Silver Wedding Extra Question Answer-Class 12 Hindi Vitan Chapter 1 सिल्वर वेडिंग Important Questions Answers

Silver Wedding Extra Question Answer-Class 12 Hindi Vitan Chapter 1 सिल्वर वेडिंग Important Questions Answers 



Silver Wedding Extra Question Answer-Class 12 Hindi Vitan Chapter 1 सिल्वर वेडिंग Important Questions Answers
Silver Wedding Extra Question Answer-Class 12 Hindi Vitan Chapter 1 सिल्वर वेडिंग Important Questions Answers 





Silver Wedding Extra Question Answer-Class 12 Hindi Vitan Chapter 1 सिल्वर वेडिंग Important Questions Answers 

              

Silver Wedding Class 12 Hindi Vitan Chapter 1-NCERT MOST IMPORTANT QUESTION ANSWERS


प्रश्न - यशोधर बाबू की पत्नी समय के साथ ढल सकने में सफल होती है, लेकिन यशोधर बाबू असफल रहते हैं। ऐसा क्यों ? 


उत्तर- यशोधर बाबू सचिवालय में सेक्शन ऑफिसर हैं। वे अपने काम के प्रति सचेत एवं समय के पाबंद हैं। काम के समय वे अपने सह कर्मचारियों के साथ गंभीर व्यवहार करते हैं जबकि छुट्टी के बाद उनके साथ दोस्तों की तरह व्यवहार करते हैं। ये सभी आदर्श एवं संस्कार उन्हें अपने आदर्श कृष्णानंद से मिले हैं जिन्हें यशोधर आदर से किशनदा कहकर पुकारते हैं। किशन के संस्कारों और आपसी व्यवहार ने यशोधर बाबू को गहरा प्रभावित किया है। वे प्रत्येक बात किशनदा के नज़रिये से देखते हैं। दूसरी ओर यशोधर बाबू की 

पत्नी अपने बच्चों के दृष्टिकोण से सहमत होने के कारण उनका साथ देती है। वह उन्हीं के साथ अधिक समय व्यतीत करती है। यह अपनी दबी सारी इच्छाओं को अपनी बेटी तथा बेटों के माध्यम से पूर्ण करना चाहती है। इसीलिए उसे बेटी द्वारा जिन्स तथा बिना बाजू का टोप पहनना बुरा नहीं लगता। इसके लिए वह अपने पति का भी विरोध करती है। किशनदा से प्रभावित होकर यशोधर बाबू भी घर नहीं बनवाते हैं। उन्हें यह बात बिल्कुल भी पसंद नहीं आती कि उनके बच्चे उनकी सालगिरह को 'सिल्वर वैडिंग' के रूप में मनाएं। वे इस आयोजन को फिजूलखर्ची मानते हैं। उनके बच्चे यशोधर बाबू के इसी दृष्टिकोण से सहमत नहीं हैं।

इस प्रकार कहा जा सकता है कि यशोधर बाबू अपने आदर्श किशनदा से अधिक प्रभावित है और आधुनिक परिवेश में बदलते जीवन मूल्यों और संस्कारों के विरुद्ध हैं जबकि उनकी पत्नी अपने बच्चों के साथ आधुनिक परिवेश में ढल चुकी है इसलिए यशोधर बाबू की पत्नी समय के साथ ढल सकने में सफल होती है लेकिन यशोधर बाबू असफल रहते हैं।



प्रश्न -  निम्नलिखित में से किसे आप कहानी की मूल संवेदना कहेंगे/कहेंगी और क्यों ?


