Charlie Chaplin Yani Hum Sab Question Answers Class 12 Hindi Chapter 15 चार्ली चैप्लिन यानी हम सब Solutions
Charlie Chaplin Yani Hum Sab Question Answers Class 12 Hindi Chapter 15 चार्ली चैप्लिन यानी हम सब Solutions |
Charlie Chaplin Yani Hum Sab Question Answers Class 12 Hindi Chapter 15 चार्ली चैप्लिन यानी हम सब Solutions
Charlie Chaplin Yani Hum Sab Question Answers Class 12 Hindi-NCERT QUESTION ANSWER
पप्रश्न 1. लेखक ने ऐसा क्यों कहा है कि अभी चैप्लिन पर करीब 50 वर्षों तक काफी कुछ कहा जाएगा ?
उत्तर- अभी चैप्लिन पर करीब 50 वर्षों तक काफी कुछ कहा आएगा। लेखक ने ऐसा इसलिए कहा है क्योंकि आम लोग चार्ली चैप्लिन की जन्म शताब्दी मना रहे हैं। चार्ली चैपलिन से संबंधित वर्तमान में कुछ ऐसी रीले मिली हैं ,जिनके बारे में कोई नहीं जानता था उनकी भी समीक्षा की जाएगी ।इसके साथ-साथ विकासशील देशों में जैसे-जैसे टेलीविजन, वीडियो का प्रचार बढ़ रहा है वैसे- वैसे नए दर्शक भी चार्ली से जुड़ते जा रहे हैं।
प्रश्न 2. चैप्लिन ने न सिर्फ फ़िल्म-कला को लोकतांत्रिक बनाया बल्कि दर्शकों की वर्ग तथा वर्ण-व्यवस्था को तोड़ा। इस पंक्ति को लोकतांत्रिक बनाने का और वर्ण-व्यवस्था तोड़ने का क्या अभिप्राय है ? क्या आप इससे सहमत हैं ?
अथवा
'चार्ली चैप्लिन यानी हम सब' पाठ के माध्यम से लेखक क्या कहना चाहता है ?
उत्तर- चार्ली ने अपनी फिल्मों में अपने अभिनय के माध्यम से समाज के प्रत्येक वर्ग और प्रत्येक वर्ण को आनंदित किया उदाहरण के लिए पागल खाने के मरीज ,मानसिक रोगी और आइंस्टाइन जैसे महान प्रतिभाशाली व्यक्ति भी उनकी फिल्मों का समान रूप से आनंद ले सकते हैं। इसी प्रकार बच्चे- बूढ़े पुरुष -स्त्री अमीर और गरीब सभी उनकी फिल्मों का आनंद एक साथ लेते है। इस प्रकार चार्ली ने न सिर्फ फिल्म कला को लोकतांत्रिक बनाया बल्कि दर्शकों की वर्ग तथा वर्ण व्यवस्था को भी तोड़ा ,हम इस तथ्य से पूरी तरह सहमत हैं ।लेखक भी इस पाठ के माध्यम से यह बताना चाहता है कि चार्ली चैपलिन ने पूरी दुनिया का समान रूप से मनोरंजन किया।
प्रश्न 3. लेखक ने चाली का भारतीयकरण किसे कहा और क्यों ? गाँधी और नेहरू ने भी उनका सान्निध्य क्यों चाहा ?
