Ghar ki Yaad Extra Questions - Class 11 Hindi Important Questions घर की याद
Ghar ki Yaad Extra Questions - Class 11 Hindi Important Questions घर की याद |
Ghar ki Yaad Class 11- NCERT MOST IMPORTANT QUESTION
प्रश्न - पानी के रात भर गिरने और प्राण-मन के घिरने में परस्पर क्या संबंध है ?
उत्तर – कवि जेल में है। वर्षा हो रही है। कवि को उसने घर से दूर होने की पीड़ा हो रही है। उसे परिवार वालों की याद आ रही है। जिस प्रकार बादल आकाश में घिरकर वर्षा ला रहे हैं उसी प्रकार कवि का मन यहाँ तक कि उसके प्राण भी परिवार की यादों से घिर गए । जैसे-जैसे पानी रात भर लगातार गिरता जा रहा है वैसे-वैसे कवि के मन में भी अपने प्रियजनों की यादें उभरती जा रही हैं।
प्रश्न - मायके आई बहन के लिए कवि ने घर को परिताप का घर क्यों कहा है ?
उत्तर–कवि सोच रहा है कि उसकी बहन यहाँ मायके में आनंद और खुशियाँ बाँटने आई होगी। परंतु कवि के जेल में होने के कारण घर के सभी सदस्य दुःखी होंगे। जब उसे इस बात का पता चलेगा तो वह भी दुखी हो जाएगी। वह तो खुशियाँ पाने के लिए मायके आई थी परंतु भाई के न मिलने पर वही घर उसके लिए दुःखों का घर बन जाएगा।
प्रश्न - पिता के व्यक्तित्व की किन विशेषताओं को उकेरा गया है ?
उत्तर – कवि ने एक ओर तो पिता के मज़बूत शरीर सौष्ठव, उनके साहस का वर्णन किया है तो दूसरी ओर उनके हृदय की कोमलता को भी बताया है। कवि पिता के व्यक्तित्व को दर्शाता है कि उनके पिता पर बुढ़ापे का कोई लक्षण दिखाई नहीं देता वे अभी भी पूरी क्षमता के साथ दौड़ सकते हैं, खिलखिला सकते हैं। साहस तो उनमें इतना है कि वे अपने सामने शेर तो क्या मौत को देख कर भी न हिचकिचायें, उनकी आवाज़ में बादलों जैसी गर्जना है तो काम में तूफ़ानों जैसी गति । गीता का पाठ करना उनकी धार्मिक प्रवृत्ति का परिचायक है तो दंड बैठक करना, मुगदर हिलाना उनके व्यायाम के कारण बने मज़बूत शरीर को दर्शाता है। उनका हृदय इतना कोमल है कि वे अपने बच्चों में कवि को न पाकर रो पड़ते हैं। उनके हृदय में कवि के प्रति चिंता बनी रहती है।
प्रश्न - निम्नलिखित पंक्तियों में "बस" शब्द के प्रयोग की विशेषता बताइए। मैं मजे में हूँ सही है घर नहीं हूँ" बस "यही है।
उत्तर – कवि ने यहाँ 'बस' शब्द का अनेक अर्थों में प्रयोग किया है। इसी शब्द से कवि के विविध भाव स्पष्ट होते हैं। पहले ‘बस' में कवि अपने पिता तथा अन्य परिवारजनों को सांत्वना देना चाहता है कि वह जेल में बिलकुल ठीक है मजे में है। बस यही कमी है कि वह घर में नहीं है।
दूसरे 'बस' में कवि के मन की आकुलता एवं पीड़ा का अनुभव होता है कि कहने को तो उसने सावन से कह दिया कि घर जाकर कह दे कि उसे यहाँ बस घर की ही कमी सताती है पर वास्तविकता यह है कि कवि अपनों से दूर रह कर बहुत व्याकुल है। अब तो उसकी सहनशक्ति की मानो चरमसीमा हो गई है। वास्तव में अब उसे सब कुछ रसहीन लगता है।
अंतिम 'बस' द्वारा कवि की आशावादिता का संकेत मिलता है कि जब घरवालों को उसका संदेश मिल जाएगा कि वह जेल में मजे से है तो घर के लोग जो खुशियों के रस से वंचित हो चुके हैं, शायद फिर से खुश हो सकें।
Ghar ki Yaad Class 11-EXTRA QUESTION ANSWERS
प्रश्न - उम्र बड़ी होने पर भी कवि के पिता को बुढ़ापा छू तक नहीं गया है। कवि ने इसके क्या प्रमाण दिए हैं ?
