नमक Namak Class 12 Extra Questions -Class 12 Important Questions
नमक Namak Class 12 Extra Questions -Class 12 Important Questions
नमक Namak Class 12 Extra Questions -Class 12 Important Questions |
Namak Class 12 -NCERT IMPORTANT QUESTION
प्रश्न - सफ़िया के भाई ने नमक की पुड़िया ले जाने से क्यों मना कर दिया ?
उत्तर – सफ़िया के भाई ने नमक की पुड़िया ले जाने से इसलिए मना कर दिया क्योंकि नमक पाकिस्तान से सरहद (सीमा) पार हिंदुस्तान ले जाना ग़ैर-कानूनी था। फिर उसे वह नमक लेकर जहाँ से जाना था वहाँ कस्टम अधिकारी उसे पकड़ लेते। जिससे सफ़िया के साथ-साथ उसकी तथा उसके परिवार की भी बेइज्ज़ती हो जाती।
प्रश्न - नमक की पुड़िया ले जाने के संबंध में सफ़िया के मन में क्या द्वंद्व था ?
उत्तर – सफ़िया को सुबह ही पाकिस्तान से रवाना होना था। इसलिए उसे रात को सामान की पैकिंग करनी थी। सारी चीज़ें समेटकर सूटकेस और बिस्तरबंद में बंध गई। केवल कीनू की एक टोकरी तथा नमक की पुड़िया रह गई थी। इसलिए वह सोच रही थी कि नमक इस पुड़िया को वह कैसे ले जाएगी। अगर इसे हाथ मे ले लें और कस्टम वालों के सामने सबसे पहले इसी को रख दें लेकिन अगर कस्टम वालों ने नहीं जाने दिया तो मजबूरी में हम इसे यहीं छोड़ देंगे। लेकिन फिर उस वायदे का क्या होगा जो हमने अपनी मां से किया है ।जान देकर भी वायदा पूरा करना होगा ।वह सोचने लगी यदि इस पुड़िया को कीनू की टोकरी में रख लिया जाए तो इतने ढेर में कौन इसे देख पाएगा और अगर देख लिया? वह चिंतित होने लगी। दूसरे ही पल वह सोचने लगी नहीं फलों की टोकरी तो आते समय भी किसी ने चेक नहीं की थी हिंदुस्तान से केले और पाकिस्तान से किन्नू सब ऐसे ही ले जा रहे थे ऐसा सोच कर के उसने नमक को किन्नू में रखना ही ठीक समझा।
प्रश्न . नमक कहानी में भारत व पाक की जनता के आरोपित भेदभाव के बीच मोहब्बत का स्वाद घुला हुआ है, कैसे ?
अथवा
"महब्बत तो कस्टम से इस तरह गुजर जाती है कि कानून हैरान रह जाता है"ऐसा क्यों कहा गया है?
उत्तर-नमक कहानी में लेखिका ने भारत और पाकिस्तान के बंटवारे से अपने विस्थापन की समस्या का चित्रण किया है। विस्थापन की समस्या के बाद यहां की जनता में अनेक भेदभाव पैदा हो गए । लेकिन इन आरोपित भेदभाव के बीच भी मोहब्बत का नमकीन स्वाद घुला हुआ दिखाई देता है भारत और पाकिस्तान के लोग आपस में जुड़े हुए हैं उन्हें अब भी अपनी जन्मभूमि की सुनहरी यादें आती हैं अब भी वे कोई बात याद आने पर भावुक हो उठते हैं। साफिया द्वारा गैरकानूनी नमक लाने पर कस्टम अधिकारी उसे रोकते हैं तथा नमक को पकड़ भी लेते हैं। लेकिन अपनी मोहब्बत के कारण हुए साफिया को नमक ले जाने के लिए कह देते हैं।
प्रश्न - लाहौर अभी तक उनका वतन है और दिल्ली मेरा या मेरा वतन डाका है। जैसे उदगार सामाजिक यथार्थ का संकेत करते हैं ?