उत्तर-लेखक ने भारतीय फिल्म अभिनेता राज कपूर को चार्ली का भारतीय करण कहा है इसके कारण निम्नलिखित हैं।
(क) राज कपूर ने अपनी फिल्म 'आवारा' और' श्री 420 'में करुण रस को हास्य रस में और हास्य रस को करुण रस में बदलने का साहसिक प्रयोग किया था इसकी प्रेरणा उन्होंने चार्ली से ली थी।
(ख) भारतीय कला और सौंदर्य शास्त्र में करूण रस को हास्य रस में बदलने का कोई सिद्धांत नहीं है लेकिन राज कपूर ने विदेशी कला सिद्धांत को भारतीय परिवेश में प्रयोग किया।
नेहरू और गांधी जी चार्ली के विचारों और उनकी अभिनय क्षमता के कायल थे इसी कारण से उन्होंने चार्ली का सानिध्य चाहा।
प्रश्न 4. लेखक ने कलाकृति और रस के संदर्भ में किसे श्रेयस्कर माना है और क्यों ? क्या आप कुछ ऐसे उदाहरण दे सकते हैं जहाँ कई रस साथ-साथ आए हों ?
उत्तर-लेखक ने कलाकृति और रस के संबंध में यही श्रेयकर माना है की कलाकृति और रस ही एक न हो अपितु एक कलाकृति में एक से अधिक रस साथ-साथ हो इससे कोई भी कलाकृति रुचिकर बन जाती है। भारतीय सौंदर्य शास्त्र में करुण और हास्य रस एक साथ नहीं चलते लेकिन चार्ली की फिल्मों में हास्य और करुण रस एक साथ पाए जाने से यह रुचिकर बन गई है ।चार्ली चैपलिन और राज कपूर की बहुत सारी ऐसी फिल्में उदाहरण के रूप में मौजूद हैं जिनमें कई रसों का एक साथ प्रयोग हुआ है।
प्रश्न 5. जीवन की जद्दोजहद ने चार्ली के व्यक्तित्व को कैसे संपन्न बनाया ?
उत्तर- चाली एक परित्यक्ता और दूसरे दर्जे की स्टेज अभिनेत्री का बेटा था। बाद में उसकी माँ पागल हो गई जिससे वह निरंतर संघर्ष करता रहा उसका जीवन भयानक गरीबी में व्यतीत हुआ लेकिन उसने हार नहीं मानी। उसकी स्थिति को देखकर पूँजीवादी तथा सामंतशाही समाज ने उसको निरंतर दुत्कारा लेकिन वह इन सब परिस्थितियों से संघर्ष करते रहे। इस प्रकार बचपन से ही जद्दोजहद करते हुए चार्ली ने अपना धैर्य एवं साहस नहीं छोड़ा। प्रतिकूल परिस्थितियों ने उसे अनेक जीवन मूल्य प्रदान किए ऐसे जीवन मूल्य जो उसे एक करोड़पति होकर भी न मिल सके। इस प्रकार जीवन की जद्दोजहद ने चार्ली के व्यक्तित्व को संपन्न बनाया।
प्रश्न 6. चार्ली चैप्लिन की फ़िल्मों में निहित त्रासदी, करुणा और हास्य का सामंजस्य भारतीय कला और सौंदर्य शास्त्र की परिधि में क्यों नहीं आता ?
उत्तर- चार्ली चैप्लिन की फ़िल्मों में त्रासदी, करुणा और हास्य का अनूठा सामंजस्य है। वे एक ऐसे महान् कलाकार हैं जो अपनी प्रतिभा से त्रासदी और करुणा को भी हास्य में बदलने की शक्ति रखते हैं। लेकिन त्रासदी, करुण और हास्य का ऐसा मेल भारतीय कला और सौंदर्य शास्त्र की परिधि में नहीं आता क्योंकि भारतीय परंपरा में ऐसे रस सिद्धांत नहीं हैं, जो करुणा को हास्य में बदल सकें। अपने ऊपर हँसने और दूसरों में वैसी ही शक्ति पैदा करने को प्रतिभा भारतीय विदूषक में कुछ कम ही नजर आती है। हास्य कब करुणा में बदल जाएगा और करुणा कब हास्य में बदल जाएगी इससे भारतीय जनता सैद्धांतिक रूप से अपरिचित है।
प्रश्न 7. चार्ली सबसे ज्यादा स्वयं पर कब हँसता है ?