 (क) हाशिए पर धकेले जाते मानवीय मूल्य।

 (ख) पीढ़ी अंतराल।

 (ग) पाश्चात्य संस्कृति का प्रभाव।


                              अथवा


'सिल्वर वैडिंग' में प्रतिपादित पीढ़ी के अंतराल पर प्रकाश डालिए। 


उत्तर – 'सिल्वर वैडिंग' सुप्रसिद्ध कथाकार 'मनोहर श्याम जोशी' द्वारा रचित एक संवेदनशील कहानी है। इस कहानी में अपने आदर्श किशनदा के संस्कारों और जीवन मूल्यों से जुड़े यशोधर बाबू और उनके आधुनिक परिवेश में बड़े हो रहे बच्चों की नई सोच में अंतर को चित्रित किया गया है। उपर्युक्त प्रश्नों में तीन मुख्य बातों को दर्शाया गया है। अगर यह कहें कि इन बातों का ही मिश्रण प्रस्तुत कहानी की मूल संवेदना है तो गलत नहीं होगा। 

कहानी में यह बात पूरी तरह सत्य है कि आधुनिक पीढ़ी मानवीय मूल्यों की परवाह नहीं करती वह केवल अपने तरीके से सोचती है फिर चाहे उनके परिवार के अन्य सदस्य उनसे कितने ही नाराज़ ही क्यों न हों। दोनों पीढ़ियों के बीच अंतराल भी मूल हो सकता है। 

 पाश्चात्य संस्कृति का प्रभाव भी कहीं-न-कहीं नयी पीढ़ी को प्रभावित करता है। लेकिन फिर भी अगर किसी एक बिंदु पर ध्यान आकर्षित किया जाये या किसी एक बिंदु को ही कहानी की मूल कहा जाए तो निश्चित रूप से पीढ़ी अंतराल ही इस कहानी की मूल संवेदना ही है। 


कहानी के संपूर्ण कथानक का अगर अवलोकन किया जाए तो यह कथन अधिक संगत होगा कि यशोधर बाबू पुरानी पीढ़ी के पक्षधर हैं और उनके बच्चे नयी पीढ़ी के प्रतिनिधि के रूप में सामने आते हैं।


Silver Wedding Class 12 Hindi Vitan Chapter 1-EXTRA MOST IMPORTANT QUESTION


प्रश्न - "किशनदा यशोधर बाबू के आदर्श थे" इसी कथन के आधार पर किशनदा की जीवन-शैली की चर्चा कीजिए।


          अथवा


किशनदा के चरित्र की क्या विशेषताएँ हैं ?



उत्तर – 'किशनदा' एक संवेदनशील, परिश्रमी एवं संस्कारी व्यक्ति थे। वे पहाड़ से आकर दिल्ली में नौकरी करते थे। वे सारी उम्र अविवाहित रहे। पहाड़ी स्थानों से आने वाले बेरोजगार युवक उनके यहां रुककर काम की तलाश किया

करते थे। यशोधर बाबू भी कम उम्र में अल्मोड़ा से आये और किशनदा के यहां रहने लगे थे। चूंकि यशोधर बाबू की

उम्र अभी नौकरी के लायक नहीं थी इसलिए जब तक उसकी उम्र नौकरी के लायक होती उन्होंने किशनदा के यहां

रसोइया की नौकरी की। फिर किशनदा ने उन्हें अपने कार्यालय में नौकरी लगवाई थी। संवेदनशील किशनदा का घर

सबके लिए खुला था। वे सारी उम्र दूसरों के लिए कार्य करते रहे। जब किशनदा सेवानिवृत्त हो गए तब किसी ने भी

उनको अपने यहां ठहरने के लिए एक कमरा तक नहीं दिया था। यशोधर बाबू भी मजबूर थे क्योंकि क्वार्टर में उनके

परिवार के लिए भी पूरी जगह नहीं थी। फिर भी किशनदा को जब कभी भी अवसर मिलता वे यशोधर बाबू का पूरा

ध्यान रखते थे। वे सदा काम करने में विश्वास करते थे। वे स्वयं बताते हैं कि किस तरह मैंने जवानी में पचासों किस्म

खुराफात की है। ककड़ी चुराना, गर्दन मोड़कर मुर्गा मार देना, पीछे की खिड़की से कूदकर सेकिंड शो सिनेमा देख आना