उत्तर- मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। उसका जिस मिटट्टी स्थान या देश में जन्म होता है जहाँ बड़ा होता है, जिसमें उसके बचपन की किलकारियां गूंजती हैं ,उसके साथ वह आजीवन बँधा रहता है। कहा भी गया है कि जननी और जन्मभूमि तो स्वर्ग से भी बढ़कर होती हैं । मनुष्य चाहकर भी अपनी जन्मभूमि को नहीं भूल सकता। उसकी यादें आजीवन उसके दिल में बसी रहती हैं ।मनुष्य स्वाभाविक रूप से अपनी जन्मभूमि के साथ अनेक सपने संजोए रखता है। उसी से वह मृत्यु तक जुड़ा रहता है।
प्रश्न - नमक ले जाने के बारे में सफिया के मन में उठे द्वंद्वोंके आधार पर उसकी चारित्रिक विशेषताओं को स्पष्ट करें।
उत्तर- नमक ले जाने के बारे में साफिया के मन में उठे द्वंद्वोंके आधार पर उसकी चारित्रिक विशेषता निम्नलिखित है।
(i) प्रखर वक्ता–सफ़िया एक साहित्यकार थी। इसलिए वह बातचीत करने में तनिक भी संकोच नहीं करती है। वह बहस करने में पूर्ण समर्थ थी। नमक ले जाने के बारे में उसका भाई बार-बार उसे समझाकर हार जाता है और कहना पड़ता है कि अब आपसे बहस कौन कर सकता है। इस प्रकार सफिया एक प्रखर वक्ता थी।
(ii) निडर -वह अत्यंत निडर थी। अपने भाई के बार-बार डराने पर भी वह कस्टमवालों से नहीं डरती। अमृतसर के कस्टम अधिकारियों के सामने अपने आप ही निडरता से कहती है- "देखिए मेरे पास नमक है"।
(iii) साहित्यकार- सफिया एक श्रेष्ठ साहित्यकार थी। उसका साहित्यकार होना हमें उसके भाई के संवादों से यह चलता है। उसके संवादों से हमें पता लगता है कि उसमें श्रेष्ठ प्रतिभा है। वह कहता है "अब आपसे कौन बहस को आप अदीब ठहरी और सभी अदीबों का दिमाग थोड़ा-सा तो ज़रूर ही घूमा हुआ होता है।"
(iv) ईमानदार - सफिया एक ईमानदार नारी है। जब सफिया का भाई उसे कहता है कि उसे नमक लेकर सरहद से गुजरना होगा जहाँ कस्टम वाले उसे पकड़ लेंगे तो वहाँ उसको ईमानदारी का परिचय मिलता है। वह कहती है, "निकल आने का क्या मतलब, मैं क्या चोरी से ले जाऊँगी? छिपा के ले जाऊंगी? मैं तो दिखा के ले जाऊंगी?
(v) इनसानियत - सफ़िया एक ऐसी इनसान है जिसमें इनसानियत का गुण कूट-कूट कर भरा है। वह सरहदों को देखकर अत्यंत चिंता में पड़ जाती है कि जब दोनों ओर के व्यक्ति 'पहनावा' बोलने के अंदाज एक हैं जब जमीन एक है तो फिर ये दो कैसे बने ? इस उदाहरण से उसकी इनसानियत स्वतः ही स्पष्ट हो जाती है।
(६) दृढ़ निश्चय - उसने अनेक मुसीबतों का सामना करते हुए सरहद के पास ग़ैर-कानूनी होते हुए भी नमक की पुड़िया ले जाने का अपना वायदा निभाया इस प्रकार वह एक दृढ़ निश्चय महिला थी
प्रश्न - मानचित्र पर एक लकीर खींच देने भर से ज़मीन और जनता बँट नहीं जाती है-उचित तर्को व उदाहरणों के जरिए इस की पुष्टि करें।
अथवा
'नमक' का मूलभाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर - मानचित्र पर एक लकीर खींच देने से जमीन और जनता को कागज़ी रूप में तो बांटा जा सकता है। लेकिन असली रूप में नहीं। यह सत्य है कि ज़मीन को तो बांटा जा सकता पर कोई जनता के हृदय की भावनाओं को नहीं दबा सकता है। मानचित्र पर खींची गई लकीर जनता के मन तक नहीं पहुँच पाती क्योंकि जनता को कोई शारीरिक रूप से अलग कर सकता है, लेकिन मानसिक और आत्मिक रूप से उसे नहीं बांट सकता। जैसे सफ़िया को पाकिस्तानी कस्टम अधिकारी का यह कथन कि मेरा वतन दिल्ली हैं, आप भी तो हमारी ही तरफ की मालूम होती हैं और अपने अज़ीजों से मिलने आई होंगी।
जब सफ़िया पाकिस्तान से नमक लेकर चली तो कस्टम अधिकारी ने कहा कि जामा मस्जिद की सीढ़ियों को मेरा सलाम कहिएगा और उन खातून को यह नमक देते वक्त मेरी तरफ से कहिएगा कि "लाहौर अभी तक उनका वतन हैं और देहली मेरा तो बाकी सब रफ्ता-रफ्ता ठीक हो जाएगा।
भारत-पाक विभाजन के इतने वर्षों बाद भी ये पाकिस्तानी और हिंदुस्तानी व्यक्ति अपनी जन्मभूमि को दिल से प्यार करते हैं। आज भी वे इस ज़मीन और लोगों के दिलों से दूर नहीं हो पाए। इसी प्रकार सफ़िया को अमृतसर में भारतीय कस्टम अधिकारी ने कहा- हाँ मेरा वतन ढाका है "जब डिवीजन हुआ तभी आए, मगर हमारा वतन ढाका है। मैं तो कोई बारह-तेरह साल का था। पर नज़रूल और टैगोर को तो हम लोग बचपन से पढ़ते थे जिस दिन हम रात को यहाँ आ रहे थे उसके ठीक एक वर्ष पहले मेरे सबसे पुराने सबसे प्यारे, बचपन के दोस्त ने मुझे यह किताब दी थी। उस दिन मेरी साल गिरह थी फिर हम कलकत्ता रहे, पढ़े, नौकरी भी मिल गई, पर हम वतन आते जाते थे
Namak Class 12 -EXTRA MOST IMPORTANT QUESTION ANSWERS
प्रश्न - क्या सब कानून हुकूमत के ही होते हैं, कुछ मुहब्बत मुरौवत आदमियत, इनसानियत के नहीं होते। ऐसा क्यों कहा गया है ?