उत्तर- चार्ली सबसे ज्यादा स्वयं पर तब हँसता है जब वह अपने आपको गर्व से उन्मत मानता है। वह आत्म विश्वास से लबरेज हो जाता है। वह सफलता सभ्यता, संस्कृति तथा समृद्धि की प्रतिमूर्ति बन दूसरों से ज्यादा शक्ति तथा श्रेष्ठ समझने लगता है। वह अपने 'वज्रादपि कठोराणि' अथवा 'मृदूनि कुसुमादपि क्षण में दिखलाता है।
Charlie Chaplin Yani Hum Sab Question Answers Class 12 Hindi Chapter 15 चार्ली चैप्लिन यानी हम सब-EXTRA QUESTION ANSWER
प्रश्न 1. हमारा चेहरा चार्ली चार्ली कब हो जाता है ? हम किन क्षणों में पलायन के शिकार हो जाते हैं ?
उत्तर- जब हम सत्ता, शक्ति, बुद्धिमत्ता और पैसे के चरमोत्कर्ष में आईना देखते हैं तो हमारा चेहरा चार्ली चार्ली हो जाता है। हम अपने बहादुरी के क्षणों में कायरता और पलायन के शिकार हो जाते हैं।।
प्रश्न 2. चार्ली का चरित्र-चित्रण कीजिए।
उत्तर- चार्ली दुनिया के महान् हास्य अभिनेता और निर्देशक थे। वे एक परित्यक्ता और दूसरे दर्जे को स्टेज अभिनेत्री के बेटे थे। जब उनकी माँ पागलपन का शिकार हो गई तब उन्होंने जीवन से बहुत संघर्ष किया। उन्होंने अत्यंत गरीबी
में जीवन बिताया। पूँजीवाद और सामंतशाही से मगरूर समाज ने इनको दुत्कारा ।लेकिन इन्होंने जीवन में हार नहीं मानी। चार्ली का बच्चों जैसा दिखना खास विशेषता है। उनकी सबसे बड़ी विशेषता है कि वे किसी भी को विदेश नहीं लगते। चाली ने न सिर्फ फिल्म कला को लोकतांत्रिक बनाया बल्कि दर्शकों की वर्ग तथा वर्ण व्यवस्था को भी तोड़ा।
प्रश्न 3. चार्ली की कौन-कौन सी फिल्में उच्चतर अहसास की मांग करती हैं ?.
उत्तर -चार्ली की अधिकांश फ़िल्में बुद्धि की अपेक्षा भावनाओं पर टिकी हुई हैं। मैट्रोपोलिस , केबिनेट ऑफ डॉक्टर कैलीगरी, द रोवैथ सील, लास्ट ईयर इन मैरिएनबाद, द सैक्रिफाइस,जैसी उत्कृष्ट फिल्में उच्चतर अहसास की करती हैं।
प्रश्न-4. बचपन में जिन घटनाओं ने चार्ली के जीवन पर अधिक असर डाला। उनका चित्रण कीजिए।
उत्तर-चार्ली चैप्लिन एक महान् हास्य कलाकार थे। उनका जीवन अत्यंत संघर्षमय रहा। बचपन को दो घटनाओं ने उनके जीवन पर गहन और स्थायी प्रभाव डाला।
(क) एक बार जब वे बीमार थे तब उनकी माँ ने उन्हें ईसा मसीह का जीवन बाइबिल से पढ़कर सुनाया था। ईसा
के सूली पर चढ़ने के प्रकरण तक आते-आते माँ और चार्ली दोनों रोने लगे।
(ख) बालक चार्ली उन दिनों एक ऐसे घर में रहता था जहाँ से कसाई खाना दूर नहीं था। वह रोज सैकड़ों जानवरों
को वहाँ पर जाते देखता था। एक बार एक भेड़ किसी तरह जान छुड़ाकर भाग निकली। उसे पकड़ने वाले उसका पीछा
करते हुए कई बार फिसले. गिरे और पूरी सड़क पर लोग ठहाके लगने लगे। आखिरकार उस गरीब जानवर को पकड़ और फिर उसे कसाई के पास ले जाने लगे तब चाल को अहसास हुआ कि उस भेड़ के साथ क्या होगा। रोता हुआ भी के पास दौड़ा, "उसे मार डालेंगे। उसे मार डालेंगे।" कहने लगा।
प्रश्न-5 चार्ली की पहली फिल्म कौन-सी थी जिसने लेखक के द्वारा लिखे जाने वाले निबंध के साथ अपना 75 माह वर्ष पूरा किया था ? चार्ली की प्रमुख देन क्या है ?