भी। इस प्रकार किशनदा एक चंचल प्रकृति के व्यक्ति थे। किशनदा का बुढ़ापा बड़ा ही संकटों में बीता। सेवानिवृत्ति के बादकुछ वर्ष वे राजेंद्र नगर में किराये के मकान में रहे। फिर वे अपने गाँव चले गए। कुछ साल बाद वहाँ उनकी मृत्यु हो गई। जब यशोधर बाबू ने उनकी मृत्यु का कारण जानना चाहा तो किसी ने यही कहा कि 'जो हुआ होगा' यानि कि 'पता नहीं क्याहुआ।” यशोधर बाबू के लिए यह उत्तर काफ़ी नहीं था। परंतु वे चाहकर भी किशनदा के अंतिम दिनों के बारे में कुछ नहीं जान पाये। परंतु यह सत्य है कि यशोधर बाबू के जीवन पर किशनदा की जीवन-शैली का अत्यधिक प्रभाव था।




प्रश्न - यशोधर बाबू के चरित्र की विशेषताएं लिखिए।



 उत्तर - 1. कर्मठ एवं परिश्रमी- यशोधर बाबू एक कर्मठ एवं मेहनती व्यक्ति हैं। वे दफ्तर में पूरा समय काम करते हैं। घर का बहुत-सा काम वे स्वयं करते हैं। सब्ज़ी लाना, दूध लाना, राशन लाना तथा दूसरे अन्य काम भी उन्हें ही करने पड़ते हैं परंतु वे इन सभी कामों को करना अपना कर्त्तव्य समझते हैं।


2. संवेदनशील – यशोधर बाबू एक संवेदनशील व्यक्ति हैं। वे रिश्तों के प्रति संवेदनशील एवं भावुक हैं। जब किशनदा को कोई अपने यहां नहीं ठहराता तो उन्हें बहुत बुरा लगता है। चूंकि घर में बच्चे और पत्नी का उनके साथ मतभेद है इसलिए वे घर देर से लौटते हैं। उन्हें इस बात का दुःख है कि बच्चे उनकी कदर नहीं करते हैं।


3. परंपरावादी – यशोधर बाबू परंपराओं और मर्यादाओं में विश्वास करते हैं। उन्होंने अपना घर नहीं बनाया क्योंकि वे चाहते हैं कि सेवानिवृत्त होने के पश्चात् वे भी अपने पैतृक गाँव लौट जाएंगे इसलिए दिल्ली जैसे महंगे शहर में घर बनाने का कोई फ़ायदा नहीं है। जबकि परिवार के सभी सदस्य उनकी इस बात को एक बड़ी भूल मानते हैं।


4. संस्कारी - यशोधर बाबू एक संस्कारी व्यक्तित्व हैं वे रिश्ते-नाते बनाए रखने विश्वास रखते हैं। वे अपनी बहन को मिलने अहमदाबाद इसलिए जाना चाहते हैं कि उनके जीजा जनार्दन जी आजकल बीमार हैं। वे चाहते हैं कि उनके बच्चे भी रिश्तों के प्रति संवेदनशील बनें।




प्रश्न - दिल्ली आने पर यशोधर बाबू की सहायता किसने की और कैसे ?


 उत्तर - दिल्ली आने पर यशोधर बाबू की सहायता किशनदा ने की। किशनदा ने यशोधर बाबू को रहने के लिए कमरा ही नहीं दिया बल्कि उसे रसोइया बनाकर भी रख लिया। उन्होंने यशोधर को पचास रुपए उधार दिए ताकि वह अपने लिए कपड़े बनवा सके तथा अपने गाँव पैसा भेज सके। इसके बाद नौकरी की उम्र होने पर किशनदा ने उन्हें अपने दफ्तर में अपने नीचे नौकरी पर लगवा दिया।



प्रश्न - यशोधर साइकिल की उपेक्षा कर दफ्तर पैदल क्यों जाने लगे ?


 उत्तर – यशोधर बाबू साइकिल की उपेक्षा कर दफ्तर पैदल इसलिए जाने लगे क्योंकि उनके बच्चे आधुनिक विचारों के - थे। उन्हें अपने पिता का साइकिल पर आना-जाना अच्छा नहीं लगता था। उनका विचार था कि साइकिल तो चपड़ासी चलाते हैं। इसलिए पिता जी स्कूटर पर दफ्तर जाएं किंतु यशोधर बाबू को स्कूटर बिल्कुल बेकार सवारी मालूम होती थी ।



प्रश्न - यशोधर बाबू अपने बच्चों की तरक्की होने पर ज्यादा खुश क्यों नहीं थे ?