उत्तर - ऐसा इसलिए कहा गया है कि आज के युग में कानून केवल हुकूमत के लाभ के लिए बनाए जाते हैं। सामान्य जनता के लिए नहीं। हुकूमत के लिए सरहदों से इस पार या उस पार सामान के आने या ले जाने पर कोई पाबंदी नहीं। वह जब चाहे कुछ भी इधर से उधर ले जा सकती है। लेकिन सामान्य जनता को अनेक कानूनो से गुज़रना पड़ता है। वही सामान सामान्य व्यक्ति के लिए ग़ैर-कानूनी माना जाता है।
प्रश्न - भावना के स्थान पर बुद्धि धीरे-धीरे उस पर हावी हो रही थी। ऐसा क्यों कहा गया है ?
उत्तर – सफ़िया को अगले दिन पाकिस्तान से रवाना होना था। इसलिए उसने रात में सारा सामान बांध लिया। केवल कीनू की टोकरी और एक नमक की पुड़िया ही शेष रह गई थी। अब यह इसी द्वंद्व में थी कि इस नमक की पुड़िया को किसमें और कहाँ रखकर ले जाए जिससे यह कस्टम अधिकारियों की आँखों से बच सके। वह अधिक भावुक होकर इस प्रकार बार-बार चिंतन कर रही थी तो उसे कैसे ले जाया जाए? लेकिन अब वह निर्णय पर पहुँच चुकी थी कि इसे कहाँ रखकर ले जाऊँगी। इसीलिए ऐसा कहा गया है कि भावना के स्थान पर बुद्धि धीरे-धीरे उस पर हावी हो रही थी।
प्रश्न - मुहब्बत तो कस्टम से इस तरह गुज़र जाती है कि कानून हैरान रह जाता है? ऐसा क्यों कहा गया है ?
उत्तर- मुहब्बत तो कस्टम से इस तरह गुज़र जाती है कि कानून हैरान रह जाता है ऐसा इसलिए कहा गया है कि कस्टम पर भारत और पाकिस्तान दोनों वतन के लोग हैं। कोई विस्थापित होकर इधर आया है तो कोई उधर गया है लेकिन आज तक भी वे अपने वतन से मुहब्बत करते हैं। इसलिए जब भी कोई हमवतन कोई ग़ैर कानूनी सामान भी लेकर आता है तो उसे अपने वतन से मुहब्बत के कारण भावनात्मक रूप से छोड़ दिया जाता है। इन्हीं भावनाओं के बल पर व्यक्ति कस्टम से इधर-उधर गुज़र जाता है।
प्रश्न - हमारी ज़मीन, हमारे पानी का मज़ा ही कुछ और है ? ऐसा क्यों कहा गया है ?
उत्तर - मनुष्य का स्वाभाविक गुण है कि वह अपनी जन्मभूमि से आजीवन जुड़ा रहता है। उसे अपनी ज़मीन अन्य स्थलों की अपेक्षा अधिक प्यारी लगती है। वह भावनात्मक रूप से उसके साथ रहता है। उसकी प्रत्येक वस्तु से उसका गहरा लगाव होता है। इसलिए ऐसा कहा गया है कि हमारी ज़मीन हमारे पानी का मजा ही कुछ और है।
प्रश्न - सफ़िया सिख बीबी को देखकर हैरान क्यों रह गई थी ?
उत्तर – सफ़िया को सिख बीबी बिल्कुल अपनी माँ जैसी ही प्रतीत हुई थी। उसका शरीर भी भारी-भरकम था, वैसी - ही छोटी-छोटी चमकदार आँखें थीं जिनमें नेकी, मुहब्बत और रहमदिली की रोशनी जगमगाती थी। उसने वैसा ही मलमल का सफ़ेद दुपट्टा ओढ़ा हुआ था जैसा उसकी माँ मुहर्रम में ओढ़ा करती थी।
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