उत्तर- चार्ली की पहली फ़िल्म 'मेकिंग ए लिविंग' है जिसने लेखक के निबंध 'चाली चैप्लिन यानी हम सब' के साथ अपने 75 वर्ष पूरे किए थे। अपनी कला और हास्य से चार्ली ने पिछली पाँच पीढ़ियों का भरपूर मनोरंजन किया है उन्हें मुग्ध किया है और जी खोल कर हँसने के लिए विवश किया है।
प्रश्न 6. विकासशील और विकसित देशों में चार्ली मर कर भी अभी तक जिंदा कैसे है ?
उत्तर- चार्ली को दुनिया से सदा के लिए गए हुए वर्षों बीत चुके हैं पर विकासशील और विकसित देशों में मर कभी नहीं मरे 16 अप्रैल सन् 1989 को इन के जन्म के एक सौ वर्ष पूरे हो चुके थे पर इनके नाम और अभिनय कला से भी अभी भी बच्चा-बच्चा परिचित है। ये आज भी विश्व के करोड़ों बच्चों को हँसा रहे हैं। वे सिनेमा, टेलीविजन और वीडियो के कारण मर कर भी अभी तक जिंदा है।
प्रश्न 7. दर्शक अभी तक चार्ली के विषय में बड़ी रुचि से क्या देख रहे हैं ?
उत्तर- दर्शक अभी तक चार्ली को 'घड़ी सुधारते' या 'जूते खाते हुए' बड़ी रुचि से देख रहे हैं।
प्रश्न 8. चार्ली के विषय में नई जानकारी किस से प्राप्त हो सकेगी और इस विषय में अभी कितने समय तक कुछ कहा जाएगा ?
उत्तर- चार्ली के जीवन, कला और फ़िल्मों से जुड़ी कुछ ऐसी फ़िल्में और इस्तेमाल की गई रीलें मिली हैं जिनके विषय में पहले कोई कुछ नहीं जानता था। उनके विषय में अभी पचास वर्ष तक कुछ नया कहा जाएगा।
प्रश्न 9. चार्ली की फ़िल्मों के प्रशंसक किस वर्ग के माने जाते हैं ?
उत्तर—- चार्ली की फ़िल्मों के प्रशंसक पागलखाने के मरीजों, विकल मस्तिष्क लोगों से लेकर आइन्सटीन जैसे महान्
वैज्ञानिकों को माना जाता हैं।
प्रश्न 10. चार्ली की सब से बड़ी देन क्या है ?
उत्तर - चार्ली ने कला को लोकतांत्रिक बनाया और दर्शकों की वर्ग और वर्ण व्यवस्था को तोड़ा है। वह इशारों से समझा देता है कि राजा भी उतना ही नंगा है जितना वह स्वयं था और भीड़ इस पर हँस देती है।
प्रश्न 11. चाली में आरंभ से अंत तक कौन-से जीवन मूल्य मृत्यु तक बने रहे थे ?
उत्तर - करोड़पति हो जाने पर भी चार्ली में ये जीवन मूल्य बने रहे थे कि वह यह एक पारित्यक्ता एवं दूसरे दर्जे की अभिनेत्री का बेटा था; उस ने भयंकर गरीबी झेली थी, माँ के पागलपन के कारण संघर्ष किया था और सामंतशाही के द्वारा दुत्कारा गया था।
प्रश्न 12. चार्ली को 'घुमंतू' और 'बाहरी' चरित्र किसने बना दिया था ?