उत्तर – कवि बताता है कि उम्र में पिता बड़े हैं परंतु उनमें शक्ति और ताजगी की कोई कमी नहीं है। वे आज भी बलशाली हैं। वे युवकों की भाँति लंबी दौड़ लगाते हैं और उत्साह में भरकर खिलखिलाते हैं। पिता में साहस की कोई कमी नहीं है। वे मौत से भी भयभीत नहीं होते। उनके शब्दों में बादलों की गर्जना का अनुभव होता है। वे आंधी की तरह कार्य करते हैं और मार्ग की विघ्न बाधाओं से विचलित नहीं होते।
प्रश्न - कवि सावन से अपने बारे में क्या-क्या बताने का अनुरोध करता है ?
उत्तर – कवि सावन से अपने बारे में असलियत को छुपा कर पिता को सांत्वना देने का अनुरोध करता है। कवि सावन से आग्रह करता है कि वह घर जाकर पिता से कहे कि उनका पुत्र जेल में रहता हुआ भी मजे में है। उसे उनके बिछुडने के दुःख के अलावा कोई दुःख नहीं है। वह जेल में भी पढ़-लिख कर ज्ञान प्राप्त कर रहा है। वह खूब मस्त रहता है और दु:खों को अपने पास फटकने नहीं देता। कवि चाहता है कि सावन उसके पिता से उसकी अच्छी स्थिति का वर्णन करे ताकि उसके पिता के हृदय को यह संतोष तथा सांत्वना मिले कि उनका पुत्र स्वस्थ तथा सुखी है।
प्रश्न -भाव एवं शिल्प सौंदर्य स्पष्ट करें
(क) हे सजीले हरे सावन! हे! कि मेरे पुण्य पावन तुम बरस
लो वे न बरसे पाँचवें को वे न तरसे ।
(ख) कह न देना मौन हूँ मैं, खुद न समझँ कौन हूँ मैं, देखना
कुछ बक न देना, उन्हें कोई शक न देना।
उत्तर- ( क ) भाव-सौंदर्य -
कवि सावन को संबोधित करते हुए कहता है कि हे धरती को हरा-भरा बना देने वाले, हे सुंदर सावन! तुम मेरे लिए पवित्र और पावन हो- पुण्य स्वरूप हो मेरे दुख में तुम मेरा साथ देना। मेरे पिता का हृदय अपने पाँचवें बेटे अर्थात् मेरे विरह में दुःखी हो रहा है। वे बैचेन हो रहे हैं। तुम मेरे घर में जी भर कर बरस लेना पर कुछ ऐसा उपाय करना कि वे मेरी याद में आँसू न बहाएँ, वे अपने पाँचवें बेटे के लिए न तरसें।
शिल्प-सौंदर्य –
(1) मेघदूत की परंपरानुसार कवि ने हृदय के भावों को सावन द्वारा भेजने का प्रयास किया है।
(2) संवादात्मकता है।
(3) चित्रात्मकता का गुण है।
(4) प्रसाद गुण का प्रयोग है।
(5) अनुप्रास, मानवीकरण अलंकारों का प्रयोग है।
(6) खड़ी बोली ने कवि के भावों को सजीव अभिव्यक्ति दी है।
(ख) भाव-सौंदर्य -
कवि सावन को संबोधित करते हुए कहता है कि हे सावन! पिता जी से यह न कहना कि जेल में चुपचाप रहता हूँ। किसी से बातचीत करना मुझे अच्छा नहीं लगता। इतना दुखी हूँ कि स्वयं नहीं समझता कि मैं कौन हूँ ? मानसिक यातनाओं के कारण मैं अपने को ही भूल गया हूँ। पर तुम उन्हें मेरी कुशलक्षेम ही कहना। भूलकर भी ऐसी कोई बात न कहना जिससे उन्हें मेरी वास्तविक दशा का आभास हो जाए। कवि नहीं चाहता कि पिता को उसकी पीड़ा का ज्ञान हो ।
शिल्प-सौंदर्य-
(1) अनुप्रास, मानवीकरण अलंकारों का प्रयोग अत्यंत स्वाभाविक है।
(2) संदेश भेजने की प्राचीन परंपरा का पालन किया गया है।
(3) प्रसाद गुण का प्रयोग है
(4) भावानुकूल सरल शब्दावली का चयन किया गया है।
(5) संवादात्मक शैली है।
(6) खड़ी बोली भाषा भावों को प्रकट में सक्षम है।
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