्ट होने की धारणा बना ली थी परन्तु जब नवाब साहब ने उन्हें आदाब अर्ज करते हुए खीरे खाने का निमंत्रण दिया तो भी लेखक ने समझा कि वह अपनी शराफत का गुमान बनाए रखने लिए ही अपना भाव परिवर्तित कर रहे हैं। अतः उसे नवाब साहब का भाव-परिवर्तन अच्छा नहीं लगा।
प्रश्न - लेखक नवाब साहब को देखते ही उसके प्रति व्यंग्य से क्यों भर जाता है?
उत्तर - लेखक के मन में लखनवी नवाबों के प्रति पूर्व धारणा थी कि वे अपनी आन-बान-शान को बहुत महत्त्व देते हैं। वे हर चीज में नजाकत और नफासत दिखाते हैं तथा स्वयं को औरों से अधिक शिष्ट, शालीन और कुलीन सिद्ध करना चाहते हैं। इस धारणा के कारण उसे नवाब के हर कार्य में नवाबी शान दिखाई दी। उसे पता नहीं था कि नवाब साहब सेकंड क्लास में यात्रा क्यों कर रहे हैं, फिर भी वह उसमें खोट देखता है। उसका नवाब को 'लखनऊ की नवाबी नस्ल का सफेदपोश सज्जन' कहना ही उसकी पूर्व धारणा का प्रमाण है।
प्रश्न - लेखक ने नवाब साहब की तुलना किससे की है और क्यों?
उत्तर- लेखक ने नवाब साहब की तुलना 'नयी कहानी' के लेखक से की है क्योंकि उसे दोनों के चरित्र में अत्यधिक समानता नजर आती है। लेखक को दोनों ही बनावटी और खोखले प्रतीत होते हैं। उसे लगता है कि जिस प्रकार ‘नयी कहानी' का लेखक बिना विचार, घटना और पात्र के संयोजन के कहानी लिख रहा है तथा स्वयं ही अपनी पीठ थपथपा रहा है, उसी प्रकार नवाब साहब भी खीरे खाए बिना ही मात्र उसे सूंघने से ऐसे डकार मार रहे हैं जैसे उनका पेट भर गया हो।
2 Comments
Very nice ☺️
ReplyDeleteKeep Learning..
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