उत्तर -चार्ली को उसकी नानी की खानाबदोशी (जिसी) और पिता की और से यहूदीपन वंश परंपरा से प्राप्त हुई थी जिसमें उसे सदा के लिए 'बाहरी' और 'घुमंतू' चरित्र बना दिया था।
प्रश्न 13. चालीं अपने जीवन में किस छवि को ही प्रस्तुत करते रहे थे और क्यों ?
उत्तर – चालीं अपने चरित्र में खानाबदोश, बद्दू और अवारागर्द की छवि को ही प्रस्तुत करते रहे थे। उन्होंने भी मध्यवर्गी, बुर्जुआ या उच्चवर्गीय जीवन मूल्यों को नहीं अपनाया था। शायद इसका कारण उनके अवचेतन में नानी और यहूदीवंशी पिता का प्रभाव रहा था।
प्रश्न 14. दर्शकों को चार्ली के चरित्र में सब से अधिक क्या लुभाता था ?
उत्तर- दर्शकों को चार्ली का हर दसवें सेकंड में स्वयं को किसी न किसी मुसीबत में डाल लेना सबसे लुभाता था।
प्रश्न 15. चार्ली और उसकी माँ ने साहित्य और नाट्य को स्नेह, करुणा और मानवता के समृद्ध विषय कैसे प्रदान किए थे ?
उत्तर- बचपन में जब चार्ली बीमार पड़े थे और ओकले स्ट्रीट के तहखाने के अंधियारे कमरे में उसकी माँ ने ईसा के सूली पर चढ़ने के प्रकरण को सुनाया था तो वे दोनों माँ बेटा रोने लगे थे तब उन्होंने साहित्य और नाट्य को स्नेह,करुणा और मानवता के समृद्ध विषय प्रदान किए थे।
प्रश्न 16. चार्ली अपनी फ़िल्मों में अपने अभिनय के द्वारा त्रासदी और हास्योत्पादक तत्वों के सामंजस्य को किस के कारण मानते थे ?
उत्तर- बालक चार्ली ने अपने घर के निकट एक कसाई खाने की ओर ले जायी जाती एक भेड़ को देखा था किसी तरह अपनी जान बचा कर भाग निकली थी। उसे पकड़ने वाले उस गरीब जानवर को पकड़ने की कोशिश में कई बार फिसले थे, गिरे थे और सड़क पर लोगों ने उन्हें देखकर ठहाके लगाए थे। चाली देर तक 'उसे मार डालेंगे, उसे डालेंगे' कह कर रोता रहा था। इसी ने उसकी भावी फ़िल्मों की त्रासदी और भावोत्पादक भूमिका को तय कर दिया था।
प्रश्न 17. चार्ली की रचनाओं से भारतीय काव्यशास्त्र सौंदर्यशास्त्र क्या सीख सकता है ?
उत्तर- भारतीय काव्यशास्त्र और सौंदर्य शास्त्र में हास्य और करुण रस को परस्पर विरोधी रस माना जाता है। यह माना जाता है कि करुणा से भरी स्थिति में हास्य पैदा नहीं हो सकता और हास्य को स्थिति में करुणा का भाव नहीं पैदा हो सकता, लेकिन चार्ली की फ़िल्मों में इन दोनों का सुंदर मेल दिखाया गया है जिन्हें देख कर भारतीय काव्य शास्त्र या सौंदर्य शास्त्र इन नए प्रयोग को सीख सकता है।
प्रश्न 18. भारतीय हास्य परंपरा और चाल की हास्य परंपरा में क्या अंतर है ?स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – (1) भारतीय हास्य परंपरा दूसरों पर आधारित है। दूसरों को पीड़ित करने वालों को प्रायः हँसी उड़ाई जाती
है जबकि चाली स्वयं अपनी कमजोरियों और फजीहतों पर हँसते-हँसाते हैं।
(2) भारतीय हास्य परंपरा में करुण और हास्य रस का मेल नहीं दिखाया जाता जबकि चार्ली करुण दृश्य के फौरन बाद एकाएक हँसा देते हैं और हँसते हुए को पल भर बाद रुला देते हैं। ऐसा कर वे करुण और हास्य रस में समन्वय करा देते हैं।
प्रश्न 19. किन दो महान् भारतीयों ने चार्ली का सान्निध्य पाना चाहा था ?