उत्तर- यशोधर बाबू अपने बच्चों की तरक्की होने पर ज्यादा खुश इसलिए नहीं थे क्योंकि उनके बच्चे आधुनिक रहन-सहन में रहने लगे थे। पैसा होने पर वे सभी जीवन मूल्य भुला चुके थे। वे सदा अपने गरीब रिश्तेदारों की उपेक्षा करते थे। समय आने पर अपने पिता जी को भी अपमानित करने में भी उन्हें कोई शर्म नहीं थी।



 प्रश्न -  यशोधर बाबू की पत्नी मॉडर्न कैसे बन गई ?


उत्तर- यशोधर बाबू की पत्नी अपने मूल संस्कारों से किसी भी तरह से आधुनिक नहीं थी। किंतु फिर भी वह अपने आधुनिक बच्चों की मातृसुलभ मजबूरी में तरफ़दारी करती थी। इसी मातृसुलभ बच्चों की तरफ़दारी से यशोधर बाबू की पत्नी मॉड बन गई।


प्रश्न -  यशोधर बाबू तथा उसकी पत्नी के आधुनिकता के प्रति विचारों में कैसा द्वंद्व था ?


 उत्तर – यशोधर बाबू की पत्नी धर्म-कर्म, कुल परंपरा, सबको ढोंग-ढकोसला कहकर आधुनिकता का आचरण करती थी। किंतु यशोधर बाबू शायनल बुढ़िया, चटाई का लहँगा, बुढ्ढी मुँह मुँहासे लोग करें तमासे आदि कहकर पत्नी के विद्रोह को मजाक में उड़ाते थे।


प्रश्न - परलोक के बारे में उत्साही होने पर यशोधर बाबू ने क्या किया ?


 उत्तर-परलोक के बारे में उत्साह होने पर यशोधर बाबू बिड़ला मंदिर गए। वहाँ जाकर उन्होंने लक्ष्मी-नारायण के आगे हाथ जोड़कर की। प्रभु के चरणों से आशीर्वाद के फूल उठाए तथा पीछे से महात्मा जी के गीता के प्रवचन सुनने चले गए।


प्रश्न -  यशोधर बाबू को पत्नी का कैसा रहन-सहन समहाऊ इंप्रापर मालूम होता है ?


 उत्तर -यशोधर बाबू की पत्नी बिना बाँह का ब्लाऊज पहनती थी। रसोई से बाहर दाल-भात खाती थी। ऊँची हील वाली सैंडल पहनती थी। यही सब यशोधर बाबू को समहाऊ इंप्रापर मालूम होता था।



 प्रश्न -  यशोधर बाबू अपने बच्चों से कैसा व्यवहार चाहते थे ? 


 उत्तर- यशोधर बाबू चाहते थे कि उन्हें समाज का सम्मानित बुजुर्ग माना जाए। उसके बच्चे उसका आदर सम्मान करें। प्रत्येक बात में उसकी सलाह लें।


प्रश्न - यशोधर बाबू के बच्चों को अपने पिता से क्या शिकायत थी ?


उत्तर - यशोधर बाबू प्राचीन मूल्यों एवं विचारों के आदमी थे। उन्हें लोक दिखावा तथा भीड़-भाड़ पसंद नहीं थी किंतु उनके बच्चे आधुनिक विचारों के थे। उन्हें पार्टी समारोह आदि करना अच्छा लगता था। उन्होंने अपने पिता की सिलवर वैडिंग का आयोजन किया और वहाँ बड़े-बड़े लोगों को बुलाया। परंतु उनके पिता वहाँ नहीं आए। उनके बच्चों को यही शिकायत थी कि वे केवल एल० डी० सी० टाइप लोगों से मिलते-जुलते हैं।




 



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