उत्तर- महात्मा गांधी और नेहरू जी ने कभी चार्ली का सान्निध्य पाना चाहा था।
प्रश्न 20. चार्ली से प्रभावित हो कर सबसे पहले किस भारतीय अभिनेता ने कौन-सी फ़िल्में बनायी थी ? इन फ़िल्मों की विशेषता क्या थी
उत्तर- चार्ली से प्रभावित हो कर भारतीय अभिनेता राजकपूर ने अवारा', 'श्री 420' जैसी फ़िल्म बनाई थी जिन में करुण और हास्य रस का प्रयोग किया गया था। खाना बदोश, अवारागर्दी करना, और अपने पर हँसना इन का आधार बनाया गया था।
प्रश्न 21. राजकपूर के अतिरिक्त किन भारतीय अभिनेताओं ने चार्ली के अनुकरण पर काम किया था ?
उत्तर- राजकपूर के बाद दिलीप कुमार, देव आनंद, शम्मी कपूर, अमिताभ बच्चन, श्रीदेवी आदि ने चार्ली के अनुकरण पर फ़िल्मों में काम किया था। इन फ़िल्मों में से कुछ के नाम है-बाबुल, शबनम, कोहिनूर लीडर, गोपी,, तीन देवियां, अमर अकबर एंथनी आदि।
प्रश्न 22. भारत में स्वयं पर हंसने के अवसर प्रायः कहाँ और कब देखने को मिलते हैं ?
उत्तर- भारत में होली के अवसर पर प्रायः स्वयं पर हँसने के अवसर दिखाई दे जाते हैं। लोग इस दिन स्वयं को महामूर्ख
सिद्ध करने में भी खुशी अनुभव करते है। गाँवों में लोक-संस्कृति के उत्सवों में भी लोग अपने पर हँस लेते हैं।
प्रश्न 23. चार्ली की फ़िल्मों में भाषा का प्रयोग नहीं होता था इसलिए इन्हें किन चुनौतियों का सामना करना पड़ता था ?
उत्तर - चार्ली की फ़िल्मों में भाषा का प्रयोग नहीं होता था। वह बोल कर अपने भावों को अभिव्यक्त नहीं करते थे। इसलिए उन्हें मानव के स्वभाव को ऐसे सजीव ढंग से अभिनीत करना पड़ता था जो पूरी तरह से समझ में आए। उनमें क्रियात्मकता की अधिकता होती थी।
प्रश्न 24. चार्ली की फ़िल्में सार्वभौमिक क्यों बन गई थीं ?
उत्तर - चालों की फ़िल्मों में भाषा का प्रयोग नहीं था। वे मानवीय क्रियाओं पर आधारित अति सहज, स्पष्ट और प्रभावशाली थी, जो विश्व के किसी भी मानव को समझ आ जाती थीं। इसलिए उनकी फ़िल्म सार्वभौमिक बन गई थीं।
प्रश्न 25. चालीं प्रायः हँस कर किस तथ्य का परिचय कराना चाहता था ?
उत्तर- चार्ली प्राय हंसकर इस तथ्य से परिचित कराना चाहते हैं कि हम जिन लोगों को महान सोचते हैं वह भी हमारी ही तरह मानवीय कमजोरी लिए होते हैं। ऐसे लोग प्राय तुच्छ लालची और नीच होते हैं